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This Article is From Mar 18, 2024

Vidisha Lok Sabha Seat: शिवराज विदिशा सीट से छठी बार मैदान में...क्या कांग्रेस भेद पाएगी बीजेपी का ये किला?

Lok Sabha Elections 2024 से पहले NDTV INDIA लेकर आया है KYC यानी Know Your Constituency सीरीज. इस सीरीज में आज बाद मध्यप्रदेश के विदिशा लोकसभा सीट की. यहां से फिलहाल सांसद हैं बीजेपी के रमाकांत भार्गव (Ramakant Bhargava)पर अब बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) पर दांव खेला है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या कांग्रेस शिवराज के खिलाफ कोई बड़ा नाम उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बनाएगी? क्या आगामी General Election 2024 में भी विदिशा सीट BJP के लिए अजेय दुर्ग बनी रहेगी?

Lok Sabha Elections 2024:सम्राट अशोक,अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज, कैलाश सत्यार्थी, रामनाथ गोयनका और शिवराज सिंह चौहान...ये ऐसे नाम हैं जो अपने-अपने क्षेत्र के महारथी रहे हैं...लेकिन इन सबके बीच एक चीज कॉमन है...जानते हैं वो क्या है?...वो है विदिशा....चौंकिए नहीं हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के प्राचीन शहर विदिशा की.जी हां विदिशा लोकसभा सीट तो 1967 में अस्तित्व में आई लेकिन इस शहर का भारत के इतिहास में खासा महत्व है. महान मौर्य सम्राट बनने से पहले अशोक विदिशा के ही गर्वनर थे...प्रधानमंत्री बनने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा से सांसद चुने गए थे...जाहिर जो शहर इतना प्राचीन होगा वहां की सियासत भी दिलचस्प होगी...लोकसभा चुनाव की विशेष सीरीज में आज हम बात करेंगे विदिशा लोकसभा की...

आप जब मध्यप्रदेश का मैप देखिएगा तो विदिशा आपको करीब-करीब इसके बीच में दिखाई देगा. इस सीट ने प्रदेश को मुख्यमंत्री, देश को प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और नोबेल पुरस्कार विजेता दिए हैं. 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी विदिशा में ही जन्मे हैं...ऐसे में इस वीआईपी सीट का सियासी हिसाब-किताब जानने से पहले खुद इसका इतिहास भी जानना जरूरी हो जाता है. दरअसल मध्य भारत की बेहद प्राचीन नगरी रही है. पाली साहित्य में इसका नाम बेसनगर मिलता है. यह उस समय ये शुंग साम्राज्य के पश्चिम प्रांत की राजधानी थी. इतना ही नहीं महान मौर्य सम्राट अशोक पाटलिपुत्र की गद्दी पर बैठने से पहले विदिशा के ही गवर्नर थे. कालिदास के मेघदूत के मुताबिक उन्होंने यहीं की बेटी से विवाह भी किया था. विदिशा से महज तीन किलोमीटर दूर उदयगिरी की पहाड़ियों में कई ऐतिहासिक गुफाएं हैं. जैन धर्म के प्राचीनतम स्मारकों में एक विदिशा के सिरोनी में है जहां आठवें तीर्थंकर चंद्रनाथ की मूर्ति मिली है. इसके अलावा गिरधारीजी का मंदिर,जटाशंकर और महामाया का मंदिर भी इस जिले की समृद्ध विरासत को बयां करता है.

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अब बात विदिशा के सियासी सफर की. विदिशा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास आजादी के 20 साल बाद 1967 से शुरू होता है. तब हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ से शिव शर्मा ने चुनाव जीता. 1971 में जनसंघ के टिकट पर यहां की जनता ने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संस्थापक रामनाथ गोयनका को अपना सांसद चुना जबकि गोयनका को हमेशा ही सत्ता विरोधी रूख रखने के लिए जाना जाता है.कांग्रेस का खाता इस सीट पर 1980 में खुला था...जब इंदिरा कांग्रेस के प्रतापभानु कृष्णगोपाल ने जीत दर्ज की थी.ऐसा माना जाता है कि यहां के सांसद राघव जी ग्वालियर से चुनाव लड़ने चले गए थे इस विजह से प्रतापभानु को लगातार दो बार जीत मिली..लेकिन 1989 में राघवजी ने यहां बीजेपी का कमल खिलाया और उसके बाद से लेकर अब तक यह सीट भगवा रंग में ही रंगी है.साल 1991 के चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां से चुनाव लड़े और जीते लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया. दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक करियर बना दिया. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वाजपेयी ने यहां की सीट छोड़ी तो उन्हीं की अनुशंसा पर बीजेपी ने यहां से शिवराज को मैदान में उतारा. 

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जिसके बाद तो शिवराज ने लगातार पांच बार संसद में विदिशा का प्रतिनिधित्व किया और इस सीट को बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित बना दिया. तभी तो बीजेपी को जब सुषमा स्वराज को लोकसभा में भेजने की जरूरत महसूस हुई तो पार्टी ने उन्हें विदिशा भेजा. वे यहां से लगातार दो बार सांसद रहीं. मतलब इस सीट से जीतने के बाद वाजपेयी PM बने, सुषमा विदेश मंत्री और शिवराज मुख्यमंत्री बने.वर्तमान में भी बीजेपी के रमाकांत भार्गव यहां से सांसद हैं. विदिशा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें भोजपुर,सांची,सिलवानी, विदिशा,बासोदा,बुदनी,इछावर और खातेगांव शामिल है. खास बात यह है कि आठ विधानसभाओं में से सात विधानसभा सीटों पर बीजेपी काबिज है, जबकि एक मात्र सिलवानी सीट कांग्रेस के पास है. कांग्रेस के देवेन्द्र पटेल सिलवानी से विधायक हैं.चुनाव आयोग के डाटा के मुताबिक साल 2019 में विदिशा सीट पर मतदाओं की संख्या 17 लाख 41 हजार से ज्यादा थी. जिसमें से 9 लाख 19 हजार मतदाता पुरुष और 8 लाख 21 हजार से ज्यादा महिला मतदाता शामिल हैं. विदिशा की 76 फीसदी जनसंख्या शहरी और 23 फीसदी जनता गावों में निवास करती है जबकि 88 प्रतिशत आबादी हिंदू और 10 फीसदी आबादी मुस्लिम है. बहरहाल साल 2014 के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी ने छठी बार यहां से चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे सवाल ये है कि  क्या शिवराज यहां से जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे और यदि बना पाए तो केन्द्र में उन्हें कौन सी भूमिका मिलेगी...क्योंकि विदिशा का पुराना रिकॉर्ड अपेक्षाएं बढ़ाता है. 

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