वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लोकसभा में पेश कर दिया गया है. लोकसभा में जैसे ही बिल पेश किया गया वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने का विरोध करना शुरू कर दिया, विपक्ष ने बिल को संविधान और संघवाद के खिलाफ बताया. जिस पर JDU नेता ललन सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि यह बिल मुसलमान विरोधी बताया जा रहा है. यह बिल्कुल गलत बात है. यहां अयोध्या मंदिर का उदाहरण दिया जा रहा है. मंदिर और संस्था में अगर आपको फर्क समझ नहीं आ रहा है, तो आप कौन सा तर्क खोज रहे हैं. यह मंदिर नहीं है. आपकी मस्जिद से छेड़छाड़ का प्रयास नहीं किया जा रहा है. यह कानून से बनी संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए है. कोई भी संस्था निरंकुश होगी तो सरकार को कानून बनाने का पूरा अधिकार है. इसकी तुलना मंदिर से करना गलत है.
'आपकी मस्जिद से छेड़छाड़ का प्रयास नहीं है..'
— NDTV India (@ndtvindia) August 8, 2024
पंचायती राज मंत्री और जेडीयू सांसद ललन सिंह ने विपक्षी सांसदों को जवाब देते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल एक निरंकुश संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है. #WaqfBoardBill । #LalanSingh । #Loksabha pic.twitter.com/iILOOBNGoz
बिल पेश करते ही सदन में हंगामा
लोकसभा में इस बिल को अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया. जैसे ही इस बिल को सदन मे पेश किया गया वैसे ही विपक्षी दलों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया. आपको बता दें कि वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन बिल 2024 के जरिए 44वां करने जा रही है. केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले कहा था कि इस बिल को पेश करना मकसद वक्फ की संपत्तियों का सुचारू रूप संचालित करना और उसकी देखरेख करना है. सदन में इस बिले के पेश होते ही विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया. समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि ये बिल मुसलमानों के साथ अन्याय करने जैसा है और हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, इस बिल का खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा. यह किसी धर्म में हस्तक्षेप करने जैसा है. कुरान या इस्लाम में क्या लिखा है, ये आप तय नहीं करेंगे.
केसी वेणुगोपाल ने वक्फ संशोधन बिल पर कही ये बात
केरल के अलपुझा से कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने वक्फ बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह बिल तो संविधान के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि बिल में प्रावधान है गैर मुस्लिम गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे. मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अयोध्या पर कमिटी का गठन किया था. क्या कोई भी ये सोच सकता है कि कोई गैर-हिंदू इस बोर्ड में हो सकता है. इस बिल का यह प्रावधान है कि गैर-मुस्लिम काउंसिल का सदस्य होगा, ये तो पूरी तरह से आस्था और धर्म की स्वतंत्रता पर हमला है. यह बिल संविधान पर हमला है. आज आप मुस्लिमों के खिलाफ जा रहे है, कल ईसाइयों और जैन के खिलाफ भी जाएंगे.
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