प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
देश में संस्कृत शिक्षा एवं शिक्षण को बढ़ावा देने की पहल के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने संस्कृत के पठन पाठन कार्य से जुड़े शिक्षकों का ‘डेटा बैंक’ तैयार करने का प्रस्ताव किया है और विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थाओं से इस बारे में जानकारी प्रदान करने को कहा है।
यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने इस संबंध में देश के 126 विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि यूजीसी देश में संस्कृत के पठन पाठन के अधिक विकास एवं उसे बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार करने की प्रक्रिया में है। इस पहल के तहत आयोग संस्कृत के पठन पाठन में संलग्न शिक्षकों का डाटा तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि इस पत्र के माध्यम से मैं आपसे संस्थान में संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षकों का ब्यौरा प्रदान करने का अग्रह करता हूं, ताकि उन्हें प्रस्तावित डेटा बैंक में शामिल किया जा सके। आयोग के अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा कि मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक वेबपोर्टल ‘भारतवाणी’ पेश किया है जिसका मकसद भारत में सभी भाषाओं के बारे में जानकारी साझा करना है।
मैसूर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ इंडियन लैंग्वेज (सीआईआईएल) को इस पहल का प्रबंधन करने का दायित्व सौंपा गया है। यूजीसी के अध्यक्ष ने संस्कृत पढ़ाने वाले विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं निदेशकों को लिखे पत्र में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि जिन-जिन विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है, वहां से इस विषय को पढ़ाने की निर्देशिका, पाठ्यसामग्री, साहित्य, शोध सामग्री को एकत्र किया जाए और उसे भारतवाणी पर अपलोड किया जाए।
इसमें कहा गया है कि इस संदर्भ में आपसे आग्रह किया जाता है कि सीआईआईएल से सभी जानकारी संस्कृत में साझा करें जो लिखित, दृश्य श्रव्य, चित्र के रूप में हो सकते हैं। इसे वेब पोर्टल भारतवाणी पर भी अपलोड किया जा सकता है।
यूजीसी 8 से 10 फरवरी के दौरान राष्ट्रीय कौशल विकास पात्रता ढांचा (एनएसक्यूएफ) के संदर्भ में सामुदायिक कॉलेज योजना लागू किए जाने के विभिन्न आयामों की समीक्षा करेगी। आयोग ने सभी संस्थाओं से 10 से 15 मिनट की प्रस्तुति देने को कहा है। इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने या योजना के अनुपालन के अयोग्य पाए जाने पर मंजूरी वापस ली जा सकती है।
यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने इस संबंध में देश के 126 विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि यूजीसी देश में संस्कृत के पठन पाठन के अधिक विकास एवं उसे बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार करने की प्रक्रिया में है। इस पहल के तहत आयोग संस्कृत के पठन पाठन में संलग्न शिक्षकों का डाटा तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि इस पत्र के माध्यम से मैं आपसे संस्थान में संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षकों का ब्यौरा प्रदान करने का अग्रह करता हूं, ताकि उन्हें प्रस्तावित डेटा बैंक में शामिल किया जा सके। आयोग के अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा कि मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक वेबपोर्टल ‘भारतवाणी’ पेश किया है जिसका मकसद भारत में सभी भाषाओं के बारे में जानकारी साझा करना है।
मैसूर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ इंडियन लैंग्वेज (सीआईआईएल) को इस पहल का प्रबंधन करने का दायित्व सौंपा गया है। यूजीसी के अध्यक्ष ने संस्कृत पढ़ाने वाले विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं निदेशकों को लिखे पत्र में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि जिन-जिन विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है, वहां से इस विषय को पढ़ाने की निर्देशिका, पाठ्यसामग्री, साहित्य, शोध सामग्री को एकत्र किया जाए और उसे भारतवाणी पर अपलोड किया जाए।
इसमें कहा गया है कि इस संदर्भ में आपसे आग्रह किया जाता है कि सीआईआईएल से सभी जानकारी संस्कृत में साझा करें जो लिखित, दृश्य श्रव्य, चित्र के रूप में हो सकते हैं। इसे वेब पोर्टल भारतवाणी पर भी अपलोड किया जा सकता है।
यूजीसी 8 से 10 फरवरी के दौरान राष्ट्रीय कौशल विकास पात्रता ढांचा (एनएसक्यूएफ) के संदर्भ में सामुदायिक कॉलेज योजना लागू किए जाने के विभिन्न आयामों की समीक्षा करेगी। आयोग ने सभी संस्थाओं से 10 से 15 मिनट की प्रस्तुति देने को कहा है। इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने या योजना के अनुपालन के अयोग्य पाए जाने पर मंजूरी वापस ली जा सकती है।
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