महाराष्ट्र के नासिक और हिंगोली से शिवसेना के सांसदों ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग के समर्थन में अपना इस्तीफा दे दिया. दोनों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का करीबी माना जाता हैं. हिंगोली के सांसद हेमंत पाटिल ने सोमवार को नई दिल्ली में लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपा, जबकि नासिक के सांसद हेमंत गोडसे ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री शिंदे को भेजा है.
पाटिल ने नई दिल्ली में एक मराठी समाचार चैनल से बातचीत में कहा, ‘‘चूंकि लोकसभा अध्यक्ष अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं थे, इसलिए कार्यालय सचिव को त्यागपत्र सौंप दिया गया. मुझे पावती मिल गई है.''
पाटिल ने पद छोड़ने का फैसला तब किया जब यवतमाल में आंदोलनकारियों ने उन्हें रोक लिया और उनसे आरक्षण के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. ल ने मौके पर ही अपना त्यागपत्र का मसौदा तैयार किया और आंदोलनकारियों को सौंप दिया.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने आंदोलनकारियों को त्यागपत्र सौंपने को राजनीतिक हथकंडा करार दिया था. इस बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा, ‘‘ मैं नेहरू-गांधी परिवार में पैदा नहीं हुआ हूं. उनकी दो-तीन पीढ़ियां सत्ता में हैं. उन्होंने (कोटा देने के लिए) पहल की होती.''
पाटिल ने कहा, ‘‘मराठा समुदाय के कई नेता मुख्यमंत्री बने लेकिन समुदाय को कुछ नहीं मिला.'' नासिक में, शिवसेना सांसद गोडसे ने अपना त्यागपत्र तब लिखा जब मराठा प्रदर्शनकारियों ने उनसे इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा. उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे को अपना इस्तीफा भेजा और उनसे मराठा समुदाय को जल्द से जल्द आरक्षण देने की अपील की.
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