विज्ञापन

दिलीप कुमार ने स्क्रिप्ट पढ़ते ही ऑफर की 3 फिल्म, अमिताभ को बनाया शहंशाह, फिर खुद बना गॉड ऑफ एक्टिंग

अफगानिस्तान के काबुल में जन्मे इस एक्टर की लिखावट इतनी असरदार थी कि पहली बार दिलीप कुमार ने उनकी स्क्रिप्ट पढ़कर उन्हें तीन फिल्में ऑफर कर दीं. इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई यादगार फिल्में लिखीं.

दिलीप कुमार ने स्क्रिप्ट पढ़ते ही ऑफर की 3 फिल्म, अमिताभ को बनाया शहंशाह, फिर खुद बना गॉड ऑफ एक्टिंग
बॉलीवुड इंडस्ट्री का बड़ा नाम थे कादर खान
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में ऐसे कलाकार बहुत कम हैं, जिनका सफर संघर्षों से शुरू होकर शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचा हो. कादर खान का नाम ऐसे ही सितारों में से एक है, जो एक्टिंग से लेकर राइटिंग तक की विधा में माहिर कलाकार थे. अफगानिस्तान के काबुल में जन्मे कादर खान बचपन में मुंबई के बदनाम इलाके कमाठीपुरा आ गए थे. गरीबी इतनी थी कि कभी स्कूल की फीस नहीं भर पाते, तो कभी मजदूरी करनी पड़ती. पर मेहनत और हुनर के बल पर उन्होंने खुद को न सिर्फ कमाल का अभिनेता, बल्कि लाजवाब लेखक भी साबित किया. उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और करीब 250 फिल्मों के संवाद लिखे.

गरीबी, मजदूरी और थिएटर से शुरुआत

कादर खान का बचपन बेहद संघर्षों से भरा हुआ था. वो अक्सर कहते थे कि कमाठीपुरा की गलियों ने उन्हें जिंदगी का असली मतलब सिखाया. पढ़ाई के साथ-साथ मजदूरी करना उनकी दिनचर्या बन गई थी. लेकिन पढ़ने-लिखने का शौक कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और बतौर लेक्चरर काम करने लगे. कॉलेज में ही नाटकों से जुड़ाव हुआ और यहीं से उनका अभिनय का सफर शुरू हुआ.

अमिताभ के करियर का टर्निंग पॉइंट बने

कादर खान की लिखावट इतनी असरदार थी कि पहली बार दिलीप कुमार ने उनकी स्क्रिप्ट पढ़कर उन्हें तीन फिल्में ऑफर कर दीं. इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई यादगार फिल्में लिखीं- अमर अकबर एंथनी, कुली, लावारिस, शराबी, मुक़द्दर का सिकंदर, नमक हलाल जैसी फिल्मों के संवाद आज भी लोगों को याद हैं. कहा जाता है कि जब अमिताभ के डायलॉग्स कादर खान लिखते थे, तब फिल्में ब्लॉकबस्टर होती थीं.

300 से ज्यादा फिल्में कीं

कादर खान ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. कभी कॉमेडी में गोविंदा के साथ, तो कभी विलेन बनकर डराया. हीरो नंबर 1, दुल्हे राजा, साजन चले ससुराल, खूनी पंजा, घरवाली बाहरवाली जैसी फिल्मों में उनकी कॉमिक टाइमिंग आज भी याद की जाती है.

सम्मान और अंत

कादर खान को 2013 में साहित्य शिरोमणि अवॉर्ड मिला और 2019 में उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से भी नवाजा गया. उनका निधन 31 दिसंबर 2018 को कनाडा में हुआ. लेकिन उनके रचे गए संवाद और किरदार आज भी जिंदा हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com