
- भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप खुद अपने देश में निशाने पर हैं.
- अमेरिकी नेता, विश्लेषक, विशेषज्ञों से लेकर ट्रंप के अधिकारी रहे लोग भी उनके फैसले पर सवाल उठा रहे हैं.
- उनका कहना है कि ट्रंप ने एकतरफा टैरिफ लगाकर भारत से दशकों में बनाए गए संबंधों को खतरे में डाल दिया है.
भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद अपने देश में भी निशाने पर हैं. अमेरिकी नेता, विश्लेषक, विशेषज्ञों से लेकर ट्रंप के अधिकारी रह चुके लोगों ने भी अलग-अलग समय पर उनके फैसले पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि ट्रंप ने ये एकतरफा टैरिफ लगाकर भारत के साथ दशकों में बनाए गए अमेरिकी संबंधों को खतरे में डाल दिया है. ट्रंप ने पहले 25 पर्सेंट टैरिफ लगाया था, जिसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है. आइए बताते हैं कि किस नेता ने क्या-क्या कहा.
निक्की हेली, पूर्व अमेरिकी राजदूत
भारतीय मूल की रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ की वजह से अमेरिका-भारत के संबंध टूटने के कगार पर हैं. एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है. अगर भारत के साथ 25 साल में बना भरोसा टूटता है तो यह एक रणनीतिक आपदा होगी.
फरीद जकारिया, सीएनएन के एक्सपर्ट
भूराजनीतिक विशेषज्ञ जकारिया ने ट्रंप के टैरिफ को विदेश नीति की सबसे बड़ी गलती करार दिया. कहा कि भारत के प्रति ट्रंप की अचानक पैदा हुई शत्रुता ने भारत-अमेरिका संबंधों को अपूरणीय नुकसान पहुंचाया है. संबंध मजबूत करने के लिए ट्रंप से पहले जिन 5 राष्ट्रपतियों ने अथक प्रयास किए थे, उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है. उन्होंने आगाह किया भारत इसकी वजह से रूस और चीन के करीब जा सकता है, जिससे अमेरिका की भारत प्रशांत में रणनीति कमजोर होगी.
जेफरी सैक्स, जाने-माने अर्थशास्त्री
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सलाहकार और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने ट्रंप के टैरिफ को अमेरिकी इतिहास का सबसे मूर्खतापूर्ण कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि ट्रंप के इस कदम ने रातोंरात ब्रिक्स के देशों को अभूतपूर्व रूप से एकजुट कर दिया है. उन्होंने कहा कि ये टैरिफ आत्मघाती हैं और वैश्विक गठबंधन के तनाव के दौर में, एशिया में सबसे अहम साझीदार में से एक (भारत)को दूर कर दिया है.
ग्रेगरी मीक्स, अमेरिकी सांसद
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने ट्रंप के इन टैरिफ को "टैरिफ टैंट्रम" (tarif tantrum) करार दिया. पिछले दो दशक में सावधानी से मजबूत किए गए अमेरिका और भारत के संबंधों को इसने खतरे में डाल दिया है. दुख की बात ये है कि ट्रंप एक प्रतिद्वंद्वी (चीन) को छूट दे रहे हैं, जबकि मित्र भारत से अच्छा बर्ताव नहीं कर रहे हैं. मीक्स का मानना है कि चिंताओं का समाधान आपसी सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए.
कर्ट कैंपबेल, पूर्व अमेरिकी उप विदेश मंत्री
ट्रंप के टैरिफ अमेरिका-भारत संबंधों को खतरे में डाल रहे हैं. अमेरिका और भारत के संबंध 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंध हैं. अब ये काफी हद तक खतरे में है. कैंपबेल ने सलाह दी कि पीएम मोदी को रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर अमेरिकी दबाव के आगे झुकना नहीं चाहिए. भारत को रूस से तेल खरीदने से मना करना बैकफायर कर सकता है.
जॉन बोल्टन, ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाना ट्रंप की एक बड़ी गलती है. इससे दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक भरोसे को नुकसान पहुंच सकता है. ट्रंप का यह कदम उलटा पड़ सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस से तेल खरीदने पर भारत को सजा दी गई है, जबकि चीन को बख्श दिया गया है. अनजाने में की गई यह गलती ट्रंप प्रशासन की रणनीतिक सोच और प्राथमिकताओं में अभाव को दिखाती है.
माइकल कुगेलमैन, दक्षिण एशियाई विश्लेषक
ट्रंप ने भारत को अमेरिका के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी- चीन और रूस के करीब धकेल दिया है. व्यापार संबंधी तनाव का असर अब व्यापक साझेदारी में दिखने लगा है. अगर अमेरिका-भारत संबंध लगातार बिगड़ते रहे तो उन्हें पटरी पर बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा. टैरिफ लगाने की एक वजह ट्रंप का पर्सनल होना भी है. भारत-पाक संघर्ष रुकवाने का क्रेडिट न दिए जाने से भी ट्रंप नाराज हैं और अपना ईगो सैटिस्फाई कर रहे हैं.
लिसा कर्टिस, विदेश नीति एक्सपर्ट
ट्रंप के पहले कार्यकाल में डिप्टी असिस्टेंट रहीं लिसा कर्टिस ने भारत के खिलाफ ट्रंप के टैरिफ को चौंकाने वाला करार दिया. भारत एक सामरिक सहयोगी है जबकि चीन रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी, ऐसे में इस टैरिफ का कोई मतलब नहीं निकलता. ट्रंप की सख्त रणनीति दशकों में बने रणनीतिक संबंधों को खतरे में डाल रही है.
सुहास सुब्रमण्यम, अमेरिकी सांसद
भारतीय मूल के अमेरिकी कांग्रेस सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने कहा कि इस टैरिफ से भारत जैसे साझेदार देश अमेरिका से अलग-थलग हो जाएंगे. इतना ही नहीं, अमेरिकी लोगों के लिए रोजमर्रा की चीजों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी. ट्रंप के टैरिफ दोनों देशों के व्यापारिक और राजनीतिक रिश्तों के लिए भी खतरा बन रहे हैं.
केनेथ जस्टर, भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत
जस्टर ने ट्रंप के टैरिफ को दशकों के राजनयिक प्रयासों को मिट्टी में मिलाने वाला करार दिया. इसका भारतीय निर्यातकों के अलावा अमेरिकी व्यापारियों और नागरिकों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. चीजों की कमी होगी और वो महंगी भी हो सकती हैं. इसके अलावा भारत चीन और रूस के करीब जा सकता है.
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