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This Article is From Dec 11, 2014

धर्म परिवर्तन पर संसद में बहस : वैंकैया नायडू ने कहा, मुझे आरएसएस की पृष्ठभूमि पर गर्व है

नई दिल्ली:

धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर संसद में जारी बहस के दौरान संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि केंद्र के साथ-साथ सभी राज्यों में भी धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे कथित रूप से जुड़े संगठनों की बीजेपी से कथित नज़दीकी को लेकर लगातार हंगामा कर रहे विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वैंकैया नायडू ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी आरएसएस की पृष्ठभूमि पर गर्व है। उनके इस बयान पर भी संसद में ज़ोरदार हंगामा शुरू हो गया।

नायडू ने कहा, 'स्वामी विवेकानंद ने 28 नवंबर 1983 को अमेरिका में कहा था कि अगर कोई यह कहता है कि मैं यहां धर्म परिवर्तन करने आया हूं, यह मेरी बेईज्जती है।'

नायडू ने कहा, 'डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि भारत में अमेरिकन क्रिश्चन मिशिनरियों का होना, ब्रिटिश राजशाही के राज के समान है। वे उनके यहां धर्म परिवर्तन पर बोल रहे थे। सरदार पटेल ने कहा था कि यह तथ्य है कि देश में धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। जो गलत है। बच्चों का भी धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है।'

नायडू ने कहा कि तमाम कांग्रेसी सरकारों धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया है। वहां नरेंद्र मोदी नहीं थे। नायडू ने कहा कि आर एसएस से जुड़े होने पर गर्व है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के हिंदू के नाम पर आपत्ति है। हिंदू आरएसएस का नाम नहीं है। हिंदू शब्द भाजपा का या आरएसएस का नहीं है।

उन्होंने कहा कि हर राज्य और केंद्र में धर्मांतरण के विरोध में कानून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश के विकास के लिए काम कर रही है। किसी प्रकार को कोई एडेंडा नहीं है।

यूपी में धर्मांतरण की बात पर नायडू का कहना है कि यूपी सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए अगर कुछ गलत हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल गलत है।

स्मृति ईरानी के ज्योतिषी के पास जाने के मुद्दे पर नायडू ने कहा कि आप किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचा सकते हैं। आप स्वतंत्र हैं वह भी स्वतंत्र हैं।

इससे पहले, पूरा विपक्ष एकजु़ट होकर सरकार को घेरने की कोशिश में लगा रहा, और सभी विपक्षी नेताओं ने अपनी बात कहते हुए किसी न किसी तरीके से सरकार को खरी-खोटी सुनाई। समाजवादी पार्टी जैसे कुछ दलों ने तो वॉकआउट तक किया। कांग्रेस का कहना था कि धर्म परिवर्तन देश का ध्रुवीकरण करने की चाल है, और उन्होंने प्रधानमंत्री से बयान की मांग की।

गुरुवार को भी संसद में धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर जोरदार हंगामा होता रहा, जिसके बाद विपक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए चर्चा हो रही है। चर्चा का नोटिस कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया था। सिंधिया ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी और आगरा में धर्म परिवर्तन के मुद्दे को उठाया, जिसके बाद मुलायम सिंह यादव समेत कई सांसदों ने अपनी-अपनी बात रखी।

दरअसल, आगरा के बाद 25 दिसंबर को अलीगढ़ में धर्म परिवर्तन कायर्क्रम की तैयारी की चर्चा है। लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच संसदीय कार्यमंत्री वैंकैया नायडू ने कहा कि सरकार धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने के लिए उस पर चर्चा कराने को तैयार है।

इस बीच, गृहमंत्रालय ने यूपी सरकार से आगरा धर्म परिवर्तन मामले में रिपोर्ट तलब की है। उल्लेखनीय है कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के नजदीक जमा हो गए और सभी एकसाथ 'मोदी सरकार होश में आओ' और 'हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई' के नारे लगाने लगे। समाजवादी पार्टी (सपा) नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा, अन्यथा, दंगे हो सकते हैं।

दरअसल, अलीगढ़ में बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में पांच हजार ईसाइयों और मुसलमानों को हिन्दू बनाने की योजना है। हाल ही में वहां 80 ईसाइयों को हिन्दू बनाया जा चुका है, वहीं समाजवादी पार्टी ने कहा है कि यह कार्यक्रम नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन योगी आदित्यनाथ अड़े हैं कि ऐसा होकर रहेगा।

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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