H3N2: कोरोना के बाद तेजी से फैलता Virus, जानें- इससे बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं?

H3N2 Influenza: इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी. रोग नियंत्रण केंद्र (CDC)और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, H3N2 इन्फ्लूएंजा पक्षियों और दूसरे जानवरों से म्यूटेट होकर इंसानों में फैलता है.

H3N2: कोरोना के बाद तेजी से फैलता Virus, जानें- इससे बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं?

इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी.

नई दिल्ली:

उत्तर भारत में H3N2 वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, कुछ महीनों में कोविड के मामले कम हुए हैं, लेकिन H3N2 के मामले में बढ़ोतरी हुई है. इस वायरस से हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक मौत का मामला भी सामने आ चुका है. सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि देश भर में इस वायरस के कारण होने वाले फ्लू के 90 मामले सामने आए हैं.  हालांकि, लोगों में फ्लू के लक्षणों की व्यापकता मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण भी है. आइए जानते हैं H3N2 वायरस से संक्रमण के क्या लक्षण हैं और इनसे बचने के लिए क्या करना चाहिए...

H3N2 वायरस क्या है?
H3N2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जिसे इन्फ्लूएंजा ए वायरस कहा जाता है. यह एक सांस रिलेटेड वायरल इन्फेक्शन है, जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी. रोग नियंत्रण केंद्र (CDC)और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, H3N2 इन्फ्लूएंजा पक्षियों और दूसरे जानवरों से म्यूटेट होकर इंसानों में फैलता है.

H3N2 के क्या लक्षण हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मनुष्यों में एवियन, स्वाइन और अन्य जूनोटिक इन्फ्लुएंजा संक्रमण से सांस लेने में तकलीफ होना, ऑक्सीजन लेवल 93 से कम होना, छाती और पेट में दर्द और दबाब महसूस होना, बहुत ज्यादा उल्टी, मरीज के कंफ्यूज रहने या भ्रमित रहने और बुखार-खांसी रिपीट होना इसके लक्षण हैं.

कुछ मामलों में मरीज को डायरिया और नाक बहने की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या बेचैनी का अनुभव होता है, लगातार बुखार और भोजन करते समय गले में दर्द होता है, तो डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है.

वायरस कैसे फैलता है?
अत्यंत संक्रामक H3N2 इन्फ्लुएंजा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा बात करने पर निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है. यह तब भी फैल सकता है जब कोई किसी ऐसी सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह या नाक को छूता है, जिस पर वायरस लगा होता है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्ग वयस्कों, और किसी रोग से पीड़ित लोगों को इस वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा है. 

H3N2 वायरस होने पर बुखार कितने दिनों में उतर जाता है?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का मानना है कि इन्फेक्शन के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रहे सकते हैं. H3N2 से होने वाला बुखार तीन दिनों में उतर जाता है, लेकिन खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा दिनों तक बनी रहती है.

इस बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी हैं?
-ऑक्सीमीटर की मदद से लगातार ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें.
-अगर ऑक्सीजन का लेवल 95 प्रतिशत से कम है, तो डॉक्टर के पास जाना अनिवार्य है.
-अगर ऑक्सीजन लेवल 90 प्रतिशत से कम है, तो गहन देखभाल की आवश्यकता हो सकती है.
-एक्सपर्ट ऐसे मामलों में खुद से दवा नहीं लेने की सलाह देते हैं.
-खुद को हाइड्रेट रखें, लिक्विड पीते रहें.
-बुखार, खांसी या सिरदर्द हने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
-इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने के लिए फ्लू शॉट्स लें.
-घर के बाहर मास्क लगाकर रखें, भीड़ वाली जगह से बचें.

इसके इलाज के क्या विकल्प हैं?
उचित आराम करें. जितना हो सके फ्रेश और लिक्विड डाइट लें. बुखार कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसे ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करें. अगर किसी रोगी में गंभीर लक्षण हैं या हाई रिस्क है, तो डॉक्टर ओसेल्टामिविर (oseltamivir) और ज़नामिविर (zanamivir) जैसी एंटीवायरल दवाओं की भी सिफारिश कर सकते हैं.


क्या करें और क्या न करें?
संक्रमित लोगों से यह वायरस इंसानों में तेजी से फैल सकता है. ऐसे में कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना बहुत जरूरी है:-
-अपने हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएं.
-फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें.
-अपनी नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें.
-खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढक लें.
-हाइड्रेटेड रहें और खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें.
-बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल लें.
-सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचिए.
-हाथ मिलाने जैसे संपर्क-आधारित अभिवादन का इस्तेमाल न करें.
-डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से कोई भी दवा न लें.
-इंफेक्टेड होने पर अन्य लोगों के बगल में बैठकर खाना न खाएं.

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इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉक्टरों से कहा है कि संक्रमण बैक्टिरियल है या नहीं, बिना इसकी पुष्टि के मरीजों को एंटीबायोटिक्स न दें, क्योंकि इससे प्रतिरोध पैदा हो सकता है. बुखार, खांसी, गले में खराश और शरीर में दर्द के अधिकांश मौजूदा मामले इन्फ्लूएंजा के मामले हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है.