उत्तर प्रदेश की विधानसभा में भाजपा के एक विधायक को पुलिस के अत्याचार के खिलाफ बोलने नहीं दिया गया, जिसके बाद भाजपा विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए. इसमें विपक्षी दलों के विधायकों ने भी उनका साथ दिया. वहीं भाजपा के एक विधायक ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की तरह विधायकों को भी अपनी यूनियन बनानी चाहिए.
हरदौई जिले से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश ने फेसबुक पर पोस्ट में लिखा है, 'चपरासी से IAS, होमगार्ड से IPS, सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी, प्रधान, प्रमुख, किसान, व्यापारी आदि सभी के संगठन हैं. इसलिए विधायकों को भी अपने अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए यूनियन बनानी चाहिए. क्योंकि आज राजनीति में विधायक ही सबसे कमजोर कड़ी बन गए हैं.'
मंगलवार दोपहर विधानसभा में धरने पर बैठे भाजपा और विपक्षी दलों के करीब 100 विधायक स्पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने के बाद भी वहां से जाने से मना कर दिया.
यूपी: अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे BJP के विधायक, विपक्ष का मिला साथ
बवाल तब पैदा हुआ जब मंगलवार को गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर पुलिस के अत्याचार के खिलाफ बोलने चाह रहे थे. लेकिन स्पीकर ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया, इसके बाद कई भाजपा और विपक्षी विधायक गुर्जर के समर्थन में आ गए. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक सदन में 'विधायक एकता जिंदाबाद' के नारे लगाए गए. यूपी सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों और स्पीकर की दखल के बाद मामले को सुलझाया गया और धरना खत्म किया गया. इस दौरान भाजपा और विपक्ष के करीब 100 विधायक थे, जिन्होंने सदन से बाहर आने से मना कर दिया था.
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गुर्जर के खिलाफ की आपराधिक मामले दर्ज हैं. कुछ दिन पहले यूपी भाजपा अध्यक्ष ने गाजियाबाद में एक फूड इंस्पेक्टर के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था. विधायक ने फूड इंस्पेक्टर से इलाके में एक नॉन वेज परोसने वाले होटल को बंद कराने से मना कर दिया था. इस मामले को लेकर विधायक के खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज किया गया था.
मंगलवार को विधानसभा में जब यह बवाल हुआ, उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में मौजूद नहीं थे. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीती रात गुर्जर से मुलाकात की और उन्हें इस मामले में कार्रवाई का भरोसा दिलाया. गुर्जर ने मांग की था कि गाजियाबाद पुलिस प्रमुख और जिलाधिकारी को सदन में तलब किया जाए और उनसे माफी मंगवाई जाए.
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