वरुण गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विवादित हथियार डीलर अभिषेक वर्मा को कथित रक्षा सूचनाएं लीक करने के आरोपों से संकट में घिरे भाजपा सांसद वरुण गांधी ने आज इन्हें खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान बूझकर ऐसा करने वालों के खिलाफ वह कानूनी कार्रवाई करेंगे.
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से सांसद वरुण ने ‘मेरे देशवासियों’ के संबोधन से शुरू कर एक विस्तृत बयान जारी किया. इस बयान में उन्होंने बिंदुवार तरीके से उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया और इस बात पर जोर दिया कि इन बातों में ‘अंशमात्र भी सच्चाई या लेशमात्र साक्ष्य नहीं है.’ 2009 से रक्षा स्थायी समिति और रक्षा सलाहकार समिति दोनों के सदस्य रहे वरुण ने कहा कि उन्होंने कभी भी सलाहकार समिति की बैठक में हिस्सा नहीं लिया और स्थायी समिति की कुछ ही बैठक में हिस्सा लिया.
उन्होंने लिखा, ‘स्पष्ट है कि ना तो ऐसी जानकारी पाने में मैं सक्रिय था या ना ही इस तरह की किसी सूचना को मैंने बाहर भेजा. क्या इसमें कोई छुपा एजेंडा है या मकसद. जैसा कि पत्र में आरोप लगाया गया है ऐसे में ये बातें मेरी उपस्थिति सूची में भी झलकतीं.’ वरुण ने कहा, ‘‘मैं इसके गलत और बेबुनियाद आरोपों और इनकी असंभावनाओं की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं.’
स्वराज अभियान के नेताओं - प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने गुरूवार को न्यूयार्क स्थित वकील एडमंड्स एलेन के पिछले महीने पीएमओ को लिखे एक पत्र को जारी किया था, जिसमें वरूण को हनी ट्रैप (प्रेम जाल में फंसाए जाने) किए जाने और वर्मा के कहे मुताबिक काम करने की बात कही गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्मा ने रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य वरुण को अहम हथियारों के संबंध में संवेदनशील सूचना साझा करने के लिए ‘ब्लैकमेल’ किया.
एलेन वर्मा के साझेदार थे लेकिन 2012 में वह वर्मा से अलग हो गए थे. वर्मा के खिलाफ 2006 नौसेना वार रूम लीक मामले में मुकदमा चल रहा है. वरुण ने कहा, ‘आरोप से संबंधी इस पत्र को लिखने वाले एडमंड्स एलेन से मैं कभी नहीं मिला और ना ही मेरे पास इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी है कि वह कौन हैं. उनके बारे में प्रेस में यह रिपोर्ट आई थी कि वह अभिषेक वर्मा के पूर्व सहयोगी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इंग्लैंड में कॉलेज के दिनों में वर्मा से मेरी जान पहचान हुई थी. दिवंगत वीणा एवं श्रीकांत वर्मा के पुत्र के तौर पर मेरा उनसे परिचय हुआ था और दोनों एक प्रतिष्ठित परिवार से संसद के सदस्य थे. कुछ समय बाद एक सामाजिक कार्यक्रम में हमारी मुलाकात हुई. पिछली बार की मुलाकात के बाद कई वर्ष बीत गए. हमने काम को लेकर कभी कोई चर्चा नहीं की. ना तो उनसे कभी चर्चा हुई और ना ही मैंने कभी की.’ भूषण ने आरोप लगाया था कि सभी विस्तृत जानकारियों के बावजूद भाजपा सरकार ने थेल्स को कभी काली सूची में नहीं डाला जिसने दागी स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेची थीं.
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से सांसद वरुण ने ‘मेरे देशवासियों’ के संबोधन से शुरू कर एक विस्तृत बयान जारी किया. इस बयान में उन्होंने बिंदुवार तरीके से उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया और इस बात पर जोर दिया कि इन बातों में ‘अंशमात्र भी सच्चाई या लेशमात्र साक्ष्य नहीं है.’ 2009 से रक्षा स्थायी समिति और रक्षा सलाहकार समिति दोनों के सदस्य रहे वरुण ने कहा कि उन्होंने कभी भी सलाहकार समिति की बैठक में हिस्सा नहीं लिया और स्थायी समिति की कुछ ही बैठक में हिस्सा लिया.
उन्होंने लिखा, ‘स्पष्ट है कि ना तो ऐसी जानकारी पाने में मैं सक्रिय था या ना ही इस तरह की किसी सूचना को मैंने बाहर भेजा. क्या इसमें कोई छुपा एजेंडा है या मकसद. जैसा कि पत्र में आरोप लगाया गया है ऐसे में ये बातें मेरी उपस्थिति सूची में भी झलकतीं.’ वरुण ने कहा, ‘‘मैं इसके गलत और बेबुनियाद आरोपों और इनकी असंभावनाओं की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं.’
स्वराज अभियान के नेताओं - प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने गुरूवार को न्यूयार्क स्थित वकील एडमंड्स एलेन के पिछले महीने पीएमओ को लिखे एक पत्र को जारी किया था, जिसमें वरूण को हनी ट्रैप (प्रेम जाल में फंसाए जाने) किए जाने और वर्मा के कहे मुताबिक काम करने की बात कही गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्मा ने रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य वरुण को अहम हथियारों के संबंध में संवेदनशील सूचना साझा करने के लिए ‘ब्लैकमेल’ किया.
एलेन वर्मा के साझेदार थे लेकिन 2012 में वह वर्मा से अलग हो गए थे. वर्मा के खिलाफ 2006 नौसेना वार रूम लीक मामले में मुकदमा चल रहा है. वरुण ने कहा, ‘आरोप से संबंधी इस पत्र को लिखने वाले एडमंड्स एलेन से मैं कभी नहीं मिला और ना ही मेरे पास इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी है कि वह कौन हैं. उनके बारे में प्रेस में यह रिपोर्ट आई थी कि वह अभिषेक वर्मा के पूर्व सहयोगी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इंग्लैंड में कॉलेज के दिनों में वर्मा से मेरी जान पहचान हुई थी. दिवंगत वीणा एवं श्रीकांत वर्मा के पुत्र के तौर पर मेरा उनसे परिचय हुआ था और दोनों एक प्रतिष्ठित परिवार से संसद के सदस्य थे. कुछ समय बाद एक सामाजिक कार्यक्रम में हमारी मुलाकात हुई. पिछली बार की मुलाकात के बाद कई वर्ष बीत गए. हमने काम को लेकर कभी कोई चर्चा नहीं की. ना तो उनसे कभी चर्चा हुई और ना ही मैंने कभी की.’ भूषण ने आरोप लगाया था कि सभी विस्तृत जानकारियों के बावजूद भाजपा सरकार ने थेल्स को कभी काली सूची में नहीं डाला जिसने दागी स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेची थीं.
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