पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी विवाद के बीच दिल्ली पुलिस ने नफरत फैलाने वाले कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. इनमें कई नेताओं और धर्म गुरुओं के नाम शामिल हैं. पुलिस ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी को भी एफआईआर में नामजद किया है. जिसके बाद ओवैसी ने एक के बाद एक 11 ट्वीट करके दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं.
ओवैसी द्वारा किए गए 11 ट्वीट-
1. असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा, मुझे एफआईआर की एक कॉपी मिली है. यह पहली ऐसी प्राथमिकी मैंने देखी है जिसमें स्पष्ट ही नहीं है कि अपराध क्या किया गया है. कल्पना करें कि एक हत्या की एफआईआर में पुलिस हथियार या पीड़ित की मृत्यु का उल्लेख ही नहीं करती. मुझे नहीं पता कि मेरी किस विशिष्ट टिप्पणी को लेकर ये प्राथमिकी दर्ज की गई है.
1. I've received an excerpt of the FIR. This is the first FIR I've seen that's not specifying what the crime is. Imagine an FIR about a murder where cops don't mention the weapon or that the victim bled to death. I don't know which specific remarks of mine have attracted the FIR pic.twitter.com/0RJW1z71aN
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 9, 2022
2. ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली पुलिस में यती, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल आदि के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने का साहस नहीं है. मामले में देरी और कमजोर प्रतिक्रिया का यही कारण है. जबकि यति ने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार और इस्लाम का अपमान करके अपनी जमानत की शर्तों का बार-बार उल्लंघन किया है.
3. दिल्ली पुलिस शायद हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों को ठेस पहुंचाए बिना इन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का तरीका सोचने की कोशिश कर रही थी.
4. दिल्ली पुलिस "दोनों पक्षवाद" या "संतुलन-वाद" सिंड्रोम से पीड़ित है. एक पक्ष ने खुले तौर पर हमारे पैगंबर का अपमान किया है, जबकि दूसरे पक्ष का नाम भाजपा समर्थकों को समझाने और ऐसा दिखाने के लिए दिया गया है कि दोनों पक्षों द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है.
5. यह भी ध्यान दें कि अभद्र भाषा का प्रयोग सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं और सत्तारूढ़ दल के करीबी प्रमुख "धर्म गुरुओं" द्वारा किया गया. इसे सोशल मीडिया पर खूब फैलाया गया. मेरे मामले में एफआईआर में यह भी नहीं लिखा है कि आपत्तिजनक क्या था.
6. यति, जनसंहार संसद गैंग, नूपुर, नवीन आदि कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते इसके आदि हो गए हैं. हल्की फुल्की कार्रवाई तभी की गई जब हफ्तों तक आक्रोश या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा या कोर्ट की पुलिस पर सख्ती के बाद हुई.
7. इसके विपरीत, मुस्लिम छात्रों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं को केवल मुस्लिम होने के चलते जेल में डाल दिया गया.
8. हिंदुत्व संगठनों की एक संस्कृति है जहां अभद्र भाषा और उग्रवाद को प्रमोशन के साथ पुरस्कृत किया जाता है. उदाहरण के लिए, योगी की नफरत को लोकसभा सीट और सीएमशिप के साथ पुरस्कृत किया गया.
9. मोदी के नफरत भरे भाषणों को इसी तरह पुरस्कृत किया गया. वास्तव में जिन लोगों ने मुझे गोली मारने की कोशिश की, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि वे प्रमुख हिंदुत्व राजनेता बन सकें. यह संस्कृति खत्म होनी चाहिए.
10. अगर मोदी ईमानदार होते तो वे नकली बैलेंस-वाद में शामिल हुए बिना अभद्र भाषा पर सख्ती दिखाते. जातिसंहार से नफरत करने वालों को पदोन्नति पाने के बजाय गैर-जमानती कठोर कानूनों के तहत जेल में डाल दिया जाए.
11. जहां तक मेरे खिलाफ प्राथमिकी का सवाल है, हम अपने वकीलों से परामर्श करेंगे और जब भी आवश्यकता होगी, इसका समाधान करेंगे. हम इन हथकड़ों से डरेंगे नहीं. अभद्र भाषा की आलोचना करने वाले और अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले की तुलना नहीं की जा सकती.
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