
- एनडीए उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने सभी 425 सांसदों का मतदान सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था कर रहा है.
- राज्यों में एक-एक मंत्री और सांसद को ड्यूटी दी गई है, जो नौ सितंबर को मतदान में सांसदों की मौजूदगी देखेंगे.
- एनडीए का लक्ष्य उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन की बड़ी जीत सुनिश्चित करना है
उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने सौ प्रतिशत मतदान के लिए एनडीए ने कमर कस ली है. एनडीए अपने सभी 425 सांसदों की शत प्रतिशत मौजूदगी सुनिश्चित करेगा. इसके लिए केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की ड्यूटी लगाई गई है. हर राज्य में एक मंत्री और एक सांसद की तैनाती होगी. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उस राज्य के एनडीए के सभी सांसद नौ सितंबर को दिल्ली में उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालें. इसके लिए छह सितंबर से आठ सितंबर तक सभी एनडीए सांसदों की वर्कशॉप भी आयोजित की जा रही है.
आठ सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए के सभी सांसदों को डिनर भी दे रहे हैं. इसके अलावा आठ सितंबर को ही दिल्ली में कई संसदीय समितियों की बैठक रखी गई है, ताकि संबंधित सांसद मौजूद रहें.

ग़ौरतलब है कि संसदीय समितियों की बैठकों के लिए सांसदों को टीए डीए मिलता है और हवाई किराया भी मिलता है. वहीं वर्कशॉप में सांसदों को वोट डालने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
इसके लिए सांसदों को ट्रेनिंग में बताया जाएगा कि कैसे उन्हें अपना पेन नहीं ले जाना है. जो पेन चुनाव अधिकारी दें, उसी से मतपत्र पर अपनी पसंद लिखनी है. इसके अलावा मतपत्र को कैसे फ़ोल्ड करना है ताकि स्याही इधर-उधर न लगे और वोट निरस्त न हो. एनडीए की कोशिश है कि उसके उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन की बड़े अंतर से जीत हो.

वैसे अभी एनडीए के पास जीत के लिए ज़रूरी 391 से 34 वोट ज़्यादा यानी 425 वोट हैं. वायएसआरसीपी ने एनडीए को समर्थन देने का ऐलान किया है. उसके लोकसभा में चार और राज्य सभा में सात सांसद हैं. इसी तरह एनडीए को बीजेडी और बीआरएस के समर्थन का भी भरोसा है.
बीजेडी के पास राज्य सभा में सात सांसद हैं. हालांकि पीएम मोदी ने नवीन पटनायक को फ़ोन किया था, लेकिन बीजेडी का कहना है कि ऐन वक्त पर फ़ैसला किया जाएगा. बीआरएस के राज्य सभा में चार सांसद हैं. इंडिया गठबंधन ने तेलुगु उम्मीदवार के नाम पर बीआरएस से समर्थन मांगा है.

आज की स्थिति में एनडीए के पास क़रीब 55% वोट है. उसकी कोशिश यह आंकड़ा 60% के पार ले जाने की है.
हालांकि एनडीए के लिए इस प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल होगा. क्योंकि इस बार विपक्ष की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर है.
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