लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में सबसे दिलचस्प राज्यों में से एक बंगाल है, जहां बीजेपी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच जोरदार चुनावी टक्कर है. इस पूर्वी राज्य में किसका पलड़ा भारी है और यहां क्या हैं बड़े मुद्दे? एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया और राजनीतिक विश्लेषकों के एक पैनल ने कोलकाता में 'एनडीटीवी बैटलग्राउंड' (NDTV Battleground) कार्यक्रम में चुनाव के कई पहलुओं पर खास चर्चा की. सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि मुझे लगता है कि बंगाल में कांटे की टक्कर है. 2019 में बंगाल एक ऐसा राज्य था, जहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत थीं, लेकिन बीजेपी अब उसे मजबूती से चुनौती दे रही है.
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वरिष्ठ पत्रकार स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि जब आमने-सामने की लड़ाई होती है तो पत्रकार बहुत खुश होते हैं. 1971 के बाद से, किसी भी राष्ट्रीय पार्टी ने पश्चिम बंगाल से लोकसभा के लिए बहुमत सीटें नहीं जीती हैं.
स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कास्ट पहली बार 2019 में नजर आया था. पहले बंगाल में कास्ट फैक्टर नहीं था. यहां कुर्मी एक बड़ा फैक्टर है. बीजेपी के लिए बंगाल बड़ी चुनौती है. यहां हिंसा खत्म होना चाहिए.
"...संदेशखाली बड़ा मुद्दा चुनाव में बन जाए"
पैनल में शामिल राजनीतिक रणनीतिकार अमिताभ तिवारी ने कहा कि हो सकता है संदेशखाली बड़ा मुद्दा चुनाव में बन जाए. यह इस पर डिपेंड करेगा कि भाजपा इस मुद्दे को कैसे उठा पाती है. अगर 2019 का चुनाव देखें तो ममता बनर्जी को महिलाओं के वोट भाजपा के मुकाबले ज्यादा मिले थे. टीएमसी ने महिला वोटरों के मामले में 4 प्रतिशत की लीड भाजपा से ली थी. महिलाओं का हमेशा समर्थन ममता बनर्जी को मिलता रहा है.
"बीजेपी यहां की संस्कृति समझ नहीं पाती"
टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रिजू दत्ता ने कहा कि बंगाल में भाजपा की दिक्कत यह है कि वह यहां की संस्कृति समझ नहीं पाती. संदेशखाली का मुद्दा पीएम मोदी और अमित शाह ने बड़ा बनाया. आजकल एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें बंगाल के भाजपा नेता का नाम संदेशखाली प्रकरण में आया है.अब भाजपा के नेता क्या जवाब देंगे?
राजनीतिक विशेषज्ञ अमिताभ तिवारी ने कहा कि 2019 में, टीएमसी को महिलाओं में बीजेपी पर 4% की बढ़त मिली, पुरुषों में यह 2% थी. महिला समर्थन टीएमसी का मजबूत आधार है. यह देखना होगा कि बीजेपी इससे कैसे निपटती है. वास्तव में यहां कांटे की टक्कर है."
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टीएमसी के प्रवक्ता रिजु दत्ता ने कहा कि टीएमसी इंडिया ब्लॉक का अभिन्न अंग है, हम विपक्षी गठबंधन के साथ हैं. बंगाल में बीजेपी को जितनी भी सीटें मिलेंगी, टीएमसी को उससे दोगुनी सीटें मिलेंगी. उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस पार्टी के साथ है. हम अधीर रंजन चौधरी के कांग्रेस के साथ नहीं है.
बीजेपी के प्रवक्ता प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि ममता बनर्जी ने मामले को झूठ करार दिया है. लेकिन मामले की जांच CBI कर रही है. यह मामला कोर्ट में है. कोर्ट ने भी इस घटना को माना है. ये नई बात नहीं है. सरकार आएंगी और जाएंगी. लेकिन बंगाल से इस सोच को खत्म करना होगा. किसी बच्ची के साथ अगर बंगाल में रेप होता है तो ममता उसे लव अफेयर करार देती है. बंगाल में ममता बनर्जी का नारी शक्ति एक्सपोज हो चुका है.
सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि 2019 से लेकर अब तक बीजेपी ने गरीब लोगों के बीच अपनी जगह बनाई है. यह बीजेपी के लिए एक बड़ा घटनाक्रम है और इससे उसे मदद मिलेगी. इसके पीछे बड़ी वजह कल्याणकारी योजनाएं हैं.
वरिष्ठ पत्रकार निष्ठा गौतम का कहना है कि जिस राज्य में कुछ साल पहले बीजेपी को कोई नहीं जानता था, वहां लोग अब पीएम मोदी के प्रशंसक हैं. उन्होंने कहा कि मतदाताओं की निष्ठा को समझने की जरूरत है. भाजपा ने बंगाल में इतना अच्छा प्रदर्शन किया है क्योंकि मतदाताओं को लगा कि अन्य पार्टियां ख़त्म हो रही हैं और इसलिए वे भाजपा की ओर चले गए.
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पश्चिम बंगाल में महिला वोटरों पर सभी की नजर है. बंगाल में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की नजर महिला मतदाताओं पर है. उनके वोट शेयर से किसको बढ़त मिलेगी यह एक सवाल है. डेटा साइंटिस्ट पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी ने कहा कि, बंगाल के संदेशखाली की घटना महिला वोटरों पर कितना प्रभाव डालेगी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बीजेपी इसे कितना भुना पाती है.
बीजेपी प्रवक्ता प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि जब सीबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियों की बात आती है, तो टीएमसी को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. जब निर्णय उनके पक्ष में नहीं होता है, तो वे दूसरों को दोष देते हैं.
राजनीतिक विश्लेषक स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि राम मंदिर उद्घाटन का बंगाल में असर पड़ा. मैंने पूरे राज्य में भगवा झंडे देखे, एक विकासशील भावना है, लेकिन क्या यह वोटों में परिवर्तित होगी यह देखना बाकी है.
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