SCO क्या है? पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा से रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी?

पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शंघाई सहयोग संगठन की भारत में होने वाली मीटिंग में शामिल होंगे, साल 2011 के बाद पहली बार पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आएगा

नई दिल्ली :

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी मई के पहले हफ्ते में भारत की यात्रा करेंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि वे 4 और 5 मई को गोवा में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के दल का प्रतिनिधित्व करेंगे. आशा की जा रही है कि एससीओ की बहुपक्षीय बैठक से इतर बिलावल भुट्टो जरदारी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे.  

साल 2011 के बाद पहली बार पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आएगा. सन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आए थे. 

भारत इस समय एससीओ का अध्यक्ष है. सभी सदस्य देशों को भारत की ओर से जनवरी में निमंत्रण भेजा गया था. एससीओ में भारत के अलावा रूस, चीन और पाकिस्तान समेत आठ सदस्य देश हैं. अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया को पर्यवेक्षक देशों का दर्जा दिया गया है जबकि आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की डायलॉग पार्टनर हैं. 

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, एससीओ बैठक के लिए सभी सदस्य देशों को निमंत्रण भेजा गया है. हम किसी एक देश के हिस्सा लेने पर फोकस नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्री सभी मेहमान विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक कर रहे हैं. लेकिन अभी इसकी पुष्टि करना जल्दबाजी होगी, जब तक कि यह बैठक तय न हो जाए. 

भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में खटास लगातार बनी हुई है. 2020 के पुलवामा हमले के बाद से यह रिश्ते और ज्यादा बिगड़े हैं. भारत ने बालाकोट आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का भी पाकिस्तान ने विरोध किया था. 

एससीओ क्या है, जिसकी बैठक में तमाम लोग पहुंच रहे हैं? यह आठ देशों का समूह है. यह दुनिया की 42 प्रतिशत आबादी को कवर करता है. वैश्विक जीडीपी में इन देशों का 25 प्रतिशत हिस्सा है. भारत जून 2017 में इसका सदस्य बना था. इस संगठन का आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य है. गोवा में इसी के लिए बैठक आयोजित की जा रही है. 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत आ रहे हैं, इसके क्या मायने हैं? उनकी यात्रा को किस तरह देखा जाए? इस सवाल पर पूर्व राजनयिक मंजू सेठ ने NDTV से कहा कि, ''जरदारी एक मल्टीलेट्रल (बहुपक्षीय) मीटिंग के लिए ही आ रहे हैं. लेकिन आशा है कि वे (भारत से) बात करेंगे. हालांकि उनके जो पिछले बयान रहे हैं कि वे जो बात कहते हैं उसके बाद ही उससे पलट जाते हैं. अभी यह कह नहीं सकते कि कोई द्विपक्षीय बैठक होगी, और कितनी सार्थक होगी. उम्मीद तो करते हैं कि यह मीटिंग हो ताकि रिश्तों में जो खटास है वह दूर हो. पड़ोसी हैं हमारे और हम पड़ोस के साथ कोई बदलाव कर नहीं सकते. हमें उनके साथ रहना ही है. यदि इस मीटिंग के दौरान उनसे डायलॉग का मौका बनता है तो यह बहुत अच्छी बात होगी. हो सकता है चीन ने पाकिस्तान से इस मीटिंग में शामिल होने के लिए कहा हो.''     

विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर एसडी मुनि ने NDTV से कहा कि, ''यह बात अच्छी है कि बिलावल भारत आ रहे हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति में गतिरोध आ गया था. वह स्थिति बदलेगी. एससीओ का एक मुख्य उद्देश्य यही है कि इसके सारे मेंबर आपस में दोस्ती और शांति से रहेंगे.'' 

प्रोफेसर मुनि ने कहा कि, ''एससीओ के फ्रेम वर्क के अंतर्गत ही भारत और पाकिस्तान को आपस में बातचीत करके अपने संबंधों को सुधारना चाहिए. पाकिस्तान इस बात पर अटका हुआ है कि आपने कश्मीर का स्टेटस क्यों बदल दिया. भारत को समस्या क्रास बार्डर टेरेरिज्म की है. यह दोनों बातें बहुत सीरियस हैं. मैं नहीं समझता कि इस मीटिंग में इस पर कोई बड़ी बात होगी. लेकिन यदि इस मीटिंग में द्विपक्षीय बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाए तो अच्छा.'' 

प्रोफेसर एसडी मुनि ने कहा कि, ''जहां तक कश्मीर की बात है तो उसका स्टेट का दर्जा तो अंततोगत्वा होगा लेकिन 370 पर पाकिस्तान के दखल का कोई कारण नहीं है. स्टेट का स्टेटस भी पाकिस्तान के दखल का कारण नहीं है. बिलावल की मौजूदगी के दौरान कोई ऐसा सूत्र निकाला जाए कि बातचीत आगे बढ़े.''    

भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए माकूल समय के बारे में सवाल पर मंजू सेठ ने कहा कि, ''हर समय सही होता है अगर दोनों देश आपस मे बात कर सकें और अपनी असहमतियों को दूर कर सकें. यह बहुत जरूरी है. प्रधानमंत्री ने भी पहले कहा है कि हर मुद्दा संवाद से दूर हो सकता है. हमें कोशिश करनी होगी कि बातचीत करें और माहौल को सुधारने की कोशिश करें. हालांकि ताली दोनों हाथों से बजती है. हम पहल करें और वे रिस्पांड न करें, अपनी बात पर अड़े रहें, तो ऐसी मीटिंग का कोई महत्व, कोई फायदा नहीं होगा.''

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