उत्तरकाशी हादसा: 60 घंटे से सुरंग में फंसे हैं 40 मजदूर, एक ने पाइप के जरिए बेटे से की बात

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. NHIDCL के डायरेक्टर टेक्निकल अतुल कुमार ने सोमवार को बताया कि टनल से मलबा हटाने के दौरान ऊपर से लगातार मिट्‌टी धंस रही है. इससे रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है.

उत्तरकाशी हादसा: 60 घंटे से सुरंग में फंसे हैं 40 मजदूर, एक ने पाइप के जरिए बेटे से की बात

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है.

खास बातें

  • 12 नवंबर की सुबह धंस गई थी निर्माणाधीन टनल
  • 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी
  • मलबा हटाने के दौरान मिट्‌टी धंसने से रेस्क्यू में आ रही दिक्कत
उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक निर्माणाधीन टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) में पिछले 60 घंटे से 40 मजदूर फंसे हुए हैं. 12 नवंबर को ये टनल धंस गई थी. फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. खाना-पानी भी दिया जा रहा है. इस बीच टनल में फंसा उत्तराखंड एक मजदूर मंगलवार को अपने बेटे से कुछ सेकंड के लिए बात करने में कामयाब रहा. इस दौरान मजदूर ने अपने बेटे से परिवार के बाकी सदस्यों को हाल पूछा और उसे बताया कि चिंता न करें. वो सुरक्षित घर आएंगे. उन्होंने कहा कि वह अपने साथ फंसे 39 अन्य लोगों की मदद कर रहे हैं, ताकि उनका मनोबल बना रहे.

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NDTV ने मजदूर नेगी के बेटे आकाश से मंगलवार को बात की. उन्होंने बताया, "मैंने अपने पिता से पाइप के जरिए बात की. पाइप  ये सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया है कि फंसे हुए मजदूरों तक ऑक्सीजन ठीक तरीके से पहुंचे." आकाश बताते हैं, "मेरे पिता एक ऑब्जर्वर के रूप में काम करते हैं. मैंने आज उनसे बात की. उन्होंने कहा कि वह सभी का मनोबल ऊंचा रखने में मदद कर रहे हैं. उन्होंने मुझसे घर पर सभी को चिंता न करने के लिए कहने के लिए कहा. मेरे पिता ने कहा कि हादसे में कोई भी घायल नहीं हुआ है और उन्हें पर्याप्त खाना-पानी मिल रहा है. इंजीनियरों ने मुझे बताया कि उन्हें कुछ घंटों में रेस्क्यू कर लिया जाएगा. मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा." 

नेगी के बड़े भाई महाराज भी हादसे के दिन साइट पर थे. उन्होंने बताया कि उनके भाई 22 साल से ज्यादा समय से इस कंपनी के साथ हैं, जो सुरंग के निर्माण में शामिल है. महाराज ने कहा, "मेरे भाई के पास बहुत अनुभव है. यही कारण है कि उनके साथ जो मजदूर हैं वे सुरक्षित हैं. कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें भोजन, पानी और चाय देने के लिए एक पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है."

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही है टनल
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. NHIDCL के डायरेक्टर टेक्निकल अतुल कुमार ने सोमवार को बताया कि टनल से मलबा हटाने के दौरान ऊपर से लगातार मिट्‌टी धंस रही है. इससे रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है. हमने अब स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने का प्लान किया है.

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बफर जोन में फंसे हैं मजदूर
अधिकारियों ने कहा कि मजदूर बफर जोन में फंस गए हैं और उनके पास इधर-उधर घूमने के लिए पर्याप्त जगह है. एक आपदा प्रतिक्रिया अधिकारी ने कहा, "उनके पास चलने और सांस लेने के लिए लगभग 400 मीटर का बफर स्पेस है."

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