- उज्ज्वल निकम ने पिछले तीस वर्षों में महाराष्ट्र के कई आपराधिक मामलों में सरकारी वकील के रूप में काम किया और महत्वपूर्ण मुकदमे जीते हैं.
- अजमल कसाब के व्यवहार और मीडिया में उसके रोने की खबरों को नियंत्रित करने के लिए निकम ने मटन बिरयानी की मांग का जिक्र किया था, जो कोर्ट में भी उठा था.
- गुलशन कुमार हत्याकांड में आरोपी नदीम सैफी ने मुस्लिम कार्ड खेलकर प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की, जबकि न्यायपालिका धर्म और जाति के आधार पर फैसला नहीं करती.
राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने एनडीटीवी से बात की और कई धमाकेदार खुलासे किए. कसाब से लेकर गुलशन कुमार की हत्या से लेकर संजय दत्त केस तक पर कई ऐसी बातें बताईं, जो आज तक किसी को नहीं पता.उज्जवल निकम ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के जरिए राजनीति में एंट्री की थी. मुंबई उत्तर मध्य की सीट निगम कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए, लेकिन उनकी कानून की दुनिया में पहचान हमेशा जीत हासिल करने वाले शख्स की रही है. बीते 30 सालों में उन्होंने महाराष्ट्र के कई आपराधिक मुकदमे सरकार की तरफ से लड़े और जीते भी.
सियासत में क्यों आए?
उज्ज्वल निकम ने कहा कि मैं सियासत में नहीं आना चाहता था. हमारे चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस और गृह मंत्री अमित शाह के समझाने पर आया. मगर दुर्भाग्य से हार गए. फिर भी अफसोस नहीं था. वापस अपनी वकालत करने लगा.
मराठी पर गर्व, लेकिन जबरदस्ती गलत
सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मातृ भाषा पर गर्व होता है, लेकिन किसी पर जबरदस्ती करना गलत बात है. हमें अगर मराठी के साथ दूसरी भाषा भी आएगी तो उसमें गलत क्या है. हम अंग्रेजी भाषा तो सीखते ही हैं. पीटना, मारना एक गुनाह है और इसके खिलाफ कानून अपना काम करता है. हां, लोगों को समझा सकते हैं कि आप यहां रहते हो तो मराठी में ही बात करो, लेकिन डराने का अधिकार नहीं है.
संजय दत्त का कौन सा किस्सा सुनाया
उज्ज्वल निकम ने कहा कि संजय दत्त को जब कोर्ट ने सजा सुनाई तो वो घबरा गए. वो अपना सुध-बुध खो गए तो मुझे लगा कि इनको सदमा लग सकता है. वो आदेश को सह नहीं पा रहे थे. फिर मैंने उनको एक बात बोली. मैंने संजय को कहा ऐसे मत करो. तुम एक एक्टर हो. अगर तुम डरे हुए दिखे तो लोग तुमको दोषी समझेंगे. फिर वो टाइट हो गए. संजय दत्त इनोसेंट था. अगर उसने अबू सलेम से मिले हथियारों की जानकारी पुलिस को दे दी होती तो मुंबई बमकांड की साजिश का पहले ही पर्दाफाश हो जाता और इतने सारे लोगों की जान नहीं गई होती. उन्होंने कहा कि कभी किसी अभियुक्त ने मेरे से पर्सनल दुश्मनी नहीं रखी. कारण मैं पहले ही कह देता था कि तुमने अपराध किया है तो तुम्हें सजा मिलकर रहेगी.
कसाब पर खुलासा
सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि कसाब बहुत ड्रामेटिक पर्सन था. एक बार मैंने उसे खूब सुनाया. उसकी बहन को लेकर कहा कि तू यहां आ गया और वहां तेरी बहन के साथ क्या हो रहा होगा. इस पर वो ड्रामा कर आंख पोंछा तो टीवी पर चलने लगा कि कसाब रो रहा था. रिपोर्टरों ने मुझे पूछा. उसके प्रति सहानुभूति बन रही थी. इसको रोकने के लिए मैंने कह दिया कि आज कसाब ने मटन बिरयानी की मांग की. फिर मीडिया में खबर चलने लगी कि कसाब ने बिरयानी मांगी. दूसरे दिन कोर्ट में भी ये मामला उठा तो अजमल कसाब के मटन बिरयानी खिलाने की बात मैंने कह दी. कसाब से कोर्ट ने पूछा तो उसने कुछ नहीं कहा.
गुलशन कुमार केस में खुलासा
उज्ज्वल निकम ने कहा कि गुलशन कुमार हत्याकांड में संगीतकार नदीम सैफी भारत प्रत्यर्पित होने से इसलिए बच गया क्योंकि लंदन की अदालत में उसने मुस्लिम कार्ड खेला.केस मैंने नहीं लड़ा था. मैंने असिस्ट किया था. जबकि हमारी न्यायपालिका कभी भी धर्म-जाति देखकर फैसला नहीं करती. इसका उदाहरण ये है कि एक बार कसाब को फांसी दिलाने के बाद हम लोग पाकिस्तान गए थे. हमारा ऑफिशियल डेलिगेशन था. वहां पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने कहा कि हम भारत के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट्स को हम फॉलो करते हैं.बाद में नदीम आना चाहता था. वो कह रहा था कि आप लोग केस वापस ले लो, मैं आ जाऊंगा तो हमने कहा कि नहीं ऐसा नहीं होगा. जब भी आओगे तो केस भुगतना पड़ेगा. आखिर में उन्होंने कहा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के सवाल पर राज्यसभा सांसद बनने के बाद क्या मुझे स्पेशल Public प्रॉसिक्यूटर का पद छोड़ना होगा इस पर मैं कुछ वक्त में फैसला लूंगा.
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