दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के कानून मंत्री की गिरफ़्तारी के साथ केंद्र और राज्य के बीच की कड़वाहट कुछ और गहरी हो गई। हालांकि केंद्र सरकार दावा कर रही है कि उसका इस गिरफ़्तारी के पीछे कोई हाथ नहीं है।
हालांकि दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र तोमर की गिरफ़्तारी पर केंद्रीय गृह मंत्री का यह बयान लोगों के गले नहीं उतर रहा। आम आदमी पार्टी ये मानने को तैयार नहीं कि दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय को भरोसे में लिए बिना ऐसी हाई प्रोफाइल गिरफ़्तारी कर सकती है जिसके राजनीतिक असर भी हों।
पार्टी ने कहा कि ये बदले की कार्रवाई है, दूसरों पर नहीं हो रही। 'आप' के नेता कुमार विश्वास कहते हैं, 'अगर कानून सबके लिए एक है तो स्मृति ईरानी पर भी ये केस चल रहा है, निहाल चंद पर भी, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।' उनके मुताबिक स्पीकर को भी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी नहीं दी गयी।
लेकिन गृह मंत्रालय का कहना है, 'विधानसभा चल रही होती तो गिरफ़्तारी से पहले स्पीकर को बताना पड़ता, विधानसभा सत्र नहीं चल रहा इसलिए गिरफ़्तारी के बाद 24 घंटे के भीतर स्पीकर को बताया जा सकता है। पुलिस को इस गिरफ़्तारी के लिए इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं थी। तोमर पुलिस से सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया।'
दिल्ली पुलिस भी दावा कर रही है कि तोमर की गिरफ़्तारी किसी राजनीतिक दबाव में नहीं की गई है। दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने बताया, 'हमने मामला दर्ज किया और सबूतों के आधार पर गिरफ़्तारी की।'
वैसे इस कार्रवाई ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच की कड़वाहट कुछ और बढ़ा दी है।
हालांकि दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र तोमर की गिरफ़्तारी पर केंद्रीय गृह मंत्री का यह बयान लोगों के गले नहीं उतर रहा। आम आदमी पार्टी ये मानने को तैयार नहीं कि दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय को भरोसे में लिए बिना ऐसी हाई प्रोफाइल गिरफ़्तारी कर सकती है जिसके राजनीतिक असर भी हों।
पार्टी ने कहा कि ये बदले की कार्रवाई है, दूसरों पर नहीं हो रही। 'आप' के नेता कुमार विश्वास कहते हैं, 'अगर कानून सबके लिए एक है तो स्मृति ईरानी पर भी ये केस चल रहा है, निहाल चंद पर भी, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।' उनके मुताबिक स्पीकर को भी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी नहीं दी गयी।
लेकिन गृह मंत्रालय का कहना है, 'विधानसभा चल रही होती तो गिरफ़्तारी से पहले स्पीकर को बताना पड़ता, विधानसभा सत्र नहीं चल रहा इसलिए गिरफ़्तारी के बाद 24 घंटे के भीतर स्पीकर को बताया जा सकता है। पुलिस को इस गिरफ़्तारी के लिए इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं थी। तोमर पुलिस से सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया।'
दिल्ली पुलिस भी दावा कर रही है कि तोमर की गिरफ़्तारी किसी राजनीतिक दबाव में नहीं की गई है। दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने बताया, 'हमने मामला दर्ज किया और सबूतों के आधार पर गिरफ़्तारी की।'
वैसे इस कार्रवाई ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच की कड़वाहट कुछ और बढ़ा दी है।
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