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दिल्ली में पहली बार संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन सम्मेलन, चीन-पाकिस्तान को न्योता नहीं

सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा कि सम्मेलन के दौरान भारत की आत्मनिर्भर सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन भी किया जाएगा, जिससे प्रतिभागी भारत की रक्षा स्वदेशीकरण की क्षमता से परिचित हो सकें.

दिल्ली में पहली बार संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन सम्मेलन, चीन-पाकिस्तान को न्योता नहीं
  • चीन-पाकिस्तान को UN शांति मिशन में योगदान दे रहे देशों के सेना प्रमुखों के सम्मेलन में न्योता नहीं
  • सम्मेलन पहली बार दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर के बीच आयोजित होगा जिसमें कुल तीस देशों के सेना प्रमुख भाग लेंगे
  • भारत ने केवल उन्हीं 30 देशों को निमंत्रण दिया है जो उसके दोस्त या करीबी हैं. श्रीलंका, भूटान आदि इसमें शामिल
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नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों के सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान को न्योता नहीं दिया गया है. यह सम्मेलन 14 से 16 अक्टूबर के बीच पहली बार राजधानी दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है. इसमें कुल तीस देशों के सेना प्रमुख हिस्सा लेंगे. इस आयोजन से जुड़े एक अधिकारी से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी देश का चयन एक नीतिगत फैसला होता है.

किन देशों को मिला न्योता

हालांकि, इस सम्मेलन में भारत के दूसरे पड़ोसी देश मसलन श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल को न्योता दिया गया है. सम्मेलन में भारत ने सिर्फ उन्हीं तीस देशों को निमंत्रण दिया है जो उसके दोस्त या करीबी हैं. इनमें इटली, फ्रांस, इंडोनेशिया, ब्राजील, मलेशिया और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं. सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी समेत कई अधिकारी संबोधित करेंगे.

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मेहमानों को दिखाएंगे स्वदेशी की झलक

सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा कि सम्मेलन के दौरान भारत की आत्मनिर्भर सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन भी किया जाएगा, जिससे प्रतिभागी भारत की रक्षा स्वदेशीकरण की क्षमता से परिचित हो सकें. उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन केवल सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शांति, सहयोग और संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है. सम्मेलन वैश्विक शांति के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता, बहुपक्षीय व्यवस्था को मजबूत करने का संकल्प और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल्यों की पुष्टि है.

गाज़ा या यूक्रेन में भारत नहीं भेजेगा सैनिक

सम्मेलन से जुड़ी प्रेस वार्ता में यह पूछा गया कि क्या भारत अपने सैनिकों की तैनाती यूक्रेन या गाज़ा जैसे अशांत क्षेत्रों में कर सकता है तो इसके जवाब में रक्षा मंत्रालय में प्रतिनियुक्त विदेश मंत्रालय के अधिकारी विश्वेश नेगी ने कहा कि भारतीय शांति सैनिकों को केवल संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की मंज़ूरी के बाद ही तैनात किया जाता है. उन्होंने परिषद के स्थायी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूएनएससी की मौजूदा संरचना देखते हुए ऐसी तैनाती नामुमकिन है.

यूएन में भारत का योगदान

साल 1950 से अब तक भारत के करीब तीन लाख सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के तौर पर दुनिया भर में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. जबकि यूएन के 50 से ज्यादा अभियानों में भारत के 182 सैनिकों ने अपनी जान भी गंवाई है. केवल पुरुष सैनिक ही नही भारत पहला ऐसा देश है जिसने 2007 में ऑल वूमेन पुलिस कंटिजेंट को लाइबेरिया भेजा था. फिलहाल दुनिया में 11 एक्टिव संयुक्त राष्ट्र मिशन चल रहे हैं, जिनमें से 9  मिशन ऐसे हैं जिनमें भारतीय सेना की भागीदारी है. पांच मिशनों में सेना की बटालियन तैनात है. 4 मिशनों में स्टाफ अफसर या मिलिट्री ऑब्ज़र्वर के तौर पर भारतीय उपस्थिति है. जहां तक भारतीय सैनिकों की तैनाती की बात है तो लेबनान में  900, कांगो में 1100, सूडान में 600, साउथ सूडान में 2400 और गोलान हाइट्स में 200 सैनिक तैनात हैं. इसके अलावा वेस्टर्न सहारा, मिडिल ईस्ट, साइप्रस और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में चल रहे मिशनों में भारतीय  सेना के स्टाफ अफसर या मिलिट्री ऑब्ज़र्वर तैनात हैं. कुल मिलाकर फिलहाल संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में करीब 5000 भारतीय सैनिक तैनात हैं.

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