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This Article is From Apr 06, 2018

सदन में बैनर पोस्टर लाने और नारेबाजी से सदस्यों को बचना चाहिये : वेंकैया नायडू

नायडू ने कहा ‘‘मैं इस बात पर गौर करके दुखी हूं कि इस महत्वपूर्ण संसदीय संस्थान और इसकी जिम्मेदारियों के जनादेश के प्रति असम्मान और गंवाये गये अवसरों के कारण यह सत्र व्यर्थ चला गया.’’ 

सदन में बैनर पोस्टर लाने और नारेबाजी से सदस्यों को बचना चाहिये : वेंकैया नायडू
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: राज्यसभा के गत 29 जनवरी से शुरु हुए बजट सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गई. हंगामे की भेंट चढ़ गये बजट सत्र के दूसरे चरण का हवाला देते हुये सभापति एम वेंकैया नायडू ने गतिरोध पर पीड़ा व्यक्त की और सदस्यों से सदन में बैनर, पोस्टर आदि लाने और नारेबाजी से बचने का आह्वान किया. नायडू ने इस सत्र के दूसरे चरण में एक भी दिन विधायी कार्य नहीं हो पाने पर खेद व्यक्त करते हुये कहा कि लोगों की चिंताओं और उनकी वास्तविक अपेक्षाओं को पूरा करने में हमारा योगदान नगण्य रहा. बजट सत्र के आज अंतिम दिन अपने पारंपरिक संबोधन के बाद नायडू ने सदस्यों से सदन में तख्ती, बैनर लाने और नारेबाजी करने से भविष्य में बचने का अनुरोध किया. उन्होंने संसदीय परंपराओं का हवाला देते हुये कहा कि सदन में हंगामा कर विधायी कार्य नहीं होने देना उचित नहीं है. 

पीएनबी घोटाला मामले, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण पांच मार्च से शुरु हुये बजट सत्र के दूसरे चरण में लगातार गतिरोध बना रहा. जिसके कारण सरकारी विधेयक तो क्या बजट के महत्वपूर्ण अंग, वित्त विधेयक पर भी उच्च सदन में चर्चा नहीं हो सकी. 

सभापति ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने से पूर्व अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि गतिरोध के कारण सदन के बहुमूल्य 120 घंटे बर्बाद हो गये जबकि मात्र 45 घंटे कामकाज हुआ. नायडू ने कहा कि ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने के अलावा सदन में कोई विधायी कार्य नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के बारे में एक फैसला सुनाया था, इसके परिणामस्वरूप देश में उभरी जनधारणा के चलते आंदोलन हुये और देश के कुछ हिस्सों में हिंसा भी हुई. उन्होंने सदस्यों से कहा ‘‘आप ने इस पर भी चर्चा नहीं की.’’ 

नायडू ने कहा ‘‘मैं इस बात पर गौर करके दुखी हूं कि इस महत्वपूर्ण संसदीय संस्थान और इसकी जिम्मेदारियों के जनादेश के प्रति असम्मान और गंवाये गये अवसरों के कारण यह सत्र व्यर्थ चला गया.’’ 

नायडू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधन एवं निगरानी में स्पष्ट कमजोरी के बारे में भी चर्चा नहीं हो सकी जिसके कारण देश में व्यापक स्तर पर चिंता व्याप्त है. सभापति ने कहा ‘‘आपके पास दूसरी प्राथमिकताएं है और इस पर चर्चा का समय नहीं था.’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश के सदस्य अपने राज्यों से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उद्वेलित थे, हालांकि इन मुद्दों पर भी चर्चा नहीं हो सकी. उल्लेखनीय है कि बजट सत्र की शुरुआत 29 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ हुई थी. कोविंद ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था. 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को वित्तीय वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश किया था. इसमें रेल बजट भी शामिल था. बजट सत्र का पहला चरण नौ फरवरी को पूरा हुआ था. दूसरा चरण पांच मार्च को शुरू हुआ. दूसरे चरण के दौरान उच्च सदन में 60 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ और उन्हें सदन में विदाई दी गयी. इनमें सचिन तेंदुलकर एवं रेखा सहित चार मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं. सत्र के दौरान 17 राज्यों एवं दिल्ली से 60 सदस्य निर्वाचित या पुनर्निर्वाचित होकर आये. इनमें केन्द्रीय मंत्री जेटली, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, धर्मेन्द्र प्रधान और थावरचंद गहलोत, सपा की जया बच्चन, राकांपा की वंदना चह्वाण सहित कई सदस्य पुनर्निर्वाचित होकर उच्च सदन में आये हैं. आम आदमी पार्टी ने पहली बार उच्च सदन में दस्तक दी तथा दिल्ली से निर्वाचित इसके तीन सदस्यों ने सदन की सदस्यता ग्रहण की. 

सत्र के दूसरे चरण में पीएनबी बैंक घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य बार बार आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे. हंगामे के कारण एक भी दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सका. कल सदन स्थगित होने के बाद भी तेदेपा के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर आसन के समक्ष धरना देकर करीब पांच घंटे तक बैठे रहे. बाद में उन्हें मार्शल के जरिये सदन से बाहर करवाया गया. 

सत्र के दौरान भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक चर्चा और पारित करने के लिये सदन के पटल पर रख भी दिया गया किंतु विपक्ष के हंगामे के कारण इस पर मतविभाजन नहीं होने से सरकार इसे पारित कराने में नाकाम रही. इस विधेयक पर सदन की प्रवर समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी थी. इस दौरान आसन से सदस्यों के कार्यवाही की प्रक्रिया संबंधी नियम 255 के तहत दो सदस्यों के वी पी रामचंद्र राव और सी एम रमेश को आसन के प्राधिकार का अनादर करने के कारण सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया गया. नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) राज्यसभा के गत 29 जनवरी से शुरु हुए बजट सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गई. हंगामे की भेंट चढ़ गये बजट सत्र के दूसरे चरण का हवाला देते हुये सभापति एम वेंकैया नायडू ने गतिरोध पर पीड़ा व्यक्त की और सदस्यों से सदन में बैनर, पोस्टर आदि लाने और नारेबाजी से बचने का आह्वान किया. 

नायडू ने इस सत्र के दूसरे चरण में एक भी दिन विधायी कार्य नहीं हो पाने पर खेद व्यक्त करते हुये कहा कि लोगों की चिंताओं और उनकी वास्तविक अपेक्षाओं को पूरा करने में हमारा योगदान नगण्य रहा. बजट सत्र के आज अंतिम दिन अपने पारंपरिक संबोधन के बाद नायडू ने सदस्यों से सदन में तख्ती, बैनर लाने और नारेबाजी करने से भविष्य में बचने का अनुरोध किया. उन्होंने संसदीय परंपराओं का हवाला देते हुये कहा कि सदन में हंगामा कर विधायी कार्य नहीं होने देना उचित नहीं है. 

पीएनबी घोटाला मामले, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण पांच मार्च से शुरु हुये बजट सत्र के दूसरे चरण में लगातार गतिरोध बना रहा. जिसके कारण सरकारी विधेयक तो क्या बजट के महत्वपूर्ण अंग, वित्त विधेयक पर भी उच्च सदन में चर्चा नहीं हो सकी. 

सभापति ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने से पूर्व अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि गतिरोध के कारण सदन के बहुमूल्य 120 घंटे बर्बाद हो गये जबकि मात्र 45 घंटे कामकाज हुआ. नायडू ने कहा कि ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने के अलावा सदन में कोई विधायी कार्य नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के बारे में एक फैसला सुनाया था, इसके परिणामस्वरूप देश में उभरी जनधारणा के चलते आंदोलन हुये और देश के कुछ हिस्सों में हिंसा भी हुई. उन्होंने सदस्यों से कहा ‘‘आप ने इस पर भी चर्चा नहीं की.’’ 

नायडू ने कहा ‘‘मैं इस बात पर गौर करके दुखी हूं कि इस महत्वपूर्ण संसदीय संस्थान और इसकी जिम्मेदारियों के जनादेश के प्रति असम्मान और गंवाये गये अवसरों के कारण यह सत्र व्यर्थ चला गया.’’ 

नायडू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधन एवं निगरानी में स्पष्ट कमजोरी के बारे में भी चर्चा नहीं हो सकी जिसके कारण देश में व्यापक स्तर पर चिंता व्याप्त है. सभापति ने कहा ‘‘आपके पास दूसरी प्राथमिकताएं है और इस पर चर्चा का समय नहीं था.’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश के सदस्य अपने राज्यों से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उद्वेलित थे, हालांकि इन मुद्दों पर भी चर्चा नहीं हो सकी. उल्लेखनीय है कि बजट सत्र की शुरुआत 29 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ हुई थी. कोविंद ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था. 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को वित्तीय वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश किया था. इसमें रेल बजट भी शामिल था. बजट सत्र का पहला चरण नौ फरवरी को पूरा हुआ था. दूसरा चरण पांच मार्च को शुरू हुआ. दूसरे चरण के दौरान उच्च सदन में 60 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ और उन्हें सदन में विदाई दी गयी. इनमें सचिन तेंदुलकर एवं रेखा सहित चार मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं. सत्र के दौरान 17 राज्यों एवं दिल्ली से 60 सदस्य निर्वाचित या पुनर्निर्वाचित होकर आये. इनमें केन्द्रीय मंत्री जेटली, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, धर्मेन्द्र प्रधान और थावरचंद गहलोत, सपा की जया बच्चन, राकांपा की वंदना चह्वाण सहित कई सदस्य पुनर्निर्वाचित होकर उच्च सदन में आये हैं. आम आदमी पार्टी ने पहली बार उच्च सदन में दस्तक दी तथा दिल्ली से निर्वाचित इसके तीन सदस्यों ने सदन की सदस्यता ग्रहण की. 

सत्र के दूसरे चरण में पीएनबी बैंक घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य बार बार आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे. हंगामे के कारण एक भी दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सका. कल सदन स्थगित होने के बाद भी तेदेपा के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर आसन के समक्ष धरना देकर करीब पांच घंटे तक बैठे रहे. बाद में उन्हें मार्शल के जरिये सदन से बाहर करवाया गया. 

सत्र के दौरान भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक चर्चा और पारित करने के लिये सदन के पटल पर रख भी दिया गया किंतु विपक्ष के हंगामे के कारण इस पर मतविभाजन नहीं होने से सरकार इसे पारित कराने में नाकाम रही. इस विधेयक पर सदन की प्रवर समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी थी. इस दौरान आसन से सदस्यों के कार्यवाही की प्रक्रिया संबंधी नियम 255 के तहत दो सदस्यों के वी पी रामचंद्र राव और सी एम रमेश को आसन के प्राधिकार का अनादर करने के कारण सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया गया.

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