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This Article is From Sep 03, 2012

संसद में गतिरोध बरकरार, सरकार झुकने को नहीं तैयार

संसद में गतिरोध बरकरार, सरकार झुकने को नहीं तैयार
नई दिल्ली: मौजूदा संसद सत्र के आखिरी सप्ताह का पहला दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। लिहाजा कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। लेकिन हंगामे के बीच ही सरकार ने तीन विधेयक जरूर पारित करा लिए। कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर अब तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मांग अब आवंटन रद्द करने और जांच कराने पर आ टिकी है वहीं सरकार एक कदम पीछे हटने को भी तैयार नहीं है। सरकार ने सोमवार को इन दोनों मांगों को खारिज कर दिया।

भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण संसद में 9वें दिन सोमवार को भी कोई कामकाज नहीं हो पाया और दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

कोयला ब्लॉक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही है। लेकिन अब थोड़ी नरमी दिखाते हुए भाजपा ने कहा है कि यदि सभी कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिए जाएं और सीएजी की रिपोर्ट पर निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए जाएं तो वह संसद की कार्यवाही चलने देगी।

बहरहाल, गतिरोध दूर होने के कोई संकेत भी नहीं मिल रहे हैं। भाजपा की ओर से रखी गई शर्तों को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। सरकार ने सभी दलों से इस मुद्दे पर बहस के लिए सहमत होने की अपील की। उसने हालांकि स्वीकार किया कि कोयला ब्लॉक आवंटित करने के उद्देश्य को झटका लगा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा, "प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करना बेकार है.. वे जानते हैं कि यह कभी नहीं होगा। जहां तक कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द करने की बात है तो अंतर मंत्रालयी समूह की मध्य सितम्बर तक रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई होगी।"

चिदम्बरम ने कहा, "कोयला ब्लॉक आवंटन करने की नीति 1993 से लागू है लेकिन इसके उद्देश्य को झटका लगा है। कई खदान हैं जिनमें खनन नहीं हुआ है।"

कोयला ब्लॉक आवंटन की न्यायिक जांच की जरूरत को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2004 में नीलामी की नीति को बदलने की सोची थी। उन्होंने कहा कि कोयला आवंटन के मुद्दे पर संसद में बहस होनी चाहिए। "आमने-सामने जब बहस होगी तभी इससे कई बातें निकलकर सामने आएंगी। मैं भाजपा से अपील करता हूं कि संसद में इस पर बहस करे।"

चिदम्बरम के अनुसार 47 आवंटित कोयला ब्लॉक नीतियों पर खरे उतरे हैं, 58 ब्लॉक, जिन्हें नोटिस जारी किया गया है, नीतियों पर खरे नहीं उतरे हैं। उन्होंने ब्लॉक का विवरण देते हुए कहा कि 30 ब्लॉकों में कोयले का उत्पादन आरम्भ हो चुका है, जबकि 70 में आने वाले दिनों में कोयला उत्पादन शुरू हो जाएगा और 58 को पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि 75 प्रतिशत से अधिक सांसद संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने देने के पक्ष में हैं, लेकिन भाजपा कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित करने पर आमादा है।

बंसल ने यह भी कहा कि जिन कोयला ब्लॉक में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी जांच की जा रही है।

बंसल ने कहा, "75 प्रतिशत सांसद सदन की कार्यवाही चलने देने के पक्ष में हैं, लेकिन भाजपा जिद पर अड़ी है।"

बंसल ने कहा, "हमें कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना है। हमने (कोयला ब्लॉकों के आवंटन के समय) भाजपा के मुख्यमंत्रियों से सहमति ली थी।"

बंसल ने कहा कि इस मामले में उचित कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू है और सीबीआई जरूरी मामलों की जांच कर रही है। उन्होंने कहा, "भाजपा की मांग जनता को गुमराह करने के लिए है।"

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किए जाने की मांग खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार को इस मुद्दे पर गतिरोध दूर करने का कोई निष्पक्ष विकल्प नहीं दे रही है।

खुर्शीद ने कहा कि विपक्ष की मांग खुद से फांसी लगाने वाले किसी व्यक्ति को सम्मानजनक अंतिम संस्कार की पेशकश करने जैसी है।

खुर्शीद ने कहा, "वह जो कह रहे हैं वह कुछ ऐसा है कि 'अगर आप फांसी लगा लें, तो मैं आपका सम्मानजनक अंतिम संस्कार करूंगा'।"

खुर्शीद ने कहा, "वे कह रहे हैं कि मैं आपका दाहिना हाथ काट लूंगा, लेकिन दाहिना पैर छोड़ दूंगा। हम कोई चालाकी भरा विकल्प नहीं चाहते, हम उचित विकल्प चाहते हैं।"

खुर्शीद ने कहा, "उन्हें पता है कि कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किए जाने से निवेशक की भावनाओं और अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा? संसद बाधित होने से न केवल देश का धन नुकसान हो रहा है, बल्कि हम उन विधेयकों को नहीं पारित कर पा रहे हें, जिनके दूरगामी परिणाम हैं।"

खुर्शीद ने भाजपा पर यह आरोप भी लगाया कि वह भ्रष्टाचार निवारक विधेयकों को भी नहीं पारित होने देना चाहती। उन्होंने कहा, "हम जिन भ्रष्टाचार निवारक प्रमुख विधेयकों को पारित करने की कोशिश कर रहे हैं, वे सभी को अवरुद्ध कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे इस बात को लेकर बेचैन हैं कि कहीं पारदर्शिता न आ जाए।"

खुर्शीद ने यह कहते हुए आवंटन का बचाव किया कि यह राष्ट्रहित में है। उन्होंने कहा, "कोयला ब्लॉक आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं है। ऐसा राष्ट्रहित में किया गया था।"

कानून मंत्री ने कहा, "राष्ट्रहित को आगे बढ़ाने के कई तरीके हैं..कम्युनिस्टों के अपने तरीके हैं, पूंजीवादियों के अपने तरीके हैं.. उनका आचरण संकीर्ण सोच का प्रदर्शन है, जो लोकतंत्र की मान्यताओं के विपरीत है।"

खुर्शीद ने कहा, "हम अपने लोकतंत्र पर उनकी वैचारिक हिंसा की अनुमति नहीं दे सकते। यह उन विचारों के बिल्कुल खिलाफ है, जिनपर लोकतंत्र टिका हुआ है।"

इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला जारी रखते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, "कोयला आवंटन में हुए घोटाले पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी का हवाला दिया है। अदालत में आरोपी को चुप रहने का अधिकार है लेकिन एक प्रधानमंत्री ऐसा नहीं कर सकता।"

जेटली ने कहा, "वह उस पद पर हैं जो सबसे अधिक जवाबदेह है। जवाबदेही और चुप्पी एक साथ नहीं चल सकते।" जेटली ने यह भी कहा कि भाजपा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग छोड़ी नहीं है।

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि हजारों जवाबों से बेहतर उनकी खामोशी है। प्रधानमंत्री ने कहा था, "हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।"

वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हम कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किए जाने और उनकी जांच की मांग करते आ रहे हैं। सरकार को अब इस दिशा में कदम उठाना चाहिए क्योंकि भाजपा भी उसके इस विचार के अनुरूप मांग कर रही है।"

संसद का मानसून सत्र सात सितम्बर को समाप्त हो रहा है। लेकिन पिछले एक सप्ताह से भाजपा के विरोध के कारण संसद की कार्यवाही नहीं चल पाई है। भाजपा कोयला ब्लॉक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही है।

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