पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सिंगूर में बंद हो चुकी कार परियोजना के लिए पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) के खिलाफ मध्यस्थता कार्यवाही में टाटा मोटर्स की जीत को तवज्जो नहीं दी और कहा कि यह ‘‘अंतिम फैसला नहीं है'' तथा राज्य सरकार के सामने कानूनी रास्ते खुले हैं. टाटा मोटर्स ने सोमवार को कहा कि उसने मध्यस्थता कार्यवाही जीत ली है, जो उसकी पूंजी के नुकसान पर केंद्रित थी और अब कंपनी डब्ल्यूबीआईडीसी से 765.78 करोड़ रुपये और ब्याज वसूल सकती है.
टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘यह उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं है. यह मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला है. इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार के लिए सारे रास्ते बंद हो गए हैं. राज्य सरकार के लिए कानूनी रास्ते अभी भी खुले हैं.'' टाटा मोटर्स को भूमि विवाद होने से अक्टूबर, 2008 में अपने संयंत्र को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में सिंगूर से स्थानांतरित कर गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था. उस समय तक टाटा मोटर्स सिंगूर में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुकी थी. इस संयंत्र में उसकी छोटी कार नैनो का उत्पादन होना था.
उस समय, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था. फैसले पर भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हम जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हैं. लेकिन जब उद्योग शुरू हुआ, तो हम चाहते थे कि कारखाना लगे. माकपा की गलत नीतियों और टीएमसी के उग्र आंदोलन के कारण टाटा को राज्य से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.''
वहीं, माकपा ने हैरानी जतायी कि क्या ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के पास कंपनी के पक्ष में सुनाए गए फैसले के मुताबिक मुआवजा देने के लिए संसाधन हैं. यह दावा करते हुए कि राज्य सरकार ‘‘पहले से ही कर्ज के जाल में फंसी है'' माकपा के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘अब उसके पास फैसले के मुताबिक मुआवजा देने के लिए कोई संसाधन नहीं है.'' टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी ने 2008 में तत्कालीन राज्य सरकार पर संयंत्र के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए सिंगूर में आंदोलन किया था.
भट्टाचार्य ने आंदोलन को ‘‘तर्कहीन और लोकलुभावन'' बताया और दावा किया कि राज्य से टाटा मोटर्स संयंत्र के स्थानांतरण से पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था की संभावनाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘इससे न केवल औद्योगीकरण को बल्कि राज्य की प्रतिष्ठा को भी गंभीर नुकसान पहुंचा.'' माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि राज्य टीएमसी के ‘‘अहंकार और विनाशकारी राजनीति'' का खामियाजा भुगत रहा है.
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