आज हम आपको एक ऐसे अवॉर्ड विनिंग आर्टिस्ट की कहानी बताने जा रहे हैं, जो रोजी-रोटी के लिए रिक्शा चलाने को मजबूर हैं. आर्टिस्ट को अबतक कई पुरस्कार मिल चुके हैं. हाल ही में, एक ट्विटर यूजर ने खुलासा किया कि जब उसने एक ऑटो लिया तो वह 'निराश' हो गया और ड्राइवर सैयद एजाज शाह, एक बेहद प्रतिभाशाली कलाकार है. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, खावर खान अचकजई ने कश्मीर की गलियों में पुरस्कार विजेता कारीगर के साथ अपनी मुलाकात के बारे में कहानी साझा की.
The only worth (but disheartening) thing about today's traffic jam was taking an auto and recognising the driver to be Syed Aijaz, an award winning paper-machie artisan who has received numerous accolades. His work has been recognised and awarded in South Africa, (1/n) pic.twitter.com/IfTglwGSvl
— Khawar Khan Achakzai (@khawar_achakzai) April 19, 2023
उन्होंने ट्वीट में लिखा, "ऑटो ड्राइवर सैयद एजाज से मुलाकात हुई जो एक पुरस्कार विजेता पेपर-माची कारीगर है, जिसे कई पुरस्कार मिले हैं. उनके काम को दक्षिण अफ्रीका में पहचाना और सम्मानित किया गया है."
आगे उन्होंने लिखा, "मिस्टर एजाज ने कई सम्मान जीते हैं, जिसमें भारतीय कपड़ा मंत्रालय से एक राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल है और बीबीसी सहित कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं द्वारा कवर किया गया है. हालांकि, उन्होंने अपनी कला के माध्यम से गुज़ारा करने के लिए संघर्ष किया और इसके बजाय उन्हें एक ऑटो रिक्शा चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
India (National award from Indian ministry of textiles) and many other places including two State handicrafts awards. Aijaz has featured in various international journals including BBC. He has visited many countries as a guest and trainer and has imparted (2/n) pic.twitter.com/fokjZQHDkq
— Khawar Khan Achakzai (@khawar_achakzai) April 19, 2023
ट्वीटर यूजर ने लिखा, ''उन्होंने एक अतिथि और प्रशिक्षक के रूप में कई देशों का दौरा किया है और दुनिया भर के छात्रों को अपना कौशल प्रदान किया है. लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें ऑटो चलाने के लिए मजबूर कर दिया. कश्मीर में कला और शिल्प से बहुत कम पैसा मिलता है. इससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पाते थे."
बातचीत के दौरान, एजाज ने अफसोस जताया कि ये 'शिल्प अब 5-10 साल से ज्यादा नहीं चलेंगे. हालांकि, कठिनाइयों के बावजूद, एजाज यह सुनिश्चित करते हैं कि वह हर दिन सुबह और शाम अपनी कला के लिए समय निकालें.
his skills to students all over the world. But circumstances forced him take over driving a Tuk-Tuk. Arts and crafts in Kashmir make a meagre amount of money. He could not feed his family from it. To him, Tuk-Tuk does better than awards and recognitions. (3/n) pic.twitter.com/3pYNHyijo2
— Khawar Khan Achakzai (@khawar_achakzai) April 19, 2023
ट्वीटर यूजर ने लिखा, "एजाज साहब एक बेहतरीन इंसान हैं. वह अभी भी हर दिन सुबह और शाम अपनी कला के लिए समय निकालते हैं. वह अपना दिन अपने ऑटो पर बिताता है और अंत में रंग और शिल्प कौशल की अपनी खूबसूरत दुनिया में वापस आ जाता है. अपने अधूरे चित्रों और अधूरे सपनों पर काम कर रहे हैं."
बीबीसी के अनुसार, काग़ज़ की लुगदी एक शिल्प है जिसे 14वीं शताब्दी में फ़ारसी कारीगरों द्वारा कश्मीर लाया गया माना जाता है. हालांकि, कला ने अपनी अपील खो दी है, संघर्षरत कारीगरों को अन्य नौकरियों की ओर मुड़ने के लिए मजबूर किया जाता है.
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