केंद्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने राज्यसभा में अपने ही बयान का खंडन किया.
नई दिल्ली:
चार्ल्स डार्विन की थ्योरी पर केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डा सत्यपाल सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में खुद के बयान का ही खंडन किया. सत्यपाल सिंह ने लिखित जवाब में कहा कि चार्ल्स डार्विन की थ्योरी 12वीं कक्षा के बायोलॉजी के करिकुलम का हिस्सा है और इस थ्योरी को स्कूल और कॉलेज के करिकुलम से हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
सत्यपाल सिंह ने चार्ल्स डार्विन के ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत को विद्यालय और महाविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया. डॉ सिंह ने राज्यसभा को बताया कि चार्ल्स डार्विन के ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत को विद्यालय और महाविद्यालय पाठ्यक्रम से हटाए जाने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन नहीं है.
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उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मिली सूचना के अनुसार, चार्ल्स डार्विन का ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत बारहवीं कक्षा के लिए वैकल्पिक विषय के तहत पाठ्यक्रम का हिस्सा है.
VIDEO : किसी ने बंदर को इंसान बनते नहीं देखा
गौरतलब है कि पिछले माह सत्यपाल सिंह ने सदियों से कायम डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को गलत करार दिया था. उन्होंने दावा किया था कि डार्विन गलत थे, किसी ने बंदर को इंसान में बदलते नहीं देखा. उन्होंने कहा था कि चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है.
सत्यपाल सिंह ने चार्ल्स डार्विन के ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत को विद्यालय और महाविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया. डॉ सिंह ने राज्यसभा को बताया कि चार्ल्स डार्विन के ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत को विद्यालय और महाविद्यालय पाठ्यक्रम से हटाए जाने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन नहीं है.
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उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मिली सूचना के अनुसार, चार्ल्स डार्विन का ‘मनुष्य के क्रमिक विकास’ संबंधी सिद्धांत बारहवीं कक्षा के लिए वैकल्पिक विषय के तहत पाठ्यक्रम का हिस्सा है.
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गौरतलब है कि पिछले माह सत्यपाल सिंह ने सदियों से कायम डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को गलत करार दिया था. उन्होंने दावा किया था कि डार्विन गलत थे, किसी ने बंदर को इंसान में बदलते नहीं देखा. उन्होंने कहा था कि चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है.
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