देश की प्रमुख टूर एंड ट्रैवल एजेंसी थॉमस कुक (Thomas Cook)और रेड एपल ट्रैवेल (Red Apple Travel) के खिलाफ एक मामले में उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (Consumer Disputes Redressal Forum) ने बड़ा एक्शन लिया है. फोरम ने दोनों ट्रैवेल एजेंसियों को दिल्ली के एक शख्स को बतौर हर्जाना 50 लाख रुपये का पेमेंट करने का आदेश दिया. इस शख्स ने दोनों एजेंसियों के जरिए श्रीलंका ट्रिप बुक की थी. हालांकि, ट्रिप के दौरान शख्स के परिवार के साथ एक हादसा हो गया. इसमें उनकी पत्नी, बेटे और ससुर की जान चली गई. फोरम में मामला 4 साल चला. अब ट्रैवेल एजेंसियों को योगेश सहगल को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है.
कनुपुरिया सहगल एनडीटीवी में पूर्व पत्रकार और एंकर रह चुकी हैं. उनकी दिसंबर 2029 में श्रीलंका में एक फैमिली ट्रिप के दौरान हुए हादसे में मौत हो गई थी. साथ ही उनके बेटे श्रेय सहगल और पिता प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल की भी मौत हो गई. दरअसल, कोलंबो में जिस वैन में वो सवार थे, वो एक कंटेनर ट्रक से टकरा गई थी. इस हादसे में वैन के 52 वर्षीय ड्राइवर की भी मौत हो थी. जबकि कनुपुरिया के पति योगेश सहगल और बेटी ऐश्वर्या सहगल को गंभीर चोटें आईं. दोनों का अस्पताल में लंबा इलाज चला था.
फोरम ने अपने आदेश में कहा, "दूसरी पार्टी (थॉमस कुक और रेड एपल ट्रैवेल) की ओर से उनके द्वारा काम पर रखे गए ड्राइवर की लापरवाही के कारण हादसा हुआ. ऐसे में यह कहकर इसकी जिम्मेदारी और संबंधित दायित्व से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि यह केवल बुकिंग थी."
मांगा था 8.99 करोड़ का हर्जाना
सूत्रों ने बताया कि सहगल परिवार ने सर्विस में कमी और लापरवाही, अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और कानूनी कार्यवाही की लागत के लिए थॉमस कुक और रेड एपल ट्रैवेल के खिलाफ फोरम में शिकायत की थी. पीड़ित योगेश सहगल ने एजेंसियों से 8.99 करोड़ का हर्जाना मांगा था.
योगेश सहगल ने की थी ये शिकायत
अपनी शिकायत में योगेश सहगल ने कहा, "वह अपनी पत्नी और बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए, जो दिल्ली में हुआ था. क्योंकि उन्हें कई फ्रैक्चर थे. श्रीलंका के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. बेटी और पति की मौत का उनकी सास पर बहुत गहरा असर पड़ा, क्योंकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम हैं." सहगल ने कहा, "मेरी बेटी गंभीर मानसिक आघात से जूझ रही है. वह सामान्य रूप से चलने में असमर्थ है. उसे रोजमर्रा के काम में दिक्कत आती है."
मुआवजा नहीं देने पर देना होगा 10 लाख एक्स्ट्रा
फोरम ने कहा कि ट्रैवेल एजेंसियों को तीन महीने के भीतर 50 लाख रुपये का मुआवजा "एक साथ या अलग-अलग" देना होगा. अगर उन्होंने ऐसा न किया, तो उन्हें 10 लाख रुपये और देने होंगे.
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