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This Article is From May 19, 2022

34 साल पुराने रोड रेज केस में नवजोत सिद्धू को सजा, जानें दिसंबर 1988 से अब तक मामले में क्‍या-क्‍या हुआ..

नवजोत सिद्धू का वर्ष 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी.

नवजोत सिंह सिद्धू को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है

क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. 34 साल पुराने रोड रेज केस में SC ने कांग्रेस नेता सिद्धू को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अपने 15 मई, 2018 के एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा को बदल दिया है. बता दें,सिद्धू का वर्ष 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी. इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को ए‍क हजार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था. इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने फैसला  सुनाया.

सिद्धू से जुड़े रोड रेज मामले की टाइमलाइन 
27 दिसंबर 1988 : नवजोत सिद्धू और उनकके दोस्‍त रूपिंदर सिंह संधू ने पार्किंग को लेकर हुए विवाद में कथित तौर पर पटियाला के निवासी गुरनाम सिंह को पीटा था.गुरुनाम को अस्‍पताल ले जाया गया जहां उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया. सिद्धू और उनके दोस्‍त को आरोपी बनाया गया.

सितंबर 1999 : पटियाला डिस्ट्रिक्‍ट और सेशन कोर्ट ने सिद्धू और अन्‍य को सबूतों के अभाव में हत्‍या के आरोपों से बरी किया. 

2002: पंजाब सरकार ने उन्‍हें बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की.

1 दिसंबर 2006 : पंजाब और हरियाणा कोर्ट ने सिद्धू और संधू को गैर इरादतन हत्‍या का दोषी पाया और तीन साल जेल की सजा सुनाई. सिद्धू ने अमृतसर के बीजेपी सांसद पद से इस्‍तीफा दिया.

11 जनवरी 2007 : सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया

12  जनवरी 2007 : सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू के वकील के तौर पर अरुण जेटली पेश हुए. कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई. सिद्धू और दोस्‍त जमानत पर रिहा. इसके बाद सिद्धू उपचुनाव जीतकर बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार अमृतसर से सांसद बने. सिद्धू के खिलाफ शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. 

दिसंबर 2017-मार्च 2018  :  सिद्धू ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्‍वॉइन की. विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और पंजाब सरकार में मंत्री बने.

15 मई 2018 : सिद्धू को गैरइरादतन हत्‍या के आरोप से बरी किया गया लेकिन गुरनाम सिंह को चोट पहुंचाने के लिए ₹1,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. संधू बरी.

12 सितंबर  2018 : सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ. 

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