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'हम अब चैन की नींद सोएंगे...', सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर वाले फैसले पर क्या बोले मुस्लिम धर्मगुरु, पढ़ें

शिया धर्मगुरु यासूब अब्बास ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. कोर्ट के इस फैसले से आज तमाम लोग चैन की नींद सो पाएंगे, इस कार्रवाई से सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों का हो रहा था.

'हम अब चैन की नींद सोएंगे...', सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर वाले फैसले पर क्या बोले मुस्लिम धर्मगुरु, पढ़ें

बुलडोज़र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिया धर्मगुरु यासूब अब्बास ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. कोर्ट के इस फैसले से आज तमाम लोग चैन की नींद सो पाएंगे. उन्होंने कहा कि किसका घर वैध है और किसका अवैध, ये तय करना कोर्ट का काम है, ना कि शासन प्रशासन का. उन्होंने कहा कि यूं तो बुलडोजर की कार्रवाई सब पर हो रही थी, लेकिन इसका ज़्यादा नुकसान मुस्लिम समाज का हो रहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी की हैं गाइडलाइंस

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल में चलन में आए ‘बुलडोजर न्याय' पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में बुधवार को अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी किए और कहा कि कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते, आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि लोगों के घर सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा.

महिलाएं और बच्चे रातभर सड़कों पर रहें अच्छी बात नहीं

न्यायमूर्ति गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे रातभर सड़कों पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है. पीठ ने निर्देश दिया कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए और नोटिस जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए. पीठ ने निर्देश दिया कि ढहाने की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाए । पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यदि सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत निर्माण हो या अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया हो तो वहां उसके निर्देश लागू नहीं होंगे. इसने कहा कि संविधान और आपराधिक कानून के आलोक में अभियुक्तों और दोषियों को कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय प्राप्त हैं. उच्चतम न्यायालय ने देश में संपत्तियों को ढहाने के लिए दिशा-निर्देश तय करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी. (इनपुट्स भाषा से भी)
 

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