मनमोहन सिंह की सरकार में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 500 और 1000 के नए नोटों को प्रचलन से बाहर करने के नरेंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. मोदी सरकार ने पुराने 500 और 1000 के नोट को बाहर करते हुए 500 और 2000 के नए नोट लाने का फैसला किया है. पुराने नोट बैंकों-डाकघरों में जमा किए जा सकेंगे.
मोदी सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नए नोट लाने पर 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 1978 में भी मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के समय 1000 का नोट वापस लेने का फैसला किया गया था जो कि नाकाम रहा था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में काले धन पर प्रभावी अंकुश लगाने के कदम के तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी.
पीएम ने कहा था कि भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोट, आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई होनी चाहिए. कौन ऐसा नागरिक है जो भ्रष्टाचार को स्वीकार कर सकेगा और जिसे भ्रष्टाचार के कारण तकलीफ नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि मौजूदा इन पुराने नोटों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगले 50 दिनों तक इन नोटों को बैंकों और डाकघरों में जमा कराया जा सकता है. इस संबंध में 10 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बैंकों और डाकघरों में जमा कराए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा था कि 500 रुपये और 1000 रुपये वाले नोट का हिस्सा 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है. देश में कैश के अधिकतम सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार से है. भ्रष्टाचार से अर्जित नगदी के कारण महंगाई पर असर पड़ता है. इसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग प्रभावित होते हैं. इसके कारण मूल्य में कृत्रिम वृद्धि होती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार से अर्जित धन या कालाधन, से बेनामी हवाला धन को बढ़ावा मिलता है. हम सब जानते हैं कि हवाला धन का इस्तेमाल आतंकी हथियारों की खरीद के लिए करते हैं, इसके साथ ही हवाला धन का चुनाव में भी इस्तेमाल पाया गया है.
मोदी सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नए नोट लाने पर 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 1978 में भी मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के समय 1000 का नोट वापस लेने का फैसला किया गया था जो कि नाकाम रहा था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में काले धन पर प्रभावी अंकुश लगाने के कदम के तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी.
पीएम ने कहा था कि भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोट, आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई होनी चाहिए. कौन ऐसा नागरिक है जो भ्रष्टाचार को स्वीकार कर सकेगा और जिसे भ्रष्टाचार के कारण तकलीफ नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि मौजूदा इन पुराने नोटों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगले 50 दिनों तक इन नोटों को बैंकों और डाकघरों में जमा कराया जा सकता है. इस संबंध में 10 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बैंकों और डाकघरों में जमा कराए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा था कि 500 रुपये और 1000 रुपये वाले नोट का हिस्सा 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है. देश में कैश के अधिकतम सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार से है. भ्रष्टाचार से अर्जित नगदी के कारण महंगाई पर असर पड़ता है. इसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग प्रभावित होते हैं. इसके कारण मूल्य में कृत्रिम वृद्धि होती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार से अर्जित धन या कालाधन, से बेनामी हवाला धन को बढ़ावा मिलता है. हम सब जानते हैं कि हवाला धन का इस्तेमाल आतंकी हथियारों की खरीद के लिए करते हैं, इसके साथ ही हवाला धन का चुनाव में भी इस्तेमाल पाया गया है.
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