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मालदीव में भारत की '28 द्वीप' वाली कूटनीति! मुइज्जू के बदले रुख की वजह क्या?

India-Maldives Relation: चीन के प्रति झुकाव के लिए जाने जाने वाले मुइज्जू के राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच पिछले साल संबंध तनावपूर्ण हो गए थे. लेकिन अब मुइज्जू भारत और पीएम मोदी का आभार जता रहे हैं. इसके मायने समझिए.

मालदीव में भारत की '28 द्वीप' वाली कूटनीति! मुइज्जू के बदले रुख की वजह क्या?
भारत-मालदीव संबंध.
दिल्ली:

पिछले कुछ समय से संबंधों में आई खटास के बीच मालदीव अब भारत (India-Maldives Relations)  का शुक्रगुजार है. वजह है वहां पर बड़ा निवेश और अहम परियोजनाएं. मालदीव पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को सबसे बड़ी जल और स्वच्छता परियोजनाओं का उद्घाटन किया. भारत ने मालदीव में स्वच्छता परियोजना के लिए 920 करोड़ रुपये का निवेश किया था. भारत का ये प्रोजेक्ट मालदीव के 28 द्वीपों के लिए हैं. राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने इस बड़ी मदद के लिए भारत और पीएम मोदी का शुक्रिया  अदा किया है. भारत ने इस परियोजना के लिए मालदीव को 11 करोड़ डॉलर यानी कि 923 करोड़ रुपये की मदद दी है. इन परियोजनाओं का सीधा फायदा 28 द्वीपों वाले मालदीव के 28 हजार लोगों को मिलने जा रहा है. इसे मालदीव में भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-जयशंकर ने मालदीव में इस परियोजना का किया उद्घाटन, मुइज्जू ने PM मोदी का जताया आभार

मिट गए फासले, बदल गई नीति?

मालदीव में पीने के पानी की इस बड़ी परियोजना का काम भारत की मदद से ही पूरा हो पाया है. यही वजह है कि अब मालदीव भारत का तहे दिल से आभार जता रहा है. विदेश मंत्री जयशंकर ने भी इस बात पर जोर दिया कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से मालदीव सरकार के विकास लक्ष्यों को पाने और सीवरेज सिस्टम स्थापित करने में मदद मिली है. चीन के करीबी माने जाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू की भारत नीति में अचानक आए बदलाव से मालदीव का विपक्षी दल भी हैरान है. हालांकि उन्होंने मुइज्जू सरकार की नीति में अचानक हुए बदलाव का स्वागत किया है. मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि वह इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त रहे हैं कि उनके देश पर जब भी कोई संकट आएगा और वह मदद की जरूरत होगी, तो पहला हाथ नई दिल्ली ही बढ़ाएगा.

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मालदीव के बदले रुख की वजह क्या?

मालदीव की विपक्षी पार्टी के नेता का ये भी कहना है कि मुइज्जू सरकार को उनके अधिकारियों के झूठ और गैरजिम्मेदाराना बयानों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. उनकी वजह से ही मालदीव को आर्थिक और विदेश मोर्चे पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं जल और स्वच्छता परियोजनाओं के लिए मुइज्जू सरकार भी भारत सरकार खासकर पीएम मोदी की आभारी है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों की साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है. दोनों देश लगातार करीब आ रहे हैं. मोइज्जू ने इस बात को भी स्वीकार किया कि भारत हमेशा ही मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी और अमूल्य भागीदारों में शामिल रहा है.

घनिष्ठ संबंध बनाए रखूंगा...

विपक्ष के माफी मांगने वाले सवाल पर राष्ट्रपति मुइज्जू ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने अपनी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं किया है, बल्कि पहले दिन से ही उसी नीति पर कायम है. 'सनऑनलाइन इंटरनेशनल' न्यूज पोर्टल ने राष्ट्रपति के हवाले से कहा, "मैं अपने घोषणापत्र (2023 के चुनावों में) में घोषित विदेश नीति को लागू कर रहा हूं. मैं मालदीव के हितों को प्राथमिकता दूंगा और उन सभी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखूंगा, जो मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन नहीं करने पर सहमत हैं." मुइज्जू ने कहा कि उन्होंने अपनी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं किया है, न ही उन्हें किसी बात के लिए माफी मांगने की जरूरत है.

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मुइज्जू ने कहा, भारत ने पिछले कुछ महीने में मित्र देश होने के नाते हमारे लिए बहुत कुछ किया है. भारत ने मालदीव के लिए मुख्य खाद्य पदार्थों के कोटे में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक वृद्धि की है. भारत ने हमेशा मालदीव की सहायता की है. मुइज्जू ने सालों से दी जा रही विभिन्न सहायताओं के लिए भारत का आभार भी जताया. 

तल्ख संबंधों में कैसे आई मधुरता?

बता दें कि चीन के प्रति झुकाव के लिए जाने जाने वाले मुइज्जू के राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच पिछले साल संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने की मांग की थी. राष्ट्रपति मुइज्जू ने शनिवार को भारत को "सबसे करीबी सहयोगियों में से एक" बताया और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और घनिष्ठ संबंधों को मजबूत करने के लिए अपने सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता जाहिर की. विपक्षी नेता शाहिद का कहना है कि उनकी पार्टी एमडीपी को उम्मीद है कि यह बदलाव अस्थायी या दिखावा नहीं होगा, बल्कि मालदीव के लोगों के सर्वोत्तम हित में होगा.

क्या भारत ने मालदीव से खरीदे 28 द्वीप?

सोशल मीडिया पर इन दिनों मालदीव को लेकर कई खबरें चल रही हैं. जिनमें भारत द्वारा मालदीव से 28 द्वीप खरीदे जाने की खबर भी शामिल है, जो पूरी तरह से गलत है. दरअसल मालदीव के 28 द्वीपों पर भारत ने कई प्रोजेक्ट बनाए हैं, जिसका फायदा मालदीव को होगा. इसे लेकर राष्ट्रपति मुइज्जू गदगद हैं. उन्होंने इसके लिए भारत का शुक्रिया भी अदा किया है.

भारत और मालदीव के बीच कौन सा द्वीप है?

भारत और मालदीव के पास लक्ष्यद्वीप मौजूद है. मालदीव हिंद महासागर में भारत के लक्ष्यद्वीप द्वीप के दक्षिण में मौजूद है. लक्ष्यद्वीव वही जगह है, जिसका प्रमोशन पिछले दिनों भारत ने खूब किया था. पीएम मोदी ने देश के लोगों से अपील की थी वह घूमने के लिए अपने ही देश को चुनें. उनको मालदीव जैसी शानदार जगह अपने ही देश में मिल सकती है, जो कि लक्ष्यद्वीप है. 

क्या मालदीव भारत का हिस्सा था?

मालदीव हिंद महासागर में मौजूद एक द्वीव देश है, सोशल मीडिया पर ये सवाल भी जोरों पर है कि क्या मालदीव कभी भारत का हिस्सा रहा है. तो बता दें कि मालदीव कभी भी भारत का हिस्सा नहीं रहा. मालदीव 1965 में अंग्रेजों से पूरी तरह से आजाद हो गया था. 1968 में उसने खुद को एक गणराज्य के रूप में स्थापित कर लिया था. भारत के साथ उनसे संबंध घनिष्ठ रहे हैं. 

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