
समलैंगिक लोगों की शादी को भी मान्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. इसे लेकर दो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं. CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच आज इस मामले पर सुनवाई करेगी. याचिका में समलैंगिक लोगों की शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट में शामिल करने की मांग की गई है.
हैदराबाद में रहने वाले दो समलैंगिक पुरुषों ने विशेष विवाह अधिनियम यानी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग करीब 10 साल से एक-दूसरे के साथ हैं. उनके रिश्ते को उनके माता-पिता, परिवार और दोस्तों ने भी समर्थन दिया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विशेष विवाह अधिनियम भारत के संविधान के विपरीत है. यह समान लिंग के जोड़ों और विपरीत लिंग के जोड़ों के बीच भेदभाव करता है. ये समान लिंग वाले जोड़ों को कानूनी अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक मान्यता और स्थिति से वंचित करता है, जो विवाह से प्रभावित होती हैं.
एक अन्य जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें एलजीटीबीक्यू समुदाय के सभी सदस्यों को मान्यता देने की मांग की गई है. पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद पिछले 17 सालों से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में है. उनका दावा है कि वे वर्तमान में दो बच्चों की परवरिश एक साथ कर रहे हैं, लेकिन चूंकि वे कानूनी रूप से अपनी शादी को संपन्न नहीं कर सकते हैं. इसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां दोनों याचिकाकर्ता अपने दोनों बच्चों के साथ माता-पिता और बच्चे का कानूनी संबंध नहीं रख सकते.
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