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This Article is From May 07, 2023

अमर्त्य सेन को नोटिस के खिलाफ शांतिनिकेतन में TMC का प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी

प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा शांतिनिकेतन परिसर में कुल 1.38 एकड़ जमीन में से 0.13 एकड़ खाली करने के नोटिस का विरोध

अमर्त्य सेन को नोटिस के खिलाफ शांतिनिकेतन में TMC का प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी
प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (फाइल फोटो).
शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल):

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा शांतिनिकेतन परिसर में कुल 1.38 एकड़ जमीन में से 0.13 एकड़ खाली करने के नोटिस के विरोध में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) द्वारा आयोजित धरना रविवार को तीसरे दिन भी जारी रहा. विश्वविद्यालय प्रशासन का आरोप है कि प्रख्यात अर्थशास्त्री ने शांतिनिकेतन परिसर में 0.13 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. इस नोटिस के खिलाफ अमर्त्य सेन ने अदालत का रुख किया है.

धरना स्थल पर मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा और स्थानीय बोलपुर नगर पालिका के पार्षद मौजूद थे. स्थानीय लोगों और टीएमसी के स्थानीय नेताओं के एक वर्ग ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस दौरान लोक गायकों ने भी अपनी प्रस्तुति दी और प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

सेन के आवास ‘प्रतिची' के निकट स्थित रवीन्द्र भवन संग्रहालय शनिवार और रविवार को बंद रहता है. विश्वभारती के अधिकारियों ने चार मई को अपरिहार्य परिस्थितियों का हवाला देते हुए इस संबंध में एक नोटिस जारी किया था.

नोटिस के विरोध में बुद्धिजीवियों ने शनिवार को उनके पैतृक आवास के पास धरना दिया था. लगातार दूसरे दिन आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले बुद्धिजीवियों में फिल्म निर्माता गौतम घोष, चित्रकार शुभप्रसन्न और जोगेन चौधरी शामिल थे.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री को शांति निकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास ‘प्रतिची' की कुछ भूमि से बेदखल करने की विश्वभारती विश्वविद्यालय की संभावित कार्रवाई पर बृहस्पतिवार को अंतरिम रोक लगा दी थी.

सेन ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की ओर से जारी उस बेदखली नोटिस के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें उनसे छह मई तक शांतिनिकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास की 0.13 एकड़ भूमि खाली करने के लिए कहा गया है.

रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1921 में स्थापित विश्वभारती को 1951 में विश्वविद्यालय घोषित किया गया था और यह पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है.

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