उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करहल विधानसभा सीट पर 'लड़ाई' को बीजेपी ने दिलचस्प बना दिया है. मैनपुरी जिले की करहल सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव मैदान में उतरे हैं. यादव परिवार का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर अखिलेश की जीत बेहद आसान मानी जा रही थी लेकिन बीजेपी ने यहां से केंद्रीय मंत्री और आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल को उम्मीदवार घोषित करके मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी में रह चुके एसपी सिंह बघेल के आने से अखिलेश की राह उतनी आसान नहीं होगी, जितनी पहले मानी जा रही थी. NDTV ने मैनपुरी में लोगों से बात करके जिले के चुनावी माहौल और बघेल के मैदान पर आने के बाद करहल सीट पर बने सियासी समीकरण के बारे में लोगों की राय जानने की कोशिश की.
सर्दी के मौसम में गर्मागर्म भुने हुए आलू का मजा ले रहे ब्रजेश ने कहा, 'मुझे लग रहा कि अखिलेश जीत जाएंगे.' इसका कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि वे अच्छा काम कर रहे हैं. सांवरिया नाम के एक अन्य व्यक्ति ने भी कहा कि अखिलेश यादव ही जीतेंगे. उनका अच्छा काम हैं, इसलिए वे ही जीतेंगे. काम अच्छा किया है. अरविंद गुप्ता नाम के एक अन्य शख्स ने कहा, 'अखिलेश यादव का काम अच्छा है. मैनपुरी यादव परिवार का गढ़ है. अखिलेश जीतेंगे. उन्हें कोई हराने वाला नहीं है. पालीटेनिक्कल कॉलेज, हाईवे का निर्माण उन्होंने कराया.
प्रसून गुप्ता ने कहा कि मैनपुरी का जो भी विकास हुआ है, वह अखिलेश की देन है हालांकि यूपी में सरकार बीजेपी की बनेगी. प्रसून ने कहा कि हमारे यहां से जो कैंडिडेट लोकल में खड़े हुए हैं वे बहुत अच्छे हैं. ऊपर तो बीजेपी छा रही है. हालांकि एक वोटर संजय कुमार की राय इससे कुछ अलग थी. उन्होंने कहा कि मैनपुरी जिले में जबर्दस्त लड़ाई होगी. चारों विधानसभा में भाजपा टक्कर लेगी. बघेल के आने से बीजेपी टक्कर देगी. उन्होंने कहा कि तीन सीटें बीजेपी जीतेगी. अनिल यादव नाम के एक अन्य शख्स ने कहा कि मैनपुरी और एटा पर सपा जीतेगी. चुनाव का मुद्दा क्या है, यह पूछने पर अनिल ने कहा-बेरोजगारों पर जो लाठी पड़ी, वह बड़ा मुद्दा है. हम यहां से फॉर्म डालें. लखनऊ जाएं, क्या लाठी खाने के लिए हमने सरकार चुनी थी. यह कहने पर कि बीजेपी भी किसानों को पैसा दे रही तो इस शख्स ने कहा-पैसा नहीं चाहिए, हमें रोजगार चाहिए. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति के बारे में पूछने पर अनिल यादव ने कहा कि लखीमपुर खीरी का जो मामला है वह लॉ एंड ऑर्डर का मामला नहीं. बीजेपी के शासन के दौरान लखीमपुर में महिला की साड़ी खींची गई. इसी तरह हाथरस में कन्या को जला दिया गया.
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