प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बीते सोमवार को देश के लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी (Health ID) के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) की शुरुआत की है. यह मिशन लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड को एक जगह मेंटेन करने के लिए शुरू किया गया है. डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड नेशनल हेल्थ एसोसिएशन (NHA) की ओर से लाया गया है. आइये आपको इस हेल्थ आईडी सुविधा के बारे में बताते हैं सब कुछ...
क्या है नेशनल हेल्थ ID?
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी यानि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ आरएस शर्मा ने NDTV से खास बातचीत में बताया कि हेल्थ रिकॉर्ड को एक जगह मेंटेन करने के लिए इसे शुरू किया गया है. आप अपने स्वास्थ्य से जुड़े पुराने सभी रिकॉर्ड हेल्थ आईडी से लिंक कर सकेंगे. इसके इस्तेमाल से आप सभी डिजिटल हेल्थ कार्यक्रमों से जुड़ सकेंगे जैसे वीडियो कंसल्टेशन और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी डिजिटल सेवाओं से. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से लोग डिजिटल हुए हैं. डिजिटल सेवा का व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रहा है. लोग अब जान गए हैं डिजिटल सेवा का क्या फायदा है.
प्राइवेसी पर खतरा है या नहीं?
स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी एक जगह पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लिंक करने से प्राइवेसी पर खतरा है या नहीं? इस सवाल पर डॉ. शर्मा ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य लोगों की हेल्थ हिस्ट्री को एक्सपोज करना नहीं है. अगर आप चाहें तो अपनी हेल्थ आईडी जनरेट कर अपने हेल्थ रिकॉर्ड इससे अटैच कर सकते हैं. इससे आपकी निजता को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. इससे आपको अपने स्वास्थ्य संबधी सभी दस्तावेजों को रियल टाइम एक्सेस करने में आसानी हो जाएगी.
इससे फायदा क्या होगा?
हेल्थ आईडी बनाने से कई फायदे होंगे. डॉ. शर्मा ने कहा कि आपकी हेल्थ हिस्ट्री एक जगह हो जाएगी, इससे आपको सही और जरूरी इलाज आसानी से मिल सकेगा. डॉक्टर हमेशा किसी भी मरीज से उनकी हेल्थ हिस्ट्री जरूर जानना चाहते हैं. हेल्थ आईडी से यह संभव हो सकेगा. इसके साथ ही आपको बार-बार टेस्ट कराने के चक्करों से छुटकारा मिल जाएगा. आपकी हेल्थ आईडी के रिकॉर्ड के माध्यम से आपकी सभी टेस्ट रिपोर्ट डिजिटली डॉक्टर के सामने होंगी.
ग्रामीणों को होगा बड़ा फायदा
उन्होंने कहा कि इस सेवा से ग्रामीणों को बड़ा फायदा होगा. हेल्थ आईडी के माध्यम से झारखंड में बैठा मरीज दिल्ली एम्स में डॉक्टर से कंसल्ट कर सकेगा. अगर उसकी बीमारी जटिल नहीं होगी तो डॉक्टर डिजिटल परामर्श देकर ही मरीज को ठीक कर सकेंगे, यानि इलाज के लिए मरीज को झारखंड से दिल्ली जाने की जरूरत नहीं होगी. हेल्थ आईडी से टेली कंसल्टेशन व टेली मेडिसिन की सुविधाएं आसान और प्रभावी हो जाएंगी. सरल शब्दों में कहें तो डॉक्टर अपने सिस्टम पर आपके स्वास्थ्य से जुड़े सभी रिकॉर्ड देख सकेंगे. अस्पताल जाने की जरूरत होगी तभी मरीज अस्पताल जाएगा, नहीं तो डिजिटली ही उनका इलाज हो जाएगा. इससे स्वास्थ्य से जुड़े खर्च में कटौती होगी और इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
हेल्थ आईडी अनिवार्य है या नहीं?
हेल्थ आईडी अनिवार्य है या नहीं? या भविष्य में इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा? इन सवालों पर डॉ. शर्मा ने कहा कि यह बिल्कुल अनिवार्य नहीं है और ना ही इसे भविष्य में अनिवार्य किया जाएगा. यह सिर्फ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के लिए है. उन्होंने कहा कि सरकार की सब्सिडी वाली योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत और अन्य में इसे अनिवार्य किया जा सकता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं