नागपुर:
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता प्रवीण तोगड़िया ने बुधवार को कहा कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी सहित दूसरे दोषियों के लिए मृत्यु दंड की मांग से जुड़े राज्य सरकार के फैसले का विहिप की गुजरात इकाई ने विरोध किया था।
तोगड़िया ने कहा, ‘‘नरोदा पाटिया दंगे के मामले में निचली अदालत द्वारा कोडनानी को उम्रकैद की सजा दिए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए इसे मृत्युदंड में तब्दील करने की याचिका दायर करने के राज्य सरकार के कदम का हमने विरोध किया था।’’
विहिप नेता ने दावा किया कि कोडनानी निर्दोष है और वह उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी।
मोदी सरकार में मंत्री रही कोडनानी को 28 साल की कैद की सजा सुनाई गई जबकि बजरंग दल कार्यकर्ता को जिंदगीभर के लिए कैद की सजा सुनाई गई। बाकी आठ लोगों को 31-31 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि दक्षिणपंथी ताकतों के दबाव में आकर गुजरात सरकार ने वर्ष 2002 के नरोदा पाटिया दंगों के मामले में कोडनानी, बाबू बजरंगी के अलावा आठ अन्य लोगों को मृत्यु दंड दिए जाने की मांग से जुड़ी अपनी याचिका को कल ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इस दंगे में 96 लोग मारे गए थे।
तोगड़िया ने कहा, ‘‘नरोदा पाटिया दंगे के मामले में निचली अदालत द्वारा कोडनानी को उम्रकैद की सजा दिए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए इसे मृत्युदंड में तब्दील करने की याचिका दायर करने के राज्य सरकार के कदम का हमने विरोध किया था।’’
विहिप नेता ने दावा किया कि कोडनानी निर्दोष है और वह उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी।
मोदी सरकार में मंत्री रही कोडनानी को 28 साल की कैद की सजा सुनाई गई जबकि बजरंग दल कार्यकर्ता को जिंदगीभर के लिए कैद की सजा सुनाई गई। बाकी आठ लोगों को 31-31 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि दक्षिणपंथी ताकतों के दबाव में आकर गुजरात सरकार ने वर्ष 2002 के नरोदा पाटिया दंगों के मामले में कोडनानी, बाबू बजरंगी के अलावा आठ अन्य लोगों को मृत्यु दंड दिए जाने की मांग से जुड़ी अपनी याचिका को कल ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इस दंगे में 96 लोग मारे गए थे।
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