विज्ञापन
This Article is From Sep 19, 2020

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों ने पत्र लिखकर BMHRC पर लापरवाही का लगाया आरोप

1984 के यूनियन कार्बाइड आपदा में जीवित बचे लोगों के साथ काम करने वाले संगठनों ने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर आरोप लगाया है कि अस्पताल आपराधिक लापरवाही और कुप्रबंधन का दोषी है.

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों ने पत्र लिखकर BMHRC पर लापरवाही का लगाया आरोप
भोपाल गैस त्रासदी से बचे लोगों के समूह ने कहा कि वो कोविड -19 से अधिक प्रभावित हुए हैं
भोपाल:

1984 के यूनियन कार्बाइड आपदा में जीवित बचे लोगों के साथ काम करने वाले संगठनों ने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर आरोप लगाया है कि अस्पताल आपराधिक लापरवाही और कुप्रबंधन का दोषी है. क्योंकि पिछले 15 दिनों में अस्पताल के अलग-थलग वार्ड में COVID-19 से पीड़ित छह गैस पीड़ितों की मौत हुई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति को लिखे एक पत्र में भोपाल के छह गैस त्रासदी पीड़ितों का ब्योरा साझा किया गया है. जिनकी मौत आइसोलेशन वार्ड में हुई है. संगठन का कहना है कि अस्पताल में कोई भी पूर्णकालिक डॉक्टर कोविड ​​-19 रोगियों के इलाज के लिए तैनात नहीं था.

बताते चले कि BMHRC भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल है और वर्तमान में इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा चलाया जा रहा है.भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरूष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा, "हमारे पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक ICMR द्वारा तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं, तब तक कई भोपाल वासी कोविड ​​-19 से पीड़ित होंगे और इससे मरेंगे. भोपाल में हुए कोरोना संक्रमितों की मौत में 60 प्रतिशत गैस पीड़ित लोग ही हैं जबकि उनकी संख्या कुल जनसंख्या का 25 प्रतिशत ही है."

संगठन ने आरोप लगाया है कि  COVID-19 पॉजिटिव सहित गैस पीड़ितों को BMHRC के आइसोलेशन वार्ड में मरने के लिए छोड़ दिया गया है. इससे भी अधिक परेशान करने वाली  बात है कि जिन लोगों को ICU सुविधाओं या न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रो और न्यूरो सर्जरी की जरूरत है, उन्हें अस्पताल में प्रवेश करने से भी मना किया जा रहा है. RTI के तहत प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि इन सभी विभागों में महामारी से पहले की अवधि की तुलना में गैस पीड़ितों के प्रवेश में 2 से 11 गुना की कमी आई है.

भोपाल में कोरोना से 6 की मौत, सभी 1984 में गैस ट्रैजडी के थे शिकार

भोपाल गैस पीड़िता महिला कर्मचारी संघ की रशीदा बी का कहना है कि BMHRC का आदर्श वाक्य 'गैस पीड़ितों की सेवा में' और यह अस्पताल COVID -19 में सबसे कमजोर आबादी की चिकित्सा जरूरतों की अनदेखी कर रहा है. ICMR कोरोना से निपटने में जहां देश भर में काम कर रहा है वहीं भोपाल में वो ऐसा करने में पूरी तरह से विफल रहा है.भोपाल ग्रुप ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना धींगरा ने कहा कि शहर कोरोना रोगियों के लिए ऑक्सीजन और ICU सुविधाओं की कमी का सामना कर रहा है. गैस पीड़ितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, बीएमएचआरसी को इस संकट के लिए तैयार रहना चाहिए था. हमें उम्मीद है कि निगरानी समिति बीएमएचआरसी को आवश्यक निर्देश देगा. 

गौरतलब है कि 1998 से 2016 तक बीएमएचआरसी की आठ सामुदायिक स्वास्थ्य इकाइयों के डेटा से पता चलता है कि 50.4 प्रतिशत गैस प्रभावित मरीज हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, 59.6 प्रतिशत फेफड़े की समस्याओं से और 15.6 प्रतिशत मधुमेह से पीड़ित हैं.

VIDEO:कोरोनावायरस: खतरे में भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
महाराष्ट्र चुनाव: MVA ने फाइनल कर ली डील, जानें कांग्रेस-शिवसेना UBT और शरद पवार गुट को मिली कितनी सीटें?
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों ने पत्र लिखकर BMHRC पर लापरवाही का लगाया आरोप
कश्मीर के विकास से क्यों चिढ़ते हैं आतंकवादी? गांदरबल हमले ने दिखाया इनका असली चेहरा
Next Article
कश्मीर के विकास से क्यों चिढ़ते हैं आतंकवादी? गांदरबल हमले ने दिखाया इनका असली चेहरा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com