हरिद्वार:
हरिद्वार में विभिन्न क्षेत्रों से गंगा नदी से अब तक 48 शव बरामद किए गए हैं। हरिद्वार के एसएसपी राजीव स्वरूप के अनुसार शवों की पहचान कपड़े, जेवर और शरीर के विभिन्न चिह्नों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करा कर सुरक्षित रखी जा रही है।
इसके अलावा हाथों के निशानों के लिए त्वचा संरक्षण का काम भी किया जा रहा है ताकि शवों की शिनाख्त में असुविधा नहीं हो। शवों को 1,2,3 नंबर दिए गए हैं और उनमें पहचान चिह्नों के टैग भी लगाए जा रहे हैं।
नियमानुसार किसी भी मृतक के शव को तीन दिन तक सुरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। हरिद्वार में इतनी बड़ी संख्या में शवों को संरक्षित नहीं कर पाने के कारण हरिद्वार जिला चिकित्सालय में अफरा-तफरी का माहौल है। शवों के परीक्षण के लिए बीएचईएल (भेल), ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज से सहयोग लिया जा रहा है।
जिला चिकित्सालय आपातविभाग के अनुसार, तीन दिन तक शवों की पहचान न होने पर उनका अंतिम संस्कार करने के बारे में विचार किया जाएगा।
उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदा में 90 से ज्यादा धर्मशालाएं बह गई हैं। इसके अलावा केदार घाटी के 60 गांवों में सब कुछ तहस नहस हो गया है। राहत और बचाव अभियान में आई तेजी के बाद भी 13,806 लोग ऐसे हैं, जिनका कुछ अता-पता नहीं है। पुलिस के अनुसार ज्यादातर सड़कें और रास्ते बह जाने से हज़ारों लोग अब भी फंसे हुए हैं। गैर-आधिकारिक स्तर पर मरने वालों का आंकड़ा हज़ारों में बताया गया है।
(इनपुट भाषा से भी)
इसके अलावा हाथों के निशानों के लिए त्वचा संरक्षण का काम भी किया जा रहा है ताकि शवों की शिनाख्त में असुविधा नहीं हो। शवों को 1,2,3 नंबर दिए गए हैं और उनमें पहचान चिह्नों के टैग भी लगाए जा रहे हैं।
------------लापता लोगों की सूची------------------
एसएसपी राजीव स्वरूप के अनुसार शवों से छेड़छाड़ न हो इस पर भी पूरी नजर रखी जा रही है, ताकि शवों की पहचान नष्ट नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शवों का पोस्टमार्टम करने की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के कारण बाहर से डॉक्टर मंगवाने का अनुरोध किया गया है।
एसएसपी राजीव स्वरूप के अनुसार शवों से छेड़छाड़ न हो इस पर भी पूरी नजर रखी जा रही है, ताकि शवों की पहचान नष्ट नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शवों का पोस्टमार्टम करने की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के कारण बाहर से डॉक्टर मंगवाने का अनुरोध किया गया है।
नियमानुसार किसी भी मृतक के शव को तीन दिन तक सुरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। हरिद्वार में इतनी बड़ी संख्या में शवों को संरक्षित नहीं कर पाने के कारण हरिद्वार जिला चिकित्सालय में अफरा-तफरी का माहौल है। शवों के परीक्षण के लिए बीएचईएल (भेल), ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज से सहयोग लिया जा रहा है।
जिला चिकित्सालय आपातविभाग के अनुसार, तीन दिन तक शवों की पहचान न होने पर उनका अंतिम संस्कार करने के बारे में विचार किया जाएगा।
उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदा में 90 से ज्यादा धर्मशालाएं बह गई हैं। इसके अलावा केदार घाटी के 60 गांवों में सब कुछ तहस नहस हो गया है। राहत और बचाव अभियान में आई तेजी के बाद भी 13,806 लोग ऐसे हैं, जिनका कुछ अता-पता नहीं है। पुलिस के अनुसार ज्यादातर सड़कें और रास्ते बह जाने से हज़ारों लोग अब भी फंसे हुए हैं। गैर-आधिकारिक स्तर पर मरने वालों का आंकड़ा हज़ारों में बताया गया है।
(इनपुट भाषा से भी)
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