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This Article is From May 17, 2024

चाबहार बंदरगाह परियोजना से अफगानिस्तान, मध्य एशिया को फायदा होगा : भारत

जायसवाल ने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘चाबहार बंदरगाह के प्रति भारत की प्रतिबद्धता चारों ओर से जमीन से घिरे अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए एक कनेक्टिविटी केंद्र के रूप में इसकी क्षमता का दोहन करना है.’’

चाबहार बंदरगाह परियोजना से अफगानिस्तान, मध्य एशिया को फायदा होगा : भारत
नई दिल्ली:

भारत ने शुक्रवार को कहा कि चाबहार बंदरगाह परियोजना पर नयी दिल्ली और तेहरान के बीच दीर्घकालिक समझौते को लेकर ‘‘संकीर्ण दृष्टिकोण'' नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि चारों ओर से जमीन से घिरे अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूरे क्षेत्र को इससे फायदा होगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल की यह टिप्पणी भारत और ईरान द्वारा समझौते पर मुहर लगाने के बाद अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की चेतावनी दिये जाने के कुछ दिनों बाद आई है. भारत और ईरान ने सोमवार को 10 वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जो चाबहार बंदरगाह पर भारतीय संचालन की सुविधा प्रदान करता है.

जायसवाल ने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘चाबहार बंदरगाह के प्रति भारत की प्रतिबद्धता चारों ओर से जमीन से घिरे अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए एक कनेक्टिविटी केंद्र के रूप में इसकी क्षमता का दोहन करना है.''

उन्होंने कहा कि एक भारतीय कंपनी - इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड - 2018 से अंतरिम अनुबंध पर बंदरगाह का संचालन कर रही है.

जायसवाल ने कहा, ‘‘अब, हमने एक दीर्घकालिक समझौता किया है जो बंदरगाह संचालन के लिए आवश्यक है.'' उन्होंने कहा, ‘‘अब तक हमने इस बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान को 85,000 मीट्रिक टन गेहूं और 200 मीट्रिक टन दालों समेत अन्य मानवीय सहायता भेजी है.''

ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया जा रहा है. जायसवाल ने कहा, ‘‘अमेरिका ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता जारी रखने और अफगानिस्तान को आर्थिक विकल्प प्रदान करने के लिए चाबहार बंदरगाह संचालन के महत्व को रेखांकित किया है.''

उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्री (एस. जयशंकर) ने जो पहले कहा था मैं उसे दोहराना चाहूंगा कि हमें इस मुद्दे पर संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए.''

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