
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, उनके इस्तीफे की खबर के बाद राजनीतिक पारा गर्म हो गया है. यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया, जिसके कारण इसकी टाइमिंग और वजहों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने का फैसला किया. आइए, इस मामले में अब तक की प्रमुख बातों को समझते हैं.
क्या स्वास्थ्य कारणों से ही दिया है इस्तीफा: जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 की शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं. इस पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया.
हाल ही में हुई थी एंजियोप्लास्टी : धनखड़ ने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य समस्याओं को बताया. सूत्रों के अनुसार, उनकी तबीयत हाल ही में बिगड़ी थी. मार्च 2025 में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी. इसके अलावा, नैनीताल में भी उनकी तबीयत खराब होने की खबर थी. परिवार ने भी उनकी सेहत को प्राथमिकता देने की सलाह दी थी.
टाइमिंग पर उठ रहे हैं सवाल: धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया, जिसने इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए. वह दिनभर संसद भवन में मौजूद थे और शाम 7:30 बजे तक कांग्रेस नेता जयराम रमेश से उनकी फोन पर बात हुई थी. इसके बावजूद, कुछ ही घंटों में इस्तीफे की घोषणा ने सभी को हैरान कर दिया.
विपक्ष ने उठाए सवाल: विपक्षी नेताओं ने धनखड़ के इस्तीफे को अप्रत्याशित बताते हुए कई सवाल उठाए. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री मोदी धनखड़ को मनाएं, क्योंकि यह फैसला केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं लगता. कुछ नेताओं ने इसे सियासी दबाव से जोड़ा है.
क्या है नियम: संविधान में उपराष्ट्रपति का इस्तीफा स्वीकार करने का प्रावधान नहीं है. इस्तीफा देना ही पर्याप्त है. अब वे पूर्व उपराष्ट्रपति हैं. धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने'के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं.
संविधान में क्या है प्रावधान: संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद खाली होने पर 60 दिनों के भीतर नया चुनाव कराना आवश्यक है. निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य शामिल होते हैं, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मतदान करते हैं. फिलहाल, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे.
उपराष्ट्रपति बनने से पहले बंगाल के थे राज्यपाल: 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था. इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (2019-2022), राजस्थान से सांसद (1989-1991) और विधायक (1993-1998) रह चुके हैं . धनखड़ का राज्यसभा सभापति के रूप में कार्यकाल विवादों से भरा रहा. विपक्ष ने उन पर पक्षपात का आरोप लगाया और 2024 में उनके खिलाफ ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसे उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था.