मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
भोपाल:
व्यापमं घोटाले की कवरेज के दौरान टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की मौत पर दुख जताते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं बहुत दुखी हूं। एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पत्रकार अक्षय सिंह की आकस्मिक बीमारी से निधन हो गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हम उन्हें बचा नहीं सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, पत्रकार के परिवार को अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। गुजरात में डॉक्टरों की एक टीम ने उनके शव का पोस्टमार्टम किया और इसकी वीडियोग्राफी कराई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकार की मौत की जांच SIT से कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापम घोटाले की जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है। जांच में जैसे-जैसे तथ्य आए कार्रवाई होती गई।
शिवराज ने कहा कि अगर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इस घोटाले की जांच सीबीआई सहित किसी और एजेंसी से कराना चाहता है, तो उनकी सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। गोरतलब है कि कांग्रेस अन्य एजेंसी से इस घोटाले की जांच कराने की मांग कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह मैं ही था, जिसने व्यापमं मामला सामने आने के बाद इसकी जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपी थी। इसके बाद जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, तो उसने (अदालत ने) खुद जांच की निगरानी का फैसला लिया।
इस घोटाले में उनकी सरकार में शामिल लोगों की संलिप्तता के आरोपों पर सफाई देते हुए चौहान ने कहा कि मामले की जांच पर उनकी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि यह सीधे तौर पर हाईकोर्ट की निगरानी में की जा रही है और यह निगरानी वह (अदालत) हर सप्ताह करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, पत्रकार के परिवार को अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। गुजरात में डॉक्टरों की एक टीम ने उनके शव का पोस्टमार्टम किया और इसकी वीडियोग्राफी कराई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकार की मौत की जांच SIT से कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापम घोटाले की जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है। जांच में जैसे-जैसे तथ्य आए कार्रवाई होती गई।
शिवराज ने कहा कि अगर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इस घोटाले की जांच सीबीआई सहित किसी और एजेंसी से कराना चाहता है, तो उनकी सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। गोरतलब है कि कांग्रेस अन्य एजेंसी से इस घोटाले की जांच कराने की मांग कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह मैं ही था, जिसने व्यापमं मामला सामने आने के बाद इसकी जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपी थी। इसके बाद जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, तो उसने (अदालत ने) खुद जांच की निगरानी का फैसला लिया।
इस घोटाले में उनकी सरकार में शामिल लोगों की संलिप्तता के आरोपों पर सफाई देते हुए चौहान ने कहा कि मामले की जांच पर उनकी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि यह सीधे तौर पर हाईकोर्ट की निगरानी में की जा रही है और यह निगरानी वह (अदालत) हर सप्ताह करती है।
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