79 साल के हसनुराम (Hasnuram Ambedkari ) इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं, क्योंकि उन्होंने अपना 99वां चुनाव लड़ने का फैसला किया है,जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. 1985 के बाद से अपने 98 प्रयासों में हार का सामना करने के बावजूद अंबेडकरी ने चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाना जारी रखा है. इस बार उन्हें फ़तेहपुर सीकरी से शतक के करीब पहुंचने की उम्मीद थी हालांकि भाग्य ने उन्हें करारा झटका दिया क्योंकि फ़तेहपुर सीकरी से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया.
चुनाव लड़ने के उनके जुनून का स्वीकार करते हुए अंबेडकरी का परिवार उनके दृढ़ संकल्प का सम्मान करता है और उनके लक्ष्य के साथ खड़ा है. एक क्लर्क और एक मनरेगा कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद अंबेडकरी अपने चुनावी अभियानों का वित्तपोषण पूरी तरह से अपने संसाधनों से करते हैं.
उन्होंने बताया कि चुनाव लड़ना मेरा जुनून है और मैं इसका खर्च अपने आप पूरा करता हूं. मैं किसी से वित्तीय सहायता या समर्थन नहीं मांगता. मुझे पता है कि मैं जीत नहीं पाऊंगा, लेकिन हार की सोच मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती.
उन्हें ये पता है कि समय उनके पक्ष में नहीं है.. लेकिन अंबेडकरी चुनाव लड़ने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा, "मैं शतक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं और मैं यह भी जानता हूं कि मेरी उम्र बढ़ रही है. मैं दुनिया से जाने से पहले अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा."
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