विज्ञापन
This Article is From May 23, 2020

योगी आदित्यनाथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बैठक की तस्वीर देखकर खुश हुए होंगे?

अगर आप सोच रहे होंगे कि कोरोना वायरस से जूझ रहे देश में राजनीतिक पार्टियां चुनावी गुणा-भाग में नहीं लगीं है तो आप गलत साबित हो सकते हैं क्योंकि राजनीति में जब कुछ न होता दिख रहा है तो उसे शांत जल की तरह समझना चाहिए जिसमें धाराएं एक दूसरे को अंदर ही अंदर काटती रहती हैं.

योगी आदित्यनाथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बैठक की तस्वीर देखकर खुश हुए होंगे?
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में श्रम कानूनों में ढील दी है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

अगर आप सोच रहे होंगे कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से जूझ रहे देश में राजनीतिक पार्टियां चुनावी गुणा-भाग में नहीं लगीं है तो आप गलत साबित हो सकते हैं क्योंकि राजनीति में जब कुछ न होता दिख रहा है तो उसे शांत जल की तरह समझना चाहिए जिसमें धाराएं एक दूसरे को अंदर ही अंदर काटती रहती हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने हमेशा की तरह अपने मुद्दे तलाशने शुरू कर दिए हैं. कोरोना संकट के बीच कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जमकर घेरा है. लेकिन इसमें उनका साथ देने के लिए राज्य के दो प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सामने नहीं आए.  दरअसल प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में अतिसक्रियता इन दोनों दलों के लिए ठीक नहीं है और इस बात को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव 2019 के ही समय समझ लिया था.

दरअसल प्रियंका गांधी की टीम का फोकस दलित वोटरों पर भी है जो मायावती का कोर वोटर हैं. मायावती ने कांग्रेस से कितना नाराज हैं इस बात का अंदाजा उनके गुरुवार को हुए ट्वीट  से लगा सकते हैं जिसमें उन्होंने लिखा,'राजस्थान की कांग्रेसी सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में यूपी सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की जो मांग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है. दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुखःद.'

एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा,  ''लेकिन कांग्रेसी राजस्थान सरकार एक तरफ कोटा से यूपी के छात्रों को अपनी कुछ बसों से वापस भेजने के लिए मनमाना किराया वसूल रही है तो दूसरी तरफ अब प्रवासी मजदूरों को यूपी में उनके घर भेजने के लिए बसों की बात करके जो राजनीतिक खेल कर रही है यह कितना उचित व कितना मानवीय?''

वहीं लोकसभा चुनाव में करारी हार और उसके बाद मायावती की 'दुत्कार' झेल चुके समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि अब वह किसी गठबंधन की जगह अकेले ही चुनावी मैदान में लड़ने का मन बना रहे हैं.

smdo9fno

इन सारे राजनीतिक समीकरणों का नतीजा ये रहा है कि गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कोरोना वायरस पर बुलाए गई विपक्ष की बैठक से मायावती और अखिलेश यादव दोनों ने किनारा कर लिया. साथ ही ये भी संकेत दिए कि वह किसी भी स्थिति में कांग्रेस की अगुवाई स्वीकार नहीं करेंगे. 

लेकिन अगर सोनिया गांधी की बैठक की इस तस्वीर को देखें और अगर इसे आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़ें तो यह स्थिति बीजेपी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को खुश कर सकती है. क्योंकि ये तस्वीर कुछ लोकसभा चुनाव जैसी ही बन रही है. खिलाफ पड़ने वाले वोटों का बिखराव बहुत फायदा पहुंचा सकता है. हालांकि ये भी तय है कि आने साल, छह महीनों में जो प्रवासी घर वापस आए हैं उनको रोजगार का मुद्दा बड़ा बन सकता है और कांग्रेस इसी कोशिश में है. वहीं दूसरी ओर सीएम योगी भी इसे समझ रहे हैं यही वजह उन्होंने श्रम कानूनों में ढील दिए जाने से कई कदम और डाटा तैयार करने के लिए कहा है ताकि निवेश बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिया जा सके. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com