
- अमेरिका में चल रहे शटडाउन का तीसरा दिन है. क्या डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन ट्रंप के बीच गतिरोध बना रहेगा?
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश की चिंता के बीच शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुए.
- पहले की तरह ही अमेरिकी शटडाउन का सबसे अधिक असर वहां की यात्रा करने वालों पर होगा. भारत पर क्या पड़ेगा असर?
1 अक्टूबर से अमेरिका में शुरू हुआ शटडाउन का आज तीसरा दिन है. विपक्षी डेमोक्रेट्स ओबामा हेल्थकेयर जैसी सुविधाओं में अगले सात हफ्ते तक सब्सिडी जारी रखने और कटौतियों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं और गुरुवार को इसका असर वहां की सदन में देखने को मिला और बगैर कोई वोटिंग हुए ही उच्च सदन को स्थगित कर दिया गया. अब शुक्रवार को एक बार फिर उच्च सदन की बैठक होने जा रही है पर जिस तरह डेमोक्रेट्स अपनी मांगों पर अड़े हैं, ट्रंप के नेतृत्व वाले रिपब्लिकन के लिए अपनी योजनाओं को पास करवा पाना आसान नहीं होगा.
1981 से यह 15वीं बार अमेरिका में शटडाउन हुआ है. जानकार बताते हैं कि अगर जल्द ही कोई हल नहीं निकला तो सितंबर का जॉब रिपोर्ट निकालने, हवाई यात्रा में देरी, अमेरिकी सैनिकों को वेतन दिए जाने पर भी इसका असर पड़ सकता है. करीब साढ़े सात लाख कर्मचारियों अस्थायी रूप से बगैर वेतन के छुट्टी पर जाना पड़ सकता है. इससे हर दिन करीब 400 मिलियन डॉलर का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है.
हालांकि एक्सपर्ट यह भी कह रहे हैं कि इस बार यह शटडाउन कम समय के लिए रहेगा और इसका आर्थिक असर पिछली बार की तुलना में बहुत कम पड़ेगा. साथ ही बाजार पर भी इसके असर नहीं पड़ने की संभावना जताई गई है.

भारतीय शेयर बाजार पर अमेरिकी शटडाउन का असर कितना पड़ेगा?
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शेयर बाजार पर असर फिलहाल नहीं
हालांकि गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार गिर कर बंद हुआ तो शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट नहीं देखी गई. सेंसेक्स 223.86 अंक और निफ्टी 57.95 अंकों की उछाल के साथ बंद हुआ. हालांकि इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि क्या विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत लौटेंगे या चीन और दक्षिण कोरिया की ओर ही अपना रुख बनाए रखेंगे.
वैसे मजबूत रुपये और गिरते अमेरिकी डॉलर की वजह से भारतीय बाजारों में कुछ खरीदारी को बढ़ावा मिल सकता है. जानकार अमेरिकी शटडाउन को आईटी, बैंकिंग और कंज्यूमर पर आधारित शेयरों में मौके के तौर पर देख रहे हैं.
पिछले शटडाउन में क्या हुआ था?
पिछली बार अमेरिका में शटडाउन डोनाल्ड ट्रंप के ही पिछले कार्यकाल के दौरान 22 दिसंबर 2018 से 25 जनवरी 2019 तक 35 दिनों तक चला था, यह पिछले चार दशकों का सबसे बड़ा शटडाउन था.
उस दौरान यह अनुमान लगाया गया था कि अमेरिकी शेयर बाजार में जीडीपी के 0.02 फीसद की गिरावट आ जाएगी, पर तब शटडाउन को न तो अमेरिकी बाजार पर और न ही भारतीय बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा था. अमेरिकी एसऐंडपी 500 में 10 फीसद की बढ़त देखी गई थी, तो भारतीय सेंसेक्स भी 0.80 प्रतिशत उछाल भरा था. हालांकि अमेरिकी की जीडीपी में 3 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी.
आर्थिक जानकारों का अनुमान है कि इस बार शटडाउन के कारण हर हफ्ते आर्थिक वृद्धि में करीब 0.1 से 0.2 प्रतिशत अंकों की कमी आ सकती है.
हालांकि इसके दूरगामी परिणामों के आसार भी जताए जा रहे हैं क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले ही टैरिफ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे बदलाव के दौर से गुजर रही है.

व्हाइट हाउस
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अमेरिकी शटडाउन का भारत पर क्या पड़ेगा असर?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिकी शटडाउन का सबसे अधिक असर वहां की यात्रा करने वालों पर पड़ेगा. वैसे तो अमेरिकी एयरपोर्ट चालू रहेंगे और एयर ट्रैवल भी चलता रहेगा. पर वहां जाने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट प्रक्रियाओं में सामान्य दिनों के मुकाबले अधिक समय लगेगा क्योंकि शटडाउन की वजह से वहां काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या में कमी की गई है.
ट्रैवल के लिहाज से जरूरी पासपोर्ट और वीजा सेवा पर भी असर पड़ने की संभावना है और इसमें सामान्य दिनों की तुलना में देरी हो सकती है. पिछले शटडाउन के दौरान नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता स्थित अमेरिकी कांसुलेट में फंडिंग और स्टाफ की कमी की वजह से धीमी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा था.
इसका मतलब है कि शटडाउन वाले दिनों में वीजा पाने कोशिश में अधिक समय का लगना और लंबी कतारों का मिलना तय है.
कांसुलर और ट्रैवल गतिविधियां जारी रहेंगी लेकिन इनमें कमी आने और वीजा में देरी की संभावना जताई जा रही हैं तो सरकार से जुड़ी प्रक्रियाओं के धीमा होने की संभावना जताई गई है.
हालांकि भारत सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल इस पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है.
शटडाउन क्या होता है?
अमेरिकी सरकार को चलाने के लिए हर साल बजट पास करना जरूरी होता है. अगर वहां की संसद यानी कांग्रेस और राष्ट्रपति किसी वजह से इस पर सहमत नहीं होते और फंडिंग बिल पास नहीं होता तो सरकार के पास अपने कई विभागों को चलाने के लिए पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में सरकार के कुछ विभागों को बंद कर दिया जाता है, जिसकी वजह से सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाता. इसकी वजह से गैर-जरूरी सेवाओं को बंद कर दिया जाता है. इसे ही शटडाउन कहा जाता है.
शटडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं जैसे सेना, पुलिस और आपातकालीन हेल्थकेयर तो चलती रहती हैं, लेकिन बाकी गैर-जरूरी दफ्तर और सेवाएं बंद हो जाती हैं. लाखों सरकारी कर्मचारी बिना वेतन छुट्टी पर भेजे जाते हैं और कई योजनाओं का काम रुक जाता है. इसका असर सीधे लोगों और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है.
1 अक्तूबर को शुरू हुए शटडाउन से पहले अमेरिकी सरकार के खर्चों से जुड़े एक बिल पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेट्स के बीच वहां की संसद में सहमति नहीं बन पाई. इससे सरकार के कामकाज के लिए जरूरी बजट नहीं पास हो सका और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों का कामकाज रुक गया. पिछली बार अमेरिका में शटडाउन 2018 में हुआ था जो रिकॉर्ड 35 दिनों तक चला था. वो अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा चला शटडाउन था.
ब्लू स्टेट पर शटडाउन की गाज
यह शटडाउन अब तीसरे दिन भी जारी है और फिलहाल इसके समाधान की कोई संभावना नहीं दिख रही है. शटडाउन के पैदा हुए हालात के लिए रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स दोनों एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा है कि वो ऑफिस ऑफ बजट ऐंड मैनेजमेंट के प्रमुख से मुलाकात करेंगे ताकि यह तय कर सकें कि कहां कटौती की जा सकती है.
इस बीच व्हाइट हाउस ने ब्लू स्टेट्स में अरबों डॉलर की योजनाओं को या तो रोक दिया है या उन्हें रद्द कर दिया गया है.
बता दें कि अमेरिकी राज्य ब्लू, रेड और पर्पल स्टेट्ट में बंटे हुए हैं. जिन राज्यों के लोग आमतौर पर डेमोक्रेट्स के लिए वोट करते हैं उन्हें ब्लू स्टेट्ट कहा जाता है. रेड स्टेट्स वाले राज्यों में रिपब्लिकन का बोलबाला रहता है जबकि पर्पल स्टेट्स वाले राज्य वो होते हैं जो किसी भी पार्टी के लिए वोट करते हैं.
डेमोक्रेट्स राज्यों पर नकेल कसने की कवायद
राष्ट्रपति ट्रंप ने रिपब्लिकन से कहा है कि वो इस मौके का इस्तेमाल बेकार के तत्वों, फिजूलखर्ची और धोखाधड़ी को खत्म करने में करें. ट्रंप ने सोशल मीडिया ट्रूथ पर लिखा, "रिपब्लिकन को डेमोक्रेट्स के इस थोपे गए शटडाउन का इस्तेमाल बेकार के तत्वों, फिजूलखर्ची और धोखाधड़ी खत्म करने के लिए करना चाहिए. इससे अरबों डॉलर बचाए जा सकते हैं. मेक अमेरिका ग्रेट अगेन."
अगर यह शटडाउन कुछ लंबा चला तो अमेरिकी में बड़े पैमाने पर छंटनी देखने को मिल सकती है और इसकी आशंका खुद व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने जताई है.
फेडरल कर्मचारियों का क्या होगा?
अधिकांश ऐसे फेडरल कर्मचारियों को जो आमजनों की सुरक्षा के लिहाज से अहम नहीं हैं, उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजा जाएगा वहीं कुछ लोगों को बिना वेतन रखा जाएगा.
इस समय, यह स्पष्ट नहीं है कि कितने कर्मचारियों को लंबी छुट्टी पर भेजा जाएगा, या कितनों को बिना वेतन रखा जाएगा या कितनों को काम से पूरी तरह हटा दिया जाएगा.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने कहा है कि इस बार बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है. साथ ही ट्रंप प्रशासन डेमोक्रेट राज्यों के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग में कटौती पर भी खास ध्यान दे रहा है.
ट्रंप ने भी जोर देकर कहा है कि वो रस वॉट से मुलाकात करके यह तय करेंगे कि कौन सी डेमोक्रेट एजेंसियों को खत्म किया जाए, इनमें ज्यादातर एजेंसियां एक राजनीतिक धोखा हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह भी देखना होगा कि ये कटौतियां अस्थायी होंगी या स्थायी.
कब तक जारी रहेगा शटडाउन?
2018-19 में अमेरिकी शटडाउन 35 दिनों तक तो 2013 में यह 13 दिनों तक चला था. अमेरिकी संसद की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक शटडाउन तब समाप्त होता है जब उच्च सदन में सरकार के खर्चों को लेकर अल्पावधि या दीर्घावधि बिल पास हो जाता है और अमेरिकी राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर कर देते हैं.
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