विज्ञापन

 महाराष्ट्र में कैसे 76 हजार करोड़ वाला वधावन पोर्ट बदलेगा समंदर का पूरा गेम, चाबहार कनेक्शन भी समझिए

वधावन पोर्ट देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होने जा रहा है. इस पोर्ट की खासीयत ये है कि इसके तट पर 20 मीटर का नेचुरल ड्रॉफ्ट है. जिसकी वजह से बड़े कंटेनर जहाज को यहां आने-जाने में मदद मिलेगी.

 महाराष्ट्र में कैसे 76 हजार करोड़ वाला वधावन पोर्ट बदलेगा समंदर का पूरा गेम, चाबहार कनेक्शन भी समझिए
वधावन का पोर्ट भारत के लिए साबित होगा गेम चेंजर
नई दिल्ली:

भारत सरकार ने महाराष्ट्र के वधावन में ऑल वेदर ग्रीनफील्ड पोर्ट के निर्माण को मंजूरी दे दी है. 2014 से ही यह पोर्ट मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रही है. इस पोर्ट को विकसित करने को लेकर सरकार पहले भी कई बार अपनी रुचि दिखा चुकी है. अब जाकर इसके निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए बजट को मंजूरी दी गई है. आपको बता दें कि वधावन का यह पोर्ट महाराष्ट्र के पालघर के पास स्थित है. ये पोर्ट अपने आपमें बेहद खास है. यह भारत का एक मात्र ऐसे पोर्ट है जहां समुद्र तट के पास 20 मीटर का नेचुरल ड्रॉफ्ट (तट के पास 20 मीटर की गहराई) है. इससे भारी और बड़े कंटेनर को यहां तक आने और लोड-अनलोड करने में मदद मिलेगी. आज हम इस पोर्ट को लेकर कुछ अहम जानकारी आपसे साझा करने जा रहे हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

अभी तक जितनी जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इस पोर्ट को कंस्ट्रक्शन दो फेज में लैंड लॉर्ड पोर्ट के आधार पर किया जाएगा. इस पोर्ट की एस्टिमेटेड कॉस्ट 76200 करोड़ रुपये बताई जा रही है. करीब 298 मिलियन टन क्षमता वाला ये पोर्ट देश का 13वां बड़ा पोर्ट होने जा रहा है. साथ ही इस पोर्ट का काम पूरा होने में करीब दो दशक का समय लगेगा.

 

कैसे यह गेमचेंजर साबित होगा

कहा जा रहा है कि यह पोर्ट देश के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है. आपको बता दें कि भारत में अभी जितने पोर्ट मौजूद हैं उनमें से इस पोर्ट की कैपिसिटी सबसे ज्यादा होने वाली है. इस पोर्ट में चार मल्टी परपज बर्थ होने वाले हैं. इसके अलावा चार लिक्विड बल्क बर्थ, एक आरओ-आरओ बर्थ, स्माल क्राफ्ट औऱ कोस्ट गार्ड बर्थ और रेल टर्मिनल शामिल हैं. यहां पर वाधवान पोर्ट द्वारा 10.14 किलोमीटर लॉन्ग ब्रेक वाटर, ड्रेजिंग, रीक्लेमेशन, शोर प्रोटक्शन बंड, टग बर्थ, एप्रोच ट्रेस्टल्स एंड अनपेव्ड डेवल्पड लैंड और रेल एंड रोड लिंकेज का निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा ऑफ डॉक रेल यार्ड, रेल एक्सचेंज यार्ड, पावर एंड वाटर, औऱ इंटरन रोड सहित कोर एंड कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा. 

इस वजह से बेहद खास ये पोर्ट

देश की बढ़ती अर्थव्यस्था को देखते हुए भारत में इस डीप ड्रॉफ्ट पोर्ट का निर्माण किया जा रहा है. सरकार इस पोर्ट को इस मोटिव के साथ भी डेवलप कर रही है ताकि वह देश की कंटेनर हैंडलिंग क्षमता को पूरा कर सके. इस पोर्ट के डेवलप होने से देश में मैन्यूफेक्चरिंग इंडस्ट्री और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा. जिससे भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा का और बेहतर तरीके से सामना कर पाएगा. इस पोर्ट से लगने वाले तट पर समुद्र की गहराई ज्यादा है.

Latest and Breaking News on NDTV

इस पोर्ट के बनने के बाद यहां से कोयला, सीमेंट, केमिकल और तेल का ट्रांस्पोर्ट किया जा सकेगा. वाधवान पोर्ट को विकसित करने के साथ ही भारत दुनिया के टॉप 10 कंटेनर पोर्ट वाले देश की सूची में शामिल हो जाएगा. चुकि इस पोर्ट की क्षमता 24.5 मिलिनिय टीईयू (बीस फुट समतुल्य इकाइयां) से अधिक है, जो भारत में मौजूद कोई भी पोर्ट नेचुरल लिमिटेशन की वजह से उपलब्ध नहीं करा सकता है.  

चाबहार पोर्ट से स्पेशल है कनेक्शन

ईरान के चाबहार पोर्ट के साथ कुछ महीने पहले हुए समझौते का अब इस वधावन पोर्ट के बनने से भारत को और ज्यादा फायदा होगा. जानकार बता रहे हैं चाबहार पोर्ट से समझौते के बाद भारत अब इस रूट का और बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाएगा. वधावन पोर्ट देश का सबसे बड़ा कंटेनर डिपो होने जा रहा है, इसके बनने के बाद अब भारत से अधिक मात्रा में एक बार माल दूसरे देशों को भेजा जा सकेगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि वधावन का पोर्ट सबसे गहरा पोर्ट होगा. लिहाजा, बड़े कंटेनर ले जाने वाले इस पोर्ट पर आसानी से आ जा सकेंगे.

Latest and Breaking News on NDTV

भारत वधावन पोर्ट से चाबहार पोर्ट तक अपना माल पहुंचाने के बाद इसे यूरोप, मध्य एशिया और यहां तक की रूस भी आसानी से पहुंचा पाएगा. इसी तरह से इन देशों एक बार में बड़डी मात्रा में माल का आयात भी किया जा सकेगा. पहले भारत के पास इतना बड़ा कोई कंटेनर पोर्ट नहीं था. जिस वजह से माल ढुलाई में ज्यादा समय लगता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था को और तेजी देने में मदद मिलेगी. इस पोर्ट के ऑपरेशनल होने से रोजगार के कई लाख अवसर भी तैयार होंगे.  


मोदी सरकार का है ड्रीम प्रोजेक्ट 

इस पोर्ट के कंस्ट्रक्शन को फरवरी 2020 में सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी. 2014 के बाद से ही इस पोर्ट को विकसित करने के लिए सरकार ने अपनी रुचि दिखाई थी. यही वजह है कि इस पोर्ट को विकसित करने को पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक माना गया है. अभी तक मिली सूचना के अनुसार इस पोर्ट के एक बार ऑपरेशनल होने के बाद यह चौबीसों घंटे अपनी सेवा दे पाएगा. 

Latest and Breaking News on NDTV

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगा ट्रेड

अंतरराष्ट्रीय समुद्री रूट से कुछ ही दूरी पर होने के कारण भी इस पोर्ट का महत्व काफी ज्यादा है. जानकार मान रहे हैं कि इस पोर्ट के डेवलप होने के बाद यह अफ्रीका के ईस्ट कोस्ट भारत के वेस्ट कोस्ट और फारस की खाड़ी के आसपास बसे देशों की कंटेनर यातायात की जरूरतों को पूरा करेगा. इस पोर्ट के डेवलप होने से भारत की ट्रेड जरूरत तेजी से पूरी होगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था को काफी बूस्ट मिलेगा. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com