शनिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में कॉमरेड गोविंद पानसरे का अंतिम संस्कार कर दिया गया, उनके अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी तादाद में लोग इकठ्ठा हुए। उधर, नाराज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नासिक में मुख्यमंत्री का घेराव किया और उनके काफिले को रोकने की कोशिश की।
82 साल के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता गोविंद पानसरे ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। जेजे अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद उनके शव को कोल्हापुर भेज दिया गया था। मोटरसाइकिल सवार अज्ञात हमलावरों ने घर के बाहर कॉमरेड पानसरे और उनकी पत्नी को गोली मार दी थी।
पानसरे को शुक्रवार रात एयर एंबुलेंस से मुंबई लाया गया, लेकिन फेफड़ों से काफी खून बह जाने के कारण उनकी मौत हो गई। कॉमरेड पानसरे की मौत पर देशभर में विरोध हो रहा है। पुलिस हमलावरों को ढूंढने के लिए 10 टीमें बना चुकी है। सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जा रही है, घायल उमा पानसरे से मिली जानकारी के आधार पर हमलावरों के स्केच भी बनाए गए हैं, लेकिन हमलावर अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
नासिक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि ये हमला किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि उनकी विचारधारा पर है। पूरे प्रशासन से मैं आह्वान करता हूं, हम हमलावरों को पकड़ कर ही रहेंगे। उधर, विपक्ष इस मामले पर सरकार को घेरने में जुटा है। निशाना सीधे तौर पर उग्र दक्षिणपंथी ताकतों पर है।
भारतीय रिपब्लिकन बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर ने इस मामले में सीधे-सीधे सनातन संस्था पर आरोप लगाते हुए कहा कि संस्था की ओर से कई बार कॉमरेड पानसरे को धमकी भी दी गई थी। महाराष्ट्र में लगभग दो साल पहले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की भी हमलावरों ने दिन-दहाड़े हत्या कर दी थी। डॉ दाभोलकर और कॉमरेड पानसरे दोनों अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। पानसरे कोल्हापुर में टोल आंदोलन में भी सक्रिय थे। हफ्ता भर बीत चुका है लेकिन मामले में भी पुलिस अबतक कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई है।
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