
लखनऊ:
देश में धार्मिक असहिष्णुता की बढ़ती वारदात के विरोध में साहित्यकारों द्वारा अपने पुरस्कार वापस लौटाए जाने को लेकर छिड़ी बहस के बीच मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने कहा कि कलम के अमीर इन अदीबों के पास विरोध दर्ज कराने का इससे मजबूत और कोई जरिया नहीं है।
पिछले कुछ दिनों से साहित्यकारों द्वारा अपने पुरस्कार लौटाए जाने के सिलसिले में कल नई कड़ी जोड़ते हुए अपना साहित्य अकादमी सम्मान वापस करने वाले राणा ने कहा कि मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब को लहूलुहान किया जा रहा है और इसके विरोध में साहित्यकारों का अपने पुरस्कार वापस करना उनके प्रतिकार का चरम है।
राणा ने कहा कि उन्होंने मुल्क के मौजूदा हालात का विरोध दर्ज कराने के लिए अंतरात्मा की आवाज पर साहित्य अकादमी अवार्ड वापस किया है।
साहित्यकारों द्वारा अपने पुरस्कार वापस किए जाने के औचित्य को लेकर देश में छिड़ी बहस के सवाल पर उन्होंने कहा, 'देखिए, हमारे पास विरोध दर्ज कराने के लिए और है भी क्या?' राना ने कहा, 'इस उम्र में हम धरना दे नहीं सकते, अनशन कर नहीं सकते, सड़कों पर उतर नहीं सकते, हां, लिख सकते हैं लेकिन, कलबुर्गी साहब का क्या अंजाम हुआ। हम कलम के सिपाही हैं, इसलिए उस कलम के सम्मान स्वरूप सरकार ने जो अवार्ड दिया, उसको वापस करने को ही हम अपने पुरजोर विरोध की निशानी मानते हैं।' उन्होंने कहा, जो साहित्यकार इन हालात के मद्देनजर अपने अवार्ड वापस कर रहे हैं, हम उनके साथ हैं।
पिछले कुछ दिनों से साहित्यकारों द्वारा अपने पुरस्कार लौटाए जाने के सिलसिले में कल नई कड़ी जोड़ते हुए अपना साहित्य अकादमी सम्मान वापस करने वाले राणा ने कहा कि मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब को लहूलुहान किया जा रहा है और इसके विरोध में साहित्यकारों का अपने पुरस्कार वापस करना उनके प्रतिकार का चरम है।
राणा ने कहा कि उन्होंने मुल्क के मौजूदा हालात का विरोध दर्ज कराने के लिए अंतरात्मा की आवाज पर साहित्य अकादमी अवार्ड वापस किया है।
साहित्यकारों द्वारा अपने पुरस्कार वापस किए जाने के औचित्य को लेकर देश में छिड़ी बहस के सवाल पर उन्होंने कहा, 'देखिए, हमारे पास विरोध दर्ज कराने के लिए और है भी क्या?' राना ने कहा, 'इस उम्र में हम धरना दे नहीं सकते, अनशन कर नहीं सकते, सड़कों पर उतर नहीं सकते, हां, लिख सकते हैं लेकिन, कलबुर्गी साहब का क्या अंजाम हुआ। हम कलम के सिपाही हैं, इसलिए उस कलम के सम्मान स्वरूप सरकार ने जो अवार्ड दिया, उसको वापस करने को ही हम अपने पुरजोर विरोध की निशानी मानते हैं।' उन्होंने कहा, जो साहित्यकार इन हालात के मद्देनजर अपने अवार्ड वापस कर रहे हैं, हम उनके साथ हैं।
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