राज्य में जुआघर उद्योग से आने वाली आय से ही गोवा के विधायकों को उनकी तनख्वाह मिल रही है, यह बात बुधवार को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक किरण कंदोलकर ने बुधवार को कही। किरण के बयान पर राज्य विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ।
थिविम विधानसभा क्षेत्र से विधायक किरण ने राज्य में जुआघरों को प्रतिबंधित न करने संबंधी भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के फैसले का बचाव कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि 2012 में राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि वह चुनाव जीतने पर जुआघरों पर प्रतिबंध लगा देगी।
कंदोलकर ने कहा, "विधायकों के सभी वेतन जुआघरों से प्राप्त राजस्व से आते हैं। क्या आप यह कह रहे हैं कि हमें राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। आपको अपना वेतन कहां से मिल रहा है।"
कंदोलकर के बयान से विपक्ष आक्रोशित हो गया। कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायिका की पवित्रता को धूमिल कर रही है। कांग्रेस विधायक रोजिनाल्डो लौरेंसो ने कहा, "आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? यह सच नहीं है।"
मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि जुआघर उद्योग से राज्य को हर साल 80 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। राज्य में पहली बार विधायक बनने वालों को हर माह एक लाख रुपये का वेतन भत्ता मिलता है। वहीं वरिष्ठ विधायकों का वेतन भत्ता 1.25 लाख है।
गोवा में चार ऐसे जुआघर हैं जो समुद्र में स्थित हैं। इनका परिचालन पणजी की मंडोवी नदी में होता है। इनमें हर साल सैंकड़ों जुआरी आते हैं। ज्यादातर अपतटीय जुआघरों की स्थापना 2007 से 2012 के दौरान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी।
कई सालों से जुआघरों के खिलाफ अभियान चला रही भारतीय जनता पार्टी ने 2012 के चुनावों से पहले वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो नदी में बने सभी जुआघर हटा दिए जाएंगे।
सत्ता में आने के बाद हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर और मौजूदा मुख्यमंत्री पारसेकर अपने वादे से पलट गए। पारसेकर ने इस माह की शुरुआत में कहा था कि अगर राज्य में चल रहे जुआघरों को बंद कर दिया जाता है तो इससे निवेशकों के बीच गलत छवि बनेगी।
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