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This Article is From Feb 16, 2023

पश्चिम बंगाल की IAS को राज्यपाल कार्यालय से हटाया गया, राज्य भाजपा ने लगाए थे आरोप

राज्यपाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने से भाजपा नाराज है. सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में भाषण और राज्य विधानसभा में अपने संबोधन में राज्यपाल ने ममता बनर्जी की प्रशंसा की थी.

पश्चिम बंगाल की IAS को राज्यपाल कार्यालय से हटाया गया, राज्य भाजपा ने लगाए थे आरोप
नंदिनी चक्रवर्ती को राजभवन से पर्यटन विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है.
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस अपने मामलों को संभालने के लिए राजभवन में एक नई टीम का गठन करेंगे और इस दिशा में पहले कदम के तहत अपनी प्रमुख सचिव नंदिनी चक्रवर्ती को राजभवन से पर्यटन विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है. चक्रवर्ती, एक IAS अधिकारी हैं और उन पर पश्चिम बंगाल की भाजपा ने कई तरह के तरह के आरोप लगाए थे. राजभवन ने रविवार को उनके तबादले का अनुरोध किया और उन्हें उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया. बुधवार शाम को जारी गृह विभाग ने इस बाबत आदेश भी जारी किया है. 

राज्यपाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने से भाजपा नाराज है. सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में भाषण और राज्य विधानसभा में अपने संबोधन में राज्यपाल ने ममता बनर्जी की प्रशंसा की थी. पार्टी ने चक्रवर्ती पर राज्यपाल को कई मुद्दों पर "गुमराह" करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह राजभवन में राज्य सरकार के एजेंडे को चला रही थीं.

भाजपा की स्थानीय इकाई उन्हें हटाने की मांग कर रही थी. सूत्रों ने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई थी कि राज्यपाल ने नंदिनी चक्रवर्ती को बदलने के लिए मजबूर महसूस किया. राज्य भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने शनिवार को सीवी आनंद बोस से मुलाकात के बाद गवर्नर हाउस की कार्रवाई सामने आई है. सूत्रों ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से अधिकारी को हटाने का अनुरोध किया था. राज्यपाल के कार्यालय ने बैठक में भाजपा नेता द्वारा उठाए गए कई मुद्दों को सूचीबद्ध किया था, लेकिन बाद में जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस मामले का उल्लेख नहीं किया गया था.

भाजपा चाहती है कि नए राज्यपाल अपने पूर्ववर्ती और भारत के वर्तमान उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा अपनाए गए रास्ते पर चलें, जो कई मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ लगातार टकराते रहे हैं. उनके कार्यकाल में राजभवन और सरकार के रिश्ते पूरी तरह से टूट चुके थे. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने धनखड़ पर राजभवन को भाजपा कार्यालय के विस्तार में बदलने का आरोप लगाया था.

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