नई दिल्ली:
व्यापम के जरिए MBBS की पढ़ाई करने वाले 634 छात्रों के मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए सीबीआई से पूछा, व्यापम में 2008 से 2012 तक के बीच मामलों की जांच क्यों नहीं की?
कोर्ट ने पूछा कि जो शिकायतें दर्ज की गईं थी, उनका क्या हुआ और सीबीआई को साफ कहा कि जब सारे मामलों की जांच के लिए कहा गया था तो ये भी उसी का हिस्सा हैं। कोर्ट ने सीबीआई से यह भी पूछा कि 2008 से 2012 के दौरान क्या किसी छात्र के खिलाफ कार्रवाई हुई।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने कहा था कि ये तो साफ है कि इन छात्रों ने घूस देकर कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई की। यानी आपने उन छात्रों की जगह ली जो सही तरीके से दाखिला लेकर पढ़ाई कर सकते थे। अब सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल यह है कि क्या कोर्ट अपने संविधान की प्रावधान 142 का अधिकार का इस्तेमाल कर इन छात्रों को रियायत दे दे। या फिर कोर्ट ये तय करे कि इस तरीके से धोखाधड़ी करने वालों को कोई छूट नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम मामले की सुनवाई करते हुए आज एक अहम टिप्पणी भी कही और कहा, व्यापम घोटाला राष्ट्रीय स्तर का है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यापम घोटाला हमें बेहद चौंका रहा है क्योंकि साल दर साल घोटाले होते रहे हैं। ये मामला किसी नौजवान बच्चे की रोटी चुराने का नहीं है। हमने हमेशा छात्रों का साथ दिया है, लेकिन यहां तो हर साल घोटाले हुए हैं। अगर ऐसे घोटालों पर हम अपनी आंखें बंद किए रहेंगे तो ये रुकेंगे ही नहीं।
कोर्ट ने कहा लोग देश के अलग-अलग कोने से आकर परीक्षा देते हैं और घोटाले के जरिये वे चुन भी लिए जाते हैं, लेकिन उन छात्रों का क्या जो पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं और इन घोटालों की वजह से उनका चुनाव नहीं हो पाता। ये मामला केवल सामूहिक नक़ल का नहीं है यहां तो रोल नंबर भी बदले गए हैं। ये एक सामूहिक घोटाले की ओर इशारा करता है। व्यापम घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पर भी सवाल उठाए हैं।
कोर्ट ने कहा कि बुधवार को राज्य सरकार को इन सवालों के जवाब देने होंगे। हमें बताएं कितने घोटाले व्यापम की तरह राज्य में हुए हैं। हमें पटवारी से लेकर पीसीएस की भर्ती तक की जानकारी चाहिए। अगर कोई ऐसा घोटाला हुआ है तो उसकी पूरी जानकारी राज्य सरकार हमें दे। राज्य सरकार को ये भी बताना है कि अगर घोटाले हुए हैं तो उनकी जांच कहां तक पहुंची है।
वहीं, कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि व्यापम घोटाले की जांच कहां तक पहुंची है और वो कब तक पूरी हो जाएगी?
क्या है मामला
व्यापम घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई 2016 को अहम फैसला सुनाया था। दो जजों की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए। फैसले सामूहिक नकल मे जुड़े 634 छात्रों के संबंध में थे।
सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलमेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी। इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा।
वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था। मध्य प्रदेश के व्यापम में सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच का एडमिशन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी।
कोर्ट ने पूछा कि जो शिकायतें दर्ज की गईं थी, उनका क्या हुआ और सीबीआई को साफ कहा कि जब सारे मामलों की जांच के लिए कहा गया था तो ये भी उसी का हिस्सा हैं। कोर्ट ने सीबीआई से यह भी पूछा कि 2008 से 2012 के दौरान क्या किसी छात्र के खिलाफ कार्रवाई हुई।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने कहा था कि ये तो साफ है कि इन छात्रों ने घूस देकर कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई की। यानी आपने उन छात्रों की जगह ली जो सही तरीके से दाखिला लेकर पढ़ाई कर सकते थे। अब सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल यह है कि क्या कोर्ट अपने संविधान की प्रावधान 142 का अधिकार का इस्तेमाल कर इन छात्रों को रियायत दे दे। या फिर कोर्ट ये तय करे कि इस तरीके से धोखाधड़ी करने वालों को कोई छूट नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम मामले की सुनवाई करते हुए आज एक अहम टिप्पणी भी कही और कहा, व्यापम घोटाला राष्ट्रीय स्तर का है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यापम घोटाला हमें बेहद चौंका रहा है क्योंकि साल दर साल घोटाले होते रहे हैं। ये मामला किसी नौजवान बच्चे की रोटी चुराने का नहीं है। हमने हमेशा छात्रों का साथ दिया है, लेकिन यहां तो हर साल घोटाले हुए हैं। अगर ऐसे घोटालों पर हम अपनी आंखें बंद किए रहेंगे तो ये रुकेंगे ही नहीं।
कोर्ट ने कहा लोग देश के अलग-अलग कोने से आकर परीक्षा देते हैं और घोटाले के जरिये वे चुन भी लिए जाते हैं, लेकिन उन छात्रों का क्या जो पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं और इन घोटालों की वजह से उनका चुनाव नहीं हो पाता। ये मामला केवल सामूहिक नक़ल का नहीं है यहां तो रोल नंबर भी बदले गए हैं। ये एक सामूहिक घोटाले की ओर इशारा करता है। व्यापम घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पर भी सवाल उठाए हैं।
कोर्ट ने कहा कि बुधवार को राज्य सरकार को इन सवालों के जवाब देने होंगे। हमें बताएं कितने घोटाले व्यापम की तरह राज्य में हुए हैं। हमें पटवारी से लेकर पीसीएस की भर्ती तक की जानकारी चाहिए। अगर कोई ऐसा घोटाला हुआ है तो उसकी पूरी जानकारी राज्य सरकार हमें दे। राज्य सरकार को ये भी बताना है कि अगर घोटाले हुए हैं तो उनकी जांच कहां तक पहुंची है।
वहीं, कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि व्यापम घोटाले की जांच कहां तक पहुंची है और वो कब तक पूरी हो जाएगी?
क्या है मामला
व्यापम घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई 2016 को अहम फैसला सुनाया था। दो जजों की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए। फैसले सामूहिक नकल मे जुड़े 634 छात्रों के संबंध में थे।
सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलमेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी। इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा।
वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था। मध्य प्रदेश के व्यापम में सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच का एडमिशन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सुप्रीम कोर्ट, व्यापम, मध्य प्रदेश, शिवराज सिंह चौहान सरकार, Supreme Court, Vyapam, Madhya Pradesh, Shivraj Singh Chauhan