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This Article is From May 24, 2022

SBSP नेता ओमप्रकाश राजभर पर दर्ज मामले को लेकर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में नोक-झोंक

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को शून्यकाल के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के नेता ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच खूब नोक—झोंक हुई.

SBSP नेता ओमप्रकाश राजभर पर दर्ज मामले को लेकर विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में नोक-झोंक
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप कर मामला शांत किया. 
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को शून्यकाल के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के नेता ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच खूब नोक—झोंक हुई. राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने मंगलवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान 10 मई को गाजीपुर जिले में अपने विधानसभा क्षेत्र (जहूराबाद) में भ्रमण के दौरान एक विवाद और उसके बाद पुलिस में दोनों पक्षों से दर्ज हुए मामले का जिक्र करते हुए कहा कि 'अध्यक्ष जी मामले की जांच करा लीजिए, अगर मैं दोषी हूं तो सदन से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा. '

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने राजभर को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया.  मामले में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और संसदीय कार्य मंत्री की भाषा पर आपत्ति की.  सपा सदस्यों ने इस बीच हूटिंग भी की.  संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पुलिस ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यही कहा गया है कि दोनों तरफ से विवाद हुआ है और दोनों तरफ से मुकदमा पंजीकृत किया गया है. 

उन्होंने कहा कि इसमें दोनों अभियोगों की विवेचना प्रचलित है और आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करते हैं कि इसमें दूध का दूध पानी का पानी होगा. संसदीय कार्य मंत्री के जवाब से असंतुष्ट राजभर ने जोर देकर कहा कि 'अध्यक्ष जी आज कहता हूं कि किसी मजिस्ट्रेट से जांच करा दीजिए, मैं दोषी हूं तो इसी सदन से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा.  इसी सदन से इस्तीफा देकर जाऊंगा. '

उन्होने आरोप लगाया कि 'सरकार के दबाव में काम हो रहा है, मेरा क्या कसूर है, मुझे इसकी जानकारी चाहिए. 'इसी बीच नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'नेता सदन के साथ भी माननीय राजभर रहे हैं, आज हमारे साथ आए हैं, इतनी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. ' गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा लेकिन दो वर्ष बाद राजभर और भाजपा के बीच मतभेद बढ़ गये और उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा के साथ तालमेल किया.  403 सदस्यों वाली राज्य की विधानसभा में राजभर समेत सुभासपा के छह सदस्य हैं. 

यादव के बयान पर टोकते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि 'कोई दुश्मनी नहीं है, कोई पूर्वाग्रह नहीं हैं, यह दिगाम से भी निकाल देना चाहिए. ' इस पर अखिलेश यादव ने हस्तक्षेप किया और कहा कि 'दिमाग से क्या निकाल दिया जाए, क्या यह संसदीय कार्य मंत्री की यही भाषा होनी चाहिए.  अब यह भाषा होगी कि दिमाग से निकाल दिया जाए. ' इस पर सपा सदस्यों ने हूटिंग की. 

अखिलेश ने यह भी कहा कि 'जीत का घमंड नहीं होना चाहिए.  हम जानते हैं कि किस तरह जीते हैं. ' उन्होंने आरोप लगाया कि 'अगर दिल्ली वाले नहीं आते तो जीत नहीं होती.  इनके बहुत सारे लोग बेईमानी से जीते हैं. ' संसदीय कार्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि 'हमने यह कहा कि दिमाग से निकाल दिया जाए कोई दुश्मनी नहीं है. ' उन्होंने कहा कि 'किसी प्रकार का कोई घमंड नहीं है.  निष्पक्ष जांच होगी. '

शुरुआत में ही राजभर ने घटना का ब्यौरा देते हुए कहा कि 'मैं एक गांव में था तभी कुछ लोग लाठी डंडा लेकर आ गये और मेरे सामने खड़े हो गये.  मैंने करीमुद्दीनपुर के थानाध्यक्ष से लेकर एसपी और डीजीपी को फोन किया और 45 मिनट बाद एसओ आये.  लाठी डंडा लिए लोग थानाध्यक्ष से भी मारपीट पर उतारू हो गये.  इसके बाद पुलिस अधीक्षक ग्रामीण समेत अन्य अधिकारी आये और उन्होंने मेरी तहरीर लेकर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. '

राजभर ने आरोप लगाया कि 11 बजे रात को अपराधियों को छोड़ दिया गया और मेरे खिलाफ भी मारपीट और धमकी देने का मामला दर्ज कर लिया गया.  उन्होंने सवाल उठाया कि विधायक के साथ घटना हुई लेकिन ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि मेरे खिलाफ मुकदमा लिख दिया गया. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप कर मामला शांत किया.  

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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