कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ड वाड्रा ने आईएएनएस से खास बातचीत में अमेठी से चुनाव लड़ने समेत अलग-अलग मुद्दों पर तमाम सवालों के जवाब दिए. राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद की दावेदार पर भी रॉबर्ड वाड्रा ने जवाब दिया. भाजपा के 400 पार नारे पर रॉबर्ड वाड्रा ने कहा कि लोग सोचते हैं कि 400 पार तभी होगा, जब कुछ गड़बड़ी होगी, देश में इस वक्त डर का माहौल है कि कहीं कुछ मैसेज भेज रहे हैं तो क्या वो सही जा रहा है या गलत. कुछ बोल दिया तो मुझे गिरफ्तार तो नहीं कर लेंगे. अगर किसी कंपनी मे कुछ गड़बड़ी होती है तो उसकी जांच आयकर विभाग करता है और पेनल्टी लगाता है लेकिन ये नहीं होता कि हर कंपनी पर ईडी का वार होता है.
सवाल- क्या रॉबर्ट वाड्रा इस बार अमेठी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब – केवल अमेठी ही नहीं पूरे देश से राजनीतिक पुकार आ रही है कि मैं सक्रिय राजनीति में आऊं..अमेठी से बात ज्यादा इसलिए उठ रही है क्योंकि मैंने 1999 से वहां प्रचार किया है. लोगों के बीच रहा हूं. पोस्टर भी लगने शुरू हो गए हैं. दूसरी जगह भी पोस्टर लग रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि आप हमारी तरफ से आइए, हमारे क्षेत्र से आइए क्योंकि हमने आपकी मेहनत देखी है. आप गांधी परिवार के सदस्य हैं. वाड्रा ने कहा कि लोगों ने देखा है कि गांधी परिवार ने इस देश के लिए कितना किया है, करते आए हैं और करते रहेंगे. उनको लगा कि अगर इस चुनाव में मैं अमेठी से लडूं तो वहां जो उन्होंने गलतियां की हैं, स्मृति ईरानी को सांसद बनाने की जो भूलचूक हुई है, उससे वो आगे बढ़ेंगे और मुझे भारी बहुमत से जिताएंगे. मैं किसी को चुनौती देने के लिए नहीं लडूंगा. हालांकि, स्मृति ईरानी ने संसद में मेरे नाम का गलत इस्तेमाल किया और बेबुनियाद आरोप लगाए. वो महिला हैं. मैं उनका आदर करता हूं पर अगर कोई भी ऐसे आरोप लगाता है तो साबित करना बहुत जरूरी है. तो अमेठी के लोगों को लगा कि अगर मैं राजनीति में आता हूं तो मैं उन्हें उन्हीं के लेवल पर जवाब दे पाऊंगा. मेरी मेहनत जारी है और आगे अगर लोगों को लगेगा कि मैं बदलाव ला सकता हूं और कांग्रेस को लगेगा कि मुझे आना चाहिए, परिवार का आशीर्वाद रहेगा तो मैं जरूर सक्रिय राजनीति में आऊंगा.
सवाल- राहुल गांधी अभी वायनाड से लड़ रहे हैं लेकिन लोगों का कहना भी है कि शायद उनको अमेठी से रायबरेली भेजा जाए. शायद ऐसा कुछ हो तो क्या अभी भी ऐसा कुछ है या स्थितियां स्पष्ट हो गईं हैं?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब – अगर कांग्रेस पार्टी को लगेगा कि मैं सक्षम हूं या बदलाव ला सकता हूं, जो लोग चाहते हैं और देखते हैं कि जहां भी मैं रहूंगा जिस भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करूंगा और उसमें बदलाव होगा. सेक्युलर इंडिया, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा या जब भी कोई ऐसा मुद्दा आता है देश में तो मैं जरूर लोगों के बीच जाकर उनकी आवाज बुलंद करता हूं. अपने सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचता हूं. मेरा धार्मिक या चैरिटी का दौरा देशभर में होता है तो उसमें जाकर लोगों से मिलता हूं. अगर राहुल को लगेगा कि वायनाड के बाद उनको अमेठी से आना चाहिए तो मैं उनको मुबारकबाद देता हूं और खुश होऊंगा कि वो एक बार फिर अमेठी से सांसद बनें. मैं उनके साथ प्रचार में रहूंगा और अगर जरूरत पड़ेगी तो अमेठी क्या पूरे देशभर में रहूंगा. मैं बहुत खुश होऊंगा अगर वो रहेंगे. यही नहीं कि इस चुनाव में, आगे भी बहुत चुनाव आएंगे. मुझे राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है, लोगों के बीच में रहने की जरूरत है. जो अगर कभी राहुल या प्रियंका से नहीं मिल पाते हैं वो मुझसे मिलते हैं. अपनी बात रखते हैं और मैं अपने परिवार से जिक्र करता हूं उनके बारे में. परिवार का सदस्य होने के नाते मैं जरूर मेहनत करता हूं, लोगों से मिलता हूं और उनकी बात आगे तक ले जाता हूं.
सवाल- कांग्रेस ने रायबरेली में बहुत मेहनत भी की है बहुत लंबे समय तक तो आपको क्या लगता है कि वहां से कौन आ सकता है ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब – वहां के लोग बहुत खुश हैं गांधी परिवार से. रायबरेली में कई बार मैं भी गया हूं. सोनिया गांधी बहुत मेहनती हैं लेकिन उनकी एक उम्र है. अब उनको लग रहा है कि कोई और वहां से उनकी जगह उतनी ही मेहनत करे. उस लायक जो भी होगा, वो रायबरेली को रिप्रेजेंट करेगा और वहां मेहनत उतनी ही करेगा. राहुल और प्रियंका भी देखेंगे कि रायबरेली में कैसा माहौल है? क्या जरूरतें हैं? और उनकी जरूरतें पूरी करेंगे. जो भी होगा, पूरे परिवार की मेहनत उतनी ही रहेगी देखने के लिए कि रायबरेली और अमेठी और प्रगति करें. अगर स्मृति ईरानी या जो भी हैं वो नहीं कर पा रहे तो पूरा परिवार लगेगा मेहनत करने में और देखेंगे कि वहां के लोग खुश रहें और सेक्युलर रहें.
सवाल- इंडिया गठबंधन की अगर बात करें तो सबसे ज्यादा राहुल गांधी एक स्वाभाविक नेता के तौर पर देखे जा रहे हैं, न्याय यात्रा उन्होंने की..तो उनको प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर क्यों नहीं पेश किया जा सकता?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –लोग उनको चाहते हैं और उनकी मेहनत को समझ रहे हैं. कोई भी ऐसा नेता नहीं होगा, जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चला हो. उन्होंने न्याय यात्रा भी की. पूरे देश ने देखा कि कितनी मेहनत की और मैं खुद उनके साथ उनकी यात्रा में था, जहां मैंने देखा कि लोग बहुत ही प्रेम से उनसे मिले. उनकी मुश्किलों को राहुल ने समझा और ये एक प्रचार नहीं था. ये लोगों से मिलने की जरूरत उनको लगी और उन्होंने मेहनत की. लोगों से मिले और उनके दुख-दर्द को समझे. वो जरूर अपनी मेहनत से देश में आगे प्रगति लाएंगे. जो गठबंधन बना है, बहुत ही समझदार लोगों के साथ बना है. मुझे लगता है कि देश में जो बदलाव की जरूरत है, वो लेकर आएंगे और ये मेरा खुद का अनुभव है. मैं कोई प्रवक्ता नहीं हूं इडिया गठबंधन का, लेकिन ये मेरा अनुभव है. मैं बहुत लोगों से मिलता हूं. दफ्तर के बाहर और घर के बाहर. बहुत सारे लोग आते हैं और वो अपने दर्द और मुश्किलें बताते हैं तो उससे मेरा अनुभव है कि लोगों को बदलाव चाहिए.
सवाल – तो राहुल गांधी जी को इस बार हम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखेंगे ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –गठबंधन जो भी चाहेगा, जो भी उनको लगेगा, वो नेता होगा. जो देश के लोग चाहते हैं, कोई भी हो सकता है. राहुल में बहुत समझदारी है. उन्होंने अपनी दादी से, पिता से, सोनिया गांधी से बहुत सीखा है तो वो जरूर उसके लायक हैं कि वो अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो देश में जरूर प्रगति होगी और जरूर जो ये सांप्रदायिक तनाव है, ये दूर होगा. जैसे राजीव गांधी की सोच थी, उम्मीदें थीं तो वो आगे बढ़ेंगे देश के लिए.
सवाल- अभी कांग्रेस में कई बड़े नेता एक-एक करके पार्टी छोड़ते जा रहे हैं तो आप इसके पीछे क्या वजह मानते हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –मैं कहूंगा कि मैं बहुत ऐसे नेताओं से मिला हूं, अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं. उसमें काफी पार्टी के लोग आते हैं. चाहे हमारी विचारधारा अलग हो पर बहुत अच्छे से मिलते हैं. प्रेम से मिलते हैं. मुझे लगता है कि जो भी नेता छोड़कर जा रहे हैं या तो उनमें मेहनत करने की क्षमता नहीं है या कोई लालच देकर उनको खींचा जा रहा है या जो मंत्री पद से उनको मिलता है वो अगर मंत्री नहीं है तो उससे उनको परेशानी है कि उनका घर हट गया है या पहचान कम हो रही है. उनको बस टिकट चाहिए या पद चाहिए. तभी उस पार्टी में रहेंगे तो जिस लालच से खींचा जा रहा है तो वो उधर जा रहे हैं तो मुझे लगता है कि उनको अच्छे से विदा करते हैं. उनका भविष्य अच्छा रहे. बस यही उम्मीद करते हैं कि मेहनत करें, वो जहां भी हैं.
सवाल- अभी हाल ही में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का जो कार्यक्रम हुआ तो कांग्रेस को भी निमंत्रण दिया गया लेकिन वो स्वीकार नहीं किया तो क्या आपको लगता है कि ये ठीक नहीं था या इससे कांग्रेस को कोई नुकसान हो सकता है ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –मैं अभी कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं हूं तो मैं यही बोलूंगा कि कांग्रेस एक सेक्युलर पार्टी है और हर मजहब का सम्मान करती है. कांग्रेस धर्म की राजनीति से दूर रहती है. मुझे यही लगता है कि वो नहीं चाहते हैं कि देश टूटे. मुझे अपने धार्मिक दौरे पर सीखने के लिए बहुत कुछ मिलता है अलग-अलग लोगों से. जब लोग मुश्किल में होते हैं तो वो भगवान के पास जाते हैं तो अगर उनको बांटा जाएगा कि आपको मंदिर आना है या मस्जिद आना है या गुरुद्वारे आना है तो ये गलत होगा.
सवाल- प्रधानमंत्री मोदी लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं उन्होंने अभी हाल ही में कहा कि कांग्रेस का जो घोषणापत्र है उसमें मुस्लिम लीग की छाप है तो इस पर आप क्या कहना चाहेंगे ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –देखिए, प्रधानमंत्री के जो प्रचार करने के तरीके हैं, वो देश ने देखा है कि डर बिठा दिया है सबमें. एजेंसियों का दुरुपयोग होता है. जो उम्मीदवार हैं, उनके ऊपर जो पुराने केस हैं, उनको सामने लाते हैं चुनाव के समय. चुनाव के बाद वो मामले खत्म हो जाते हैं. उनका कोई नतीजा नहीं निकलता है. अभी हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला सामने आया है. पूरे देश ने देखा कि किस तरह से डोनेशन हुए. उसके बारे में जिक्र नहीं कर रहे हैं और जहां भी कांग्रेस की सरकारें हैं, उसको तोड़ने की कोशिश करते हैं. अब लोगों को पता है कि किस लालच से लोगों को तोड़ा जा रहा है और पब्लिक देख रही है. समझ भी रही है. कहीं भी कोई सरकार है तो उनको पूरा कार्यकाल करने की जरूरत है. अस्थिरता की जरूरत नहीं है. जहां सरकार विपक्ष की हो तो उनके लीडर को आप जेल में डालोगे या संसद से बाहर निकालोगे. आप किसी के घोषणापत्र पर कुछ भी कहोगे लेकिन अब लोग प्रगति की ओर देख रहे हैं. लोग चाहते हैं कि जो लीडर है, वो प्रगति की बात करे. जो मुश्किलें हैं, उसके सुधार की बात करे. मैनिफेस्टो पर इतना जोर देने से उन्हें लाभ नहीं होने वाला.
सवाल- युवाओं को लेकर आप क्या मानते हैं कि भारत में आगे बढ़ने के लिए जो अर्थव्यवस्था है, उसमें युवाओं का कितना बड़ा रोल आप मानते हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –देखिए, जो अर्थव्यवस्था है, देश को पता है कि बीजेपी सरकार गिने चुने लोगों को हर चीज बांट रही है. जो उद्योगपति हैं, उन्हें हर चीज दे रही है. उनके स्टॉक बढ़ते जा रहे हैं. किसानों की बात करें या जो भी वो बिल निकालते हैं वो भी, हर चीज जो उद्योगपति का ही होता है. बाकी जो युवा हैं, उनमें एक शक्ति है लेकिन अभी इस्तेमाल नहीं की जा रही है. बेरोजगारी बहुत जगह फैली हुई है और हर चीज ऑपटिक्स में है और लोगों में फ्रस्ट्रेशन होता है. जब देखते हैं कि ये सारा जो बोल रहे हैं कि हम अकाउंट में पैसे डालेंगे या हम आपके लिए इतने प्रोजेक्ट डालेंगे. जब इलेक्शन होता है, उससे पहले ही बताया जाता है कि हमने इतना डोनेशन किया है. युवाओं से अगर आप बात करोगे आप मिलोगे आप समझेंगे कि फ्रस्ट्रेशन है कि हमारे पास कोई ढंग का काम नहीं है और पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं. जितने पैसे आते हैं, उसमें न तो वो अपना मेडिकल का काम कर पाते हैं, न घर-गृहस्थी चला पाते हैं और वो उम्मीद कर रहे थे कि जो भी बोला जाएगा, वो किया जाएगा पर किया नहीं गया है. डिमोनेटाइजेशन होती है, उसमें मुश्किल पड़ती है, वो खाली ऑप्टिक्स होता है. बेरोजगारी सबसे बड़ी चीज है. महिला की सुरक्षा बहुत बड़ा मुद्दा है तो ये सारे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. तभी आपकी इकॉनोमी और यूथ आगे बढ़ेंगे. तभी भरोसा करेंगे नहीं तो जितनी भी पार्टियां आएंगी, उतना विभाजन होता रहेगा. जो भी उन्हें फ्री में या कम दाम में चीजें देगा, उसी के साथ वो जुड़ेंगे क्योंकि उनके पास इतना साधन नहीं है या काम नहीं है, जिससे वो अपनी आमदनी आगे बढ़ा पाएं. मेडिकली कुछ न कुछ होता है तो उनको लोन लेना पड़ता है और फिर बैंक बड़ी कंपनियों को लोन देते हैं पर छोटे वर्ग को नहीं मिलता है तो ये सारी चीजें हैं जो सोचना समझना है और देश में प्रगति तभी आएगी जब इस पर ध्यान दिया जाएगा. ये नहीं कि अभी मंदिर बनने में भी समय लगेगा. जितने पुजारी हैं वो भी नहीं गए थे. अगर हम ध्यान दें कि जो बेरोजगारी है या महिला की सुरक्षा है तो इन सारी चीजों को देखना बहुत जरूरी है.
सवाल – फ्रीबीज की आपने बात की तो आपको क्या लगता है कि फ्रीबीज होना चाहिए या इसकी एक सीमा होनी चाहिए ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –देखिए अगर आप खाली इलेक्शन से पहले इन चीजों का जिक्र करेंगे, बताएंगे कि हम उसी एरिया में जा रहे हैं, जहां इलेक्शन है, जहां हम दस हजार करोड़, 15 हजार करोड़ और ऐसे ऐसे बड़े नम्बर लेते हैं पर असल में हमें कभी कुछ दिखाई नहीं देता या पता नहीं चलता कि इस एरिया में अगर सर्वे करोगे कि असल में हुआ है ? लोगों को खुशी हुई? उनको काम मिला है ? और क्यों बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है ? अगर ये सारी चीजें हैं और जरुर करिए उस शहर के लिए, पूरे देश के लिए प्रगति होनी चाहिए, पर असल में हो भी रहा है या नहीं या ये खाली बातें हैं, और अफवाह है कि इतने काम क्रिएट करेंगे या इतने पैसे आपकी जेब में डालेंगे या खाते में डालेंगे क्योंकि परेशानियां लोगों की बहुत है. हम लोगों से मिलते हैं, जो भी मैं बोल रहा हूं अपने अनुभव से है कि मैं लोगों से मिलता हूं और उनकी मुश्किलें समझता हूं तो गरीबी बढ़ रही है उसके ऊपर ध्यान देना बहुत जरुरी है. मैं लोगों के साथ रहता हूं. हम सेवा करते हैं लोगों की. जो भी लोगों की जरुरत होती है हम अपने तरीके से बांटते हैं. इसलिए लोगों को लगा कि अगर आप सक्रिय राजनीति में आते हैं तो जो भी आप काम कर रहें हैं बड़े पैमाने पर कर पाएंगे. बहुत लोग आपके साथ और जुड़ेंगे. जब तक वो समय आता है, तब तक मैं तो लोगों के बीच में रहूंगा और अपनी मेहनत से लोगों की जो समस्या है, उसका सामाधान ढूंढूंगा और जो कर सकता हूं जरुर करुंगा. हम हर हफ्ते सेवा करते हैं. दफ्तर के बाहर या देश के हर कोने पर जहां भी बुलाया जाता है तो खाना परोसते हैं या कपड़े देते हैं या जो भी जरुरत है उसे पूरा करते हैं.
सवाल – आप चूंकी फिट रहते हैं और राहुल गांधी जी भी फिट रहते हैं तो फिटनेस इंडिया को लेकर मौजूदा सरकार कैंपेन चला रही है तो इस तरह के कैंपेन को आप कैसे देखते हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –देखिए आप जिस बात का भी जिक्र करेंगे वो दिखना चाहिए कि आदमी फिट है या नहीं, या खाली ऐसे ही लोगों को गलत चीजें बता रहा है. उस तरीके से अच्छा या आगे दिखा रहा है पर जितनी मेहनत करेंगे वो लोगों को पता चल जाता है. सुबह जल्दी उठते हैं. ढंग से खाते हैं. मेहनत करते हैं और यूथ में मेरा नाम इसलिए हुआ क्योंकि लोगों ने देखा है. अगर वो फिटनेस के बारे में लिखते हैं तो वो दिखाते भी हैं कि उन्होंने मेहनत की है. राहुल गांधी भी 4000 किलोमीटर तभी चल पाते हैं क्योंकि उनमें वो सोच और शहनशक्ति है. फिटनेस है तो कोई और अगर फिट इंडिया की बात करे तो सिर्फ एक दिन नहीं हर रोज उन्हें कर के दिखाना पड़ेगा और अपने यूथ को अपने साथ रखना पड़ेगा. जैसे मुझे दंगल या अलग-अलग कार्यक्रम में बुलाया जाता है लेकिन मैं वहां बस कार्यक्रम के लिए नहीं जाता. लोगों की उम्मीदें और जरुरतें समझ कर स्पोर्ट्स के द्वारा उनकी मदद करने की कोशिश करता हूं. जब भी किसी को मेडल मिलता है तो वो जरुर मुझसे मिलने आते हैं. आशीर्वाद लेते हैं क्योंकि उनको पता है उसके बारे में, पर हाल ही में जब महिला पहलवानों के साथ गलत हुआ, तब बीजेपी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. जिनको पद से हटाना था उनको तो हटाया नहीं बल्कि ऐसा दिखाया गया कि वो और कामयाब हैं. चाहें उन्होंने कुछ भी किया महिला पहिलवानों के साथ. और जो पहलवान हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से देश का नाम रोशन किया है, जिनके साथ गलत हुआ है, उनके साथ मैं बैठा हूं. मैंने उनकी परेशानियों को समझा तो वो मेरे साथ बात करेंगे. क्योंकि उनको पता है कि फिट इंडिया या अपने आप को फिट बुलाना आसान नहीं है. उसमें हर रोज की मेहनत होती है. सिर्फ एक दिन की मेहनत या योगा से नहीं होगा. जरुरी नहीं है किसी बॉलिवुड स्टार जैसे बनना है. अपनी मेहनत से बनो और वहां पहुंचो और ये बाहर से ही नहीं बल्कि मानसिक रुप से भी मजबूत बनना जरुरी है. किसी सप्लिमेंट की जरुरत नहीं होती. अपनी मेहनत से ही आगे बढ़ें. हर चीज में फिटनेस हो या काम तभी लंबे समय तक बना रहता है.
सवाल- क्योंकि आप राजनीति को लंबे समय से करीब से देख रहे हैं तो कोई भी इश्यू आता होगा पार्टी से रिलेटेड तो क्या आपस में कुछ सलाह या कोई मशवरा होता है ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –हम कोशिश करते हैं कि अपने घर पर ज्यादातर राजनीतिक बात न करें लेकिन अगर कोई मुश्किल होगी तो मैं, मेरे बच्चे बात करते हैं, क्योंकि हम प्रियंका की मेहनत को समझते हैं. लोगों के बीच में वो रहती हैं. रोड शो करती हैं. दिन-रात मेहनत करती हैं. कभी किसी को कोई मुश्किल है तो रात को निकल जाती हैं लोगों से मिलने किसी जीप में. किसी गांव में लोगों से मिलने चली जाती हैं, जो मुश्किल में हैं..पर फिर उनको गिरफ्तार किया जाता है. प्रशासन उन्हें गिरफ्तार कर लेता है, तो उस समय जरूर मेरे बच्चे और मैं थोड़े चिंतित रहते हैं उनकी सुरक्षा के लिए क्योंकि उनकी सुरक्षा हटा दी गई है. जो एसपीजी वगैरह थी उनको हटा दिया गया. और भी कई चीजें हैं, दफ्तर के बाहर, घर के बाहर..कई लोग आते हैं, जो अपना दुख बांटते हैं तो बातचीत जरूर रहती है..सुरक्षा की चिंता रहती है. राहुल गांधी भी मेहनत करते हैं. लेकिन हम ज्यादातर ये नहीं कहते कि क्या सही और क्या गलत है, क्योंकि वो उन्हें समझ है कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा क्या है? नेताओं की क्या सोच है तो उसमें हम बस अपनी तरफ ही रखते हैं. अपनी सीमा पार नहीं करते. जहां हमें लगता है कि हम सुरक्षा की बात करें और जो उनकी मेहनत है, उसको समझते हैं. अगर वो अच्छा बोलें तो जरुर उनकी तारीफ करते हैं.
सवाल- कांग्रेस के कुछ पुराने दिग्गज नेताओं की नाराजगी भी देखी गई, इसे आप किस तरीके से देखते हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –जो पुराने हैं..अगर जब भी किसी को पद से हटा दिया गया हो, या उनको टिकट नहीं दिया हो, या कोई भी उनकी बात नहीं मान रहा है.. कांग्रेस में मैंने देखा है कि सबकी अपनी राय और सुनवाई होती है. जो दूसरी पार्टियों मे नहीं होता है तो कांग्रेस में सब अपनी-अपनी बात रख सकते हैं. जो रुठ जाते हैं, हो सकता है वो आगे बढ़ना चाहें, या किसी और पार्टी में जाना चाहें, या खुद अपनी पार्टी बनाना चाहें.. ठीक है.. राहुल और खरगे जी को समझ है, अगर किसी ने मन बना लिया कि उन्हें किसी पद की जरूरत है तो वो किसी और पार्टी के साथ जॉइन करके आगे बढ़ते हैं.
सवाल- 400 पार का दावा कर रही है बीजेपी..आपका क्या कहना है ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –देखिए क्या है कि जब भी कोई इतने कांफिडेंस से बोलता है..जबकि काफी नाकामियां हैं, उनकी पार्टी की भी, तो जरूर लोग सोचते हैं कि ये तो ऐसे ही बोलेंगे क्योंकि कभी EVM का इश्यू बोलते हैं. कभी किसी और तरीके से सोचेंगे कि किसी को तोड़ दें. कुछ और नेताओं को खींच लेंगे...तो लोग सोचते हैं 400 पार तभी होगा, जब कुछ गड़बड़ी होगी. देश में इस वक्त डर का माहौल है कि कहीं कुछ मैसेज भेज रहे हैं तो क्या वो सही जा रहा है या गलत. कुछ बोल दिया तो मुझे गिरफ्तार तो नहीं कर लेंगे...अगर किसी कंपनी मे कुछ गड़बड़ी होती है तो उसकी जांच आयकर विभाग करता है, और पेनल्टी लगाता है लेकिन ये नहीं होता कि हर कंपनी पर ईडी का वार होता है और उसके बाद उनको काम करना मुश्किल होता है. इसलिए 2017- 18 से 21,000 तक उद्योगपति छोड़कर चले गए क्योंकि उनको पता है कि यहां काम करना बहुत मुश्किल है और सबने देखा कि चुनावी बॉन्ड की जब आप बात करते हैं तो पहले किसी का वैक्सीन अप्रूव होता है और वैक्सीन खरीदा जाता है और उसके बाद वही इलेक्टोरल बॉन्ड से डोनेशन करते हैं तो ये प्रगति नहीं लाएगी. लोग इसको डेमोक्रेसी नहीं मानते हैं कि आप नेताओं को तोड़ रहे हो किसी पार्टी से या ईवीएम पर संदेह होता है तो बहुत सारी ऐसी चीजें हैं, जो लोग भरोसा नहीं करते हैं. इलेक्शन से पहले उसका दुरुपयोग होता है और इलेक्शन के बाद मामला ही टल जाता है. मेरा तो यही सारा अनुभव है और सोच है. हम मेहनत करते रहेंगे, जो भी ये विभाजनकारी शक्तियां हैं. मेहनत करेंगे अपने तरीके से. जो मुश्किलें हैं उनका समाधान ढूंढेंगे और मैं अपने चैरिटी के द्वारा लोगों तक पहुंचूंगा और मिलूंगा उनसे.
सवाल- राजनीति से तो आपका इतना करीबी अनुभव रहा है परिवार में आप किस तरह से सपोर्ट करते हैं जहां प्रियंका गांधी जी की बात आती है ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –मैं हमेशा राजनीति से दूर रहा हूं और कुछ साल से मुझ पर अलग-अलग पार्टियों ने बेबुनियाद आरोप लगाए और उसका जवाब देने के लिए मुझे राजनीतिक तौर तरीके अपनाने पड़े और जरूर मैंने काफी 10 साल में सीखा है. अपनी मेहनत से सीखा है. लोगों के बीच में रहा हूं और जब ईडी ने पूछताछ के लिए मुझे समन भेजा, उस समय भी मैं 15 बार गया. 10-12 घंटे गया. मुझे समझ आई राजनीति की काफी सारी बातें क्योंकि ये एक पॉलिटिकल विचहंट था क्योंकि मैं इस परिवार का सदस्य हूं तो जरूर मैं अपनी राय रखता हूं क्योंकि मैं लोगों के बीच रहता हूं. लोग अगर राहुल और प्रियंका से नहीं मिल पाते तो मुझसे मिलते हैं. उनकी बात समझ के मैं आगे ले जाता हूं. जरूर लोग मेरी मेहनत को समझते हैं और समझते हैं कि मैंने राहुल, सोनिया गांधी और प्रियंका के साथ भी मेहनत की है और मैंने देखा है कि इस परिवार ने अपने प्यारों को खोया इस देश के लिए तो मैं अपनी राय रखता हूं पर जरूरी है कि दखलअंदाजी नहीं करता हूं. मैं मतलब समझता हूं कि मेरी एक सीमा है, उसको मैं पार नहीं करता हूं.
सवाल- आप घर में किस तरह से सपोर्ट करते हैं ?
रॉबर्ट वाड्रा का जवाब –हां जरूर, वो तो जैसे हर परिवार में होता है, मैं भी वैसा ही हूं..हम लोग जरूर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं. इकट्ठे..ट्रैवल जब करते हैं तो फिटनेस पर ध्यान देते हैं. हम ऐसी जगह जाते हैं, जहां कुछ अच्छा स्पोर्ट्स रिलेटेड एरिया, कुछ अपने आप करें..बिना सुरक्षा के वहां अपने आप रहें तो जरूर हमारी दिलचस्पी रहती है कि कोई नई नई चीज करें और समझें तो जैसे हर परिवार रहता है. वैसे सुख-दुख में इकट्ठे रहते हैं और अपनी चीजें समझते हैं. एक-दूसरे को समझते हैं और एकजुट होकर रहते हैं. मदद करते हैं. अपने आप को अपने सारे परिवार को पूरी मदद देते हैं, जिस भी तरीके से दे सकते हैं.
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