मसर्रत आलम की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बीजेपी महासचिव राम माधव ने दो टूक कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार को अलगाववादी मसर्रत आलम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। माधव ने कहा कि 'बीजेपी वहां सरकार में पाकिस्तानी नारेबाजी करने या स्पेस देने के लिए नहीं है। वहां ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा तभी राज्य में विकास संभव है।'
राज्य में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राम माधव ने एनडीटीवी से कहा कि 'मसर्रत आलम को रिहा करने का फैसला कानूनी आधार पर किया गया था। वो अगर उसका फायदा उठाने का प्रयास कर रहा है तो उसको बख्शा नहीं जाए। हमारा राज्य सरकार से यही आग्रह है। जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी झंडे फहराए उन पर कठोर कार्रवाई हो, यही हमारा आग्रह है। इनके खिलाफ कड़ी धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है मगर आगे और कड़ी कार्रवाई की जाए।'
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने पीडीपी नेतृत्व को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। बीजेपी और केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करे। ये माना जा रहा है कि आलम को जल्द ही फिर या तो गिरफ्तार किया जा सकता है या फिर उसे नजरबंद किया जा सकता है। उसे त्राल नहीं जाने दिया जाएगा जहां वो शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के लिए जाना चाहता है।
हालांकि पीडीपी की ओर से भी बीजेपी को कई दलीलें दी गईं। पीडीपी का कहना था कि अलगाववादी मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसका कहना है कि मुट्ठी भर लोग जमा होकर अगर प्रदर्शन करें तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो पूरी घाटी के लोगों की नुमाइंदगी कर रहे हैं।
सरकार का कहना है कि गीलानी को लेकर पहले भी इस तरह के प्रदर्शन होते रहे हैं। मगर जिस तरह से पाकिस्तान के झंडे फहराए गए और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की गई उससे माहौल बिगड़ने की आशंका है। इसीलिए सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि आगे फिर ऐसा न हो इसलिए अभी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
हालांकि पीडीपी के साथ गठबंधन को लेकर बीजेपी अभी दोबारा विचार नहीं कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि आलम को लेकर पीडीपी नेतृत्व ने भी सख्ती दिखाई है और वहां की घटनाओं के लिए वो भी बराबरी की जिम्मेदार है।
राज्य में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राम माधव ने एनडीटीवी से कहा कि 'मसर्रत आलम को रिहा करने का फैसला कानूनी आधार पर किया गया था। वो अगर उसका फायदा उठाने का प्रयास कर रहा है तो उसको बख्शा नहीं जाए। हमारा राज्य सरकार से यही आग्रह है। जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी झंडे फहराए उन पर कठोर कार्रवाई हो, यही हमारा आग्रह है। इनके खिलाफ कड़ी धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है मगर आगे और कड़ी कार्रवाई की जाए।'
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने पीडीपी नेतृत्व को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। बीजेपी और केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करे। ये माना जा रहा है कि आलम को जल्द ही फिर या तो गिरफ्तार किया जा सकता है या फिर उसे नजरबंद किया जा सकता है। उसे त्राल नहीं जाने दिया जाएगा जहां वो शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के लिए जाना चाहता है।
हालांकि पीडीपी की ओर से भी बीजेपी को कई दलीलें दी गईं। पीडीपी का कहना था कि अलगाववादी मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसका कहना है कि मुट्ठी भर लोग जमा होकर अगर प्रदर्शन करें तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो पूरी घाटी के लोगों की नुमाइंदगी कर रहे हैं।
सरकार का कहना है कि गीलानी को लेकर पहले भी इस तरह के प्रदर्शन होते रहे हैं। मगर जिस तरह से पाकिस्तान के झंडे फहराए गए और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की गई उससे माहौल बिगड़ने की आशंका है। इसीलिए सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि आगे फिर ऐसा न हो इसलिए अभी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
हालांकि पीडीपी के साथ गठबंधन को लेकर बीजेपी अभी दोबारा विचार नहीं कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि आलम को लेकर पीडीपी नेतृत्व ने भी सख्ती दिखाई है और वहां की घटनाओं के लिए वो भी बराबरी की जिम्मेदार है।
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